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Updated: 19 जनवरी, 2021 05:49 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पश्चिम बंगाल में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने सियासी मैदान में जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. आगामी चुनाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पूर्ण बहुमत हासिल करने के दावे कर रही हैं. इन दावों की जमीनी हकीकत तो विधानसभा चुनाव के बाद ही सामने आएगी. लेकिन, चुनाव से पहले आने वाले ओपिनियन पोल नतीजों को लेकर जो आंकड़ा दे रहे हैं, उनमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वापसी का अनुमान लगाया गया है. एबीपी-सी-वोटर के इस सर्वे में बीजेपी को एक बड़ी बढ़त मिलने का अनुमान है. सर्वे के अनुसार, बीजेपी इस चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए करीब 102 सीटें जीत सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव की 3 सीटों की तुलना में यह एक बड़ा आंकड़ा है.

ममता की लोकप्रियता बरकरार, लेकिन बीजेपी को बढ़त

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार को बनाए रखने के लिए जी-तोड़ मेहनत में जुटी हैं. वहीं, बीजेपी ने राज्य में अपनी पकड़ को लगातार मजबूत किया है. चुनाव से पहले आए एबीपी-सी-वोटर के सर्वे पर नजर डालें, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता जनता के बीच अभी भी बनी हुई है. ममता बनर्जी सर्वे में 48.8 फीसदी लोगों की मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद हैं. लेकिन, पश्चिम बंगाल सरकार के कामकाज से जनता खुश नजर नहीं आ रही है. ओपिनियन पोल में ममता सरकार के कामकाज से 16 फीसदी लोग बहुत संतुष्ट और 22 फीसदी लोग संतुष्ट नजर आए. सर्वे में 49 फीसदी लोग राज्य सरकार के कामकाज से असंतुष्ट हैं. यह बात ममता बनर्जी की परेशानी बढ़ाने वाली है. सर्वे में इस बार फिर से ममता बनर्जी की सत्ता में वापसी का अनुमान तो है. लेकिन, बीजेपी की ओर से तृणमूल कांग्रेस को बड़ी चुनौती मिल सकती है. सी-वोटर सर्वे के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस इस बार वोट शेयर में करीब दो फीसदी के साथ पिछली बार की 211 सीटों की तुलना में 158 सीटें जीत सकती है. बीजेपी के लिए यह ओपिनियन पोल काफी मायने रखता है. सर्वे के अनुसार, 37.5 फीसदी वोट शेयर के साथ बीजेपी 102 सीटें जीत सकती है. सर्वे के मुताबिक, वाम दलों और कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा सकता है. इन पार्टियों का वोट शेयर पिछले चुनाव में 32 फीसदी था. जो इस बार घटकर 11.8 फीसदी हो सकता है. साथ ही इनकी सीटें 76 से घटकर 30 तक आ सकती हैं. तृणमूल कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में भी इसी प्रकार के नतीजों की संभावना जताई गई थी. टीएमसी के आंतरिक सर्वे में पार्टी को कुछ सीटों का नुकसान होने की बात की गई थी. हालांकि, पार्टी सर्वे में भी ममता बनर्जी की सत्ता में वापसी का अनुमान लगाया गया था. पार्टी के आंतरिक सर्वे में बीजेपी को करीब 98 सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद जताई गई थी.

क्या फिर चलेगा पीएम मोदी का जादू?

सी-वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 37 फीसदी जनता बहुत संतुष्ट और 37 फीसदी ही संतुष्ट दिखी. सर्वे में 74 फीसदी लोग पीएम मोदी से संतुष्ट नजर आते हैं. सर्वे में असंतुष्ट लोगों की संख्या 24 फीसदी है. ओपिनियन पोल में केंद्र सरकार के कामकाज से पश्चिम बंगाल की जनता 33 फीसदी बहुत संतुष्ट दिखे. 38 फीसदी लोग संतुष्ट और 27 फीसदी लोगो ने असंतुष्टि जाहिर की है. इसे लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के साथ देखें, तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बढ़ते कद का अंदाजा लगाया जा सकता है. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस दौरान बीजेपी का वोट शेयर 2014 के लोकसभा चुनाव के 17 फीसदी की तुलना में बढ़कर 40.2 फीसदी हो गया था. लोकसभा चुनाव 2014 में 17 फीसदी वोट शेयर के साथ बीजेपी को केवल दो सीटों पर ही जीत मिली थी. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी पीएम नरेंद्र मोदी का जादू चल पाएगा.

CAA का मुद्दा निभाएगा क्या भूमिका?

केंद्र सरकार के चुनाव राज्य के चुनाव से पूरी तरह से अलग होते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव के वोट शेयर को आधार मान लेना बेमानी होगा. हालांकि, सी-वोटर सर्वे में बीजेपी का वोट शेयर कुछ खास गिरता नजर नहीं आ रहा है. राज्य के चुनाव में स्थानीय मुद्दों का प्रभाव रहता है. ममता बनर्जी बंगाली अस्मिता को मुद्दा बना रही है. वहीं, बीजेपी CAA बिल के जरिये अनुसूचित जाति के सबसे बड़े मटुआ समुदाय को अपनी ओर लाने में कामयाब होती दिख रही है. क्योंकि, ममता सरकार ने CAA का विरोध किया है. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने मटुआ समाज की कुलदेवी बीनापाणि देवी 'बोरो मां' के पोते शांतनु ठाकुर को बनगांव सीट से प्रत्याशी बनाने का दांव खेला था. शांतनु ठाकुर ने जीत के बाद से ही मटुआ समुदाय को बीजेपी की ओर मोड़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. मटुआ समुदाय के वोटबैंक पर एक दशक से सीएम ममता बनर्जी का ही आधिपत्य रहा है. लेकिन, अब यह समुदाय बीजेपी के पक्ष में जाता नजर आ रहा है. CAA के विरोध के चलते अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा ममता बनर्जी को मिलता दिख रहा है. वहीं, पश्चिम बंगाल में एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री से टीएमसी के सामने समस्या खड़ी हो सकती है. हालांकि, टीएमसी का मानना है कि बंगाल के बांग्लाभाषी मुसलमान ओवैसी की पार्टी पर भरोसा नहीं करेंगे. खैर यह विधानसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि जनता किसे आशीर्वाद देकर सत्ता के सिंहासन पर पहुंचाती है. फिलहाल ममता बनर्जी के लिए सी-वोटर सर्वे राहत की खबर लेकर आया है. वहीं, बीजेपी के सामने 200 सीटों पर जीत हासिल करने के दावे को हकीकत में बदलने की चुनौती है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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