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Updated: 08 अगस्त, 2016 04:17 PM
राकेश उपाध्याय
राकेश उपाध्याय
  @rakesh.upadhyay.1840
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आरएसएस ने भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोरक्षकों को असामाजिक तत्व बताने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई के बयान का साथ दिया हो, लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने प्रधानमंत्री के बयान को बेहद गैरजिम्मेदाराना और झूठा बताकर संघ परिवार में मामले पर चल रही खींचतान को सतह पर ला दिया है.

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दलितों और गायों की रक्षा में फेल है सरकार!

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महासचिव राजेंद्र सिंह पकंज ने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला किया है. उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि पीएम अपनी नाकामी का दोषारोपण गोरक्षकों पर न निकालें. दलितों पर अत्याचार को रोकना सरकार का काम है और गोरक्षा का काम भी संविधान ने सरकार के सुपुर्द किया है. सरकार अगर दलितों की सुरक्षा में लाचार है और गोरक्षा भी नहीं कर पा रही है तो ये सरकार की नाकामी नहीं तो किसकी नाकामी है? जो गोरक्षक गोरक्षा के काम में पवित्र भाव से लगे हैं, पीएम का बयान उनकी भावनाओं पर आघात है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके जो सहयोगी संगठन कई दशकों से गोरक्षा के काम में लगे हैं, उनके लिए पीएम का बयान आपत्तिजनक और आहत करने वाला है.

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 गौरक्षकों पर प्रधानमंत्री के बयान पर विवाद

गो-तस्‍करी रुकने से 2 फीसदी घटा मांस का कारोबार!

विश्व हिंदू परिषद ने दावा किया है कि गोरक्षकों की वजह से कई राज्यों में गो-तस्करी रुकी है और गोमांस के निर्यात में इस वजह से 2 फीसदी की गिरावट आई है. राजेंद्र सिंह पंकज ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछा है कि कहीं उनका बयान गोमांस के निर्यात में आई गिरावट की खिसियाहट का नतीजा तो नहीं. वीएचपी नेता के मुताबिक, पीएम को हकीकत का ज्ञान नहीं है, न तो उनकी सरकार ने अब तक गोरक्षा के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं और ना ही चुनाव के समय ‘पिंक रिवोल्यूशन’ रोकने के लिए किए गए वायदे को पूरा करने की दिशा में ही कुछ किया है.

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गोरक्षा के केंद्रीय कानून पर भी मोदी सरकार ने चुप्पी साध ली है. और अब दलितों की सुरक्षा में नाकामी का ठीकरा गोरक्षकों पर फोड़कर प्रधानमंत्री अपनी नाकामी छुपाने में लगे हैं. विश्व हिंदू परिषद ने प्रधानमंत्री से पूछा है कि वो बांग्‍लादेश की सरहद को सील किए जाने के बारे में उठाए गए कदमों पर क्यों खामोश हैं और क्यों नहीं बता रहे हैं कि आखिर हर साल लाखों की तादाद में गोमांस किसके संरक्षण में बंगलादेश ले जाया जाता है, क्या इसमें सरकार और प्रशासन की मिलीभगत नहीं है?

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लेखक

राकेश उपाध्याय राकेश उपाध्याय @rakesh.upadhyay.1840

लेखक भारत अध्ययन केंद्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं

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