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Updated: 31 जनवरी, 2016 05:01 PM
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दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच ठन गई है, जी नहीं, रूस और अमेरिका के बीच नहीं बल्कि इस बात तनातनी बढ़ी है अमेरिका और दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर चीन के बीच. मामला दक्षिण चीन सागर से जुड़ा है. हाल ही में अमेरिका का मिसाइल विध्वसंक युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में घुस गया.

इस क्षेत्र पर अपना हक जताने वाले चीन को ये बात नागवार गुजरी उसने अमेरिका के इस कदम को क्षेत्र के स्थायित्व और शांति को बिगाड़ने का कदम करार दिया. अमेरिका ने चीन को उसकी हद बताने के लिए कुछ ऐसा किया जिससे चीन बौखला गया और उसने अमेरिका को फिर से उसके क्षेत्र में न घुसने की चेतावनी दे डाली. आखिर क्यों अमेरिका घुसा दक्षिण चीन सागर में और चीन को इस तरह से नाराज करने की वजह क्या है, आइए जानें.

दक्षिण चीन सागर में क्यों घुसा अमेरिकी युद्धपोतः

दक्षिण चीन सागर का क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में विवाद का केंद्र बन गया है. इस पर न सिर्फ चीन बल्कि ताइवान, मलेशिया, वियतनाम, ब्रूनेई और फिलीपींस जैसे देश भी अपना हक जताते रहे हैं. लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा ताकतवर होने के कारण चीन का दावा ही मजबूत रहा है. चीन दक्षिण चीन सागर के 3 हजार वर्गकिलोमीटर के क्षेत्र पर अपना दावा जताता रहा है. जहाजों की आवाजाही के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस जलमार्ग से हर साल दुनिया भर का करीब 3 खरब डॉलर का कारोबार होता है.

इस दावे के कारण ही चीन का मानना है कि कोई भी बाहरी देश दक्षिण चीन सागर के जलक्षेत्र में बिना उसकी इजाजत के कदम नहीं रख सकता है. चीन की सोच के उलट अमेरिका का मानना है कि इस जलमार्ग से कोई भी देश आवाजाही कर सकता है और चीन द्वारा इस जलक्षेत्र पर अपना कब्जा जमाने को अमेरिका नौवाहन की आजादी पर अंकुश लगाने की कोशिशों के तौर पर देखता है.

चीन की इसी विस्तारवादी नीतियों से निपटने के लिए ही अमेरिका का मिसाइल विध्वसंक युद्पोत दक्षिण चीन सागर के जलक्षेत्र में उस द्वीप में 12 नॉटिकल मील की दूरी तक गया, जिस पर चीन अपना हक जताता रहा है. इससे अमेरिका ने चीन को इस बात का संदेश दिया कि इस जलक्षेत्र पर अपना हक जताना बंद करे और इसे दुनिया भर के जहाजों की बेरोकटोक आवाजाही के लिए खेले. साथ ही इससे अमेरिका ने चीन को इस बात का भी संदेश दिया है कि अमेरिका दुनिया में जहां चाहे वहां जा सकता है.

पेंटागन ने अपने बयान में कहा कि दक्षिण चीन सागर में गए उसके मिसाइल विध्वसंक युद्धपोत कर्टिस बिल्बर के आसपास कोई चीनी युद्धपोत नहीं था और उसका यह कदम इस जलक्षेत्र में नौवाहन आजादी को सीमित करने की चीनी कोशिशों को नाकाम करने का था. इससे पहले पिछले वर्ष अक्टूबर में भी अमेरिका का एक मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत लासेन चीन द्वारा कृत्रिम रूप से बनाए गए द्वीप के पास पहंच गया था और अमेरिका के इस कदम पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. इस बार भी चीन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए दक्षिण चीन सागर में बिना इजाजत घुसने के कदम को बेहत खतरनाक करार देते हुए इसे दोबारा न दोहराने की बात कही है.

अमेरिका भले ही इस क्षेत्र में अपनी उपस्थित बढ़ाकर चीनी वर्चस्व को चुनौती दे रहा हो लेकिन चीन इतनी आसानी से दक्षिण चीन सागर पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करने वाला है!

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