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Updated: 27 मई, 2022 10:38 PM
रमेश ठाकुर
रमेश ठाकुर
  @ramesh.thakur.7399
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एलजी के पद पर पहली गैर-ब्यूरोक्रेट्स नियुक्ति के साथ ही दिल्ली एक और नए सियासी इतिहास की गवा बनी है. राजधानी में पहली मर्तबा कोई गैर-अफसरशाह व्यक्ति को एलजी बनाया गया है और ये पहला अवसर कॉर्पोरेटर विनय कुमार सक्सेना को मिला है. राष्ट्रपति ने उनके नाम पर मुहर लगाकर नया उप-राज्यपाल बनाया है. बेशक सियासी पंड़ितों को ये नियुक्ति अचंभित करती हो, पर इस नियुक्ति को बदलाव के वाहक के रूप में भी लोग देख रहे हैं. ऐसा करके केंद्र सरकार शायद कोई नया प्रयोग करना चाहती है, या फिर ब्यूरोक्रेट्स उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे थे. क्योंकि पूर्व में अधिकांश एलजी के औहदे पर बड़े अफसर ही रहे हैं. एलजी पद भविष्य में बदलाव का वाहक बने, इसी सोच के साथ शायद कोई नया ब्लूप्रिंट केंद्र ने तैयार किया है. विनय सक्सेना के सिर सजे इस ताज के साथ ही दिल्ली में एलजी पद की पुरानी पारंपरिक परंपरा भी बदल गई. इसमें दो राय नहीं है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पटल पर उपराज्यपाल का औहदा अपने आप में खास होता है और केंद्र सरकार के लिए तो खासा मायने रखता है.

दिल्ली समूचे हिंदुस्तान का वह केंद्र हैं जहां राजनैतिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक तीनों का आपस में संगम समाहित होता है. इसी साक्षी संस्कृति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी विनय कुमार सक्सेना के कांधों पर जिम्मेदारियों के साथ लादी गई है. सक्सेना गवर्नर पद के लिए चुने गए पहले कॉर्पोरेट अनुभवी व्यक्ति हैं, उनसे उम्मीदें कुछ अलग तरीके से हैं. दशकों से दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर यानी एलजी पेशेवर और काबिल अफसरशाह बनते रहे हैं.

Vinai Kumar Saxena, LG, Delhi, Aam Aadmi Party, Arvind Kejriwal, Chief Minister, Amit Shah, Home Minister राज निवास में दिल्ली के 22वें एलजी के रूप में शपथ लेते विनय कुमार सक्सेना

लेकिन अब ये सिलसिला थम गया है. अब पहली बार गैर-अफसरशाह को इस पद पर बैठाया गया है. इस नियुक्ति के कई सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं. अव्वल, तो सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी कुछ और ही ढंग से देख रही है. तीनों एमसीडी का एकीकरण करना और एलजी पद पर कॉर्पोरेट व्यक्ति को बैठाने के पीछे वह भारतीय जनता पार्टी व केंद्र सरकार की बड़ी सियासी चाल बता रही है.

अक्सर हमने देखा है कि एलजी और मुख्यमंत्री के बीच पूर्व में टकराव होता रहा है, अब थमेगा या और जोर पकड़ेगा, ये तस्वीर भी कुछ ही दिनों में साफ हो जाएगी. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में 23 मार्च 1958 को जन्मे विनय कुमार सक्सेना को गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. सूत्र बताते हैं शाह की सिफारिश पर ही उनका नाम एलजी के लिए तय हुआ. वरना, कई नाम इस कतार में थे जिसमें कई नाम तो दिल्ली से ही थे.

वैसे, सक्सेना के पूर्ववर्ती कार्यक्षेत्रों को देखें तो लगता है वह बहुत मेहनती हैं. प्रत्येक क्षेत्रों से उनकी कार्य रिपोर्ट अच्छी बताई गई है उनकी सोच को भी दूरदर्शी बताते हैं. फिलहाल पहली बार वह किसी बड़े पद पर आसीन हो रहे हैं. इससे पहले वह केंद्रीय खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष रहे, जो सूक्ष्म-लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन आता है. उनके पास प्लेन उड़ाने के लिए पायलट का लाइसेंस भी है.

गवर्नर के लिए विनय सक्सेना के नाम पर जैसे ही राष्ट्रपति ने मुहर लगाई और नाम सार्वजनिक हुआ तो लोग उन्हें गूगल पर सर्च करने लगे. क्योंकि ये नाम राजनीतिक गलियारों और आमजन में अनजान था. सबके लिए अनसुना भी, ज्यादातर लोग नहीं जानते थे. सक्सेना गवर्नर पद के लिए चुने जाने से पहले एक सफल कॉर्पोरेट के रूप में पहचाने जाते थे.

उनकी एक बड़ी उपलब्धि गुजरात में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना में बहतरीन कार्य करने की रही है. इसलिए उनको वहां महाप्रबंधक के रूप में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद वह सीईओ बने और धोलेरा पोर्ट प्रोजेक्ट के निदेशक भी. वहीं से अमित शाह के नजरों में चढे. इसलिए उनके कांधों पर दिल्ली के एलजी जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठाने का निर्णय हुआ.

गौरतलब है, दिल्ली अधूरा राज्य है, यूटी का दर्जा प्राप्त है जिनकी ज्यादातर शक्तियां केंद्र के अधीन होती हैं. उनका मुख्यमंत्री केजरीवाल विरोध करते आए हैं. उनकी मांग है वह शक्तियां उन्हें सौंपी जाएं. दो महकमे पुलिस और प्रशासनिक को वह चाहते हैं. पर, उनकी मांगों पर आजतक कोई विचार नहीं हुआ. आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भारत की राजधानी और एक केंद्र-शासित प्रदेश है.

इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी के रूप में स्थापित है. दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं जिसमें ज्यादातर पर केंद्र सरकार का होल्ड है. जो केजरीवाल सरकार के हिस्से आता है उन पर भी एलजी की हुकूमत हावी रहती है. विनय कुमार सक्सेना के आने के बाद दोनों में टकराव और बढ़ने की आशंका दिखाई पड़ती है.

दिल्ली का एलजी पद भी जम्मू-कश्मीर की तरह बदलाव का कारण बने, ऐसी उम्मीदें केंद्र सरकार को है. क्योंकि उनके पास मनोज सिन्हा के रूप में बेहतरीन उदाहरण है. विनय सक्सेना भी सूझबूझ वाले इंसान माने जाते हैं पूर्व में किए उत्कृष्ट कार्य इस बात की गवाही देते हैं. सक्सेना को अक्टूबर-2015 में केवीआईसी का अध्यक्ष नियुक्त किया था. उनके नेतृत्व में ही विभाग ने 248 प्रतिशत की वृद्धि अर्जित की.

इस दरमियान करीब 40 लाख नए रोजगार भी तैयार हुए. तभी उन्हें 2021 के पद्म पुरस्कार चयन पैनल का सदस्य भी नामित किया था. इसके अलावा वह शुरूआती दिनों में प्रसिद्ध जेके समूह से भी जुड़े रहे. जहां करीब दशक भर अपनी सेवाएं दीं. उनको अहमदाबाद स्थित नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना का भी श्रेय दिया जाता है. जो एक गैर-लाभकारी गैर-सरकारी संस्था है. ऐसी कई और उपलब्यिं हैं जो विनय सक्सेना को दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर बैठने के लिए उपयुक्त मानती है.

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