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Updated: 01 जनवरी, 2017 12:53 PM
डॉ महेंद्र मधुकर
डॉ महेंद्र मधुकर
 
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ऊँट विलक्षण जीव है इसमें राजनीति का राष्ट्रीय पशु बनने के सभी गुण मौजूद हैं. कहते हैं, यह विश्वामित्र की जिद और अनोखी रचना का परिणाम है. उसके टेढ़ेपन में कितनी कशिश है! उसके चबाने की अदा भी अनोखी है. कोई नहीं बता पाता कि राजनीति का ऊँट किस करवट बैठेगा? उसकी कुरूपता ही उसकी खूबी है. एक कथा है कि एक ऊँट और सियार में दोस्ती हो गई. सियार ने ऊँट की तारीफ करते हुए कहा - 'अहा! क्या सुंदरता है' - 'अहो रूपम !', तो ऊँट ने भी पलटकर कहा - मेरे यार सियार, तुम्हारी आवाज़ कितनी मीठी है, - 'अहो ध्वनि:'.  

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 अब सपा में कौन सा नया दांव खेला जाएगा इसका अंदाजा किसीको नहीं है

ऊँट सब जगह अपना जलवा नहीं दिखाते. जहाँ जिस जमीन पर सब दौड़ते हैं, वहीं ये खरामा-खरामा चलेंगे. पर रेगिस्तान के तो ये जहाज हैं, वहाँ इनकी चाल और दौड़ देखने लायक होती है. सुना है कि वे एक ही बार में इतना पानी पी लेते हैं कि कई दिनों तक उन्हें प्यास नहीं लगती. नुकीले कांटों वाले रेगिस्तानी पत्ते वे बड़े आराम से चबा लेते हैं.

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'टिकट संग्राम' नाम के फिल्म की शूटिंग में ऐसे ही ऊँटों का काफिला जुटा. शूटिंग शुरू हुई. सीन बढ़िया चल रहा था. एक बड़े सुदर्शन नुकीले नेता स्कूल में बच्चों को लैपटॉप बाँट रहे थे, सभी बच्चे खुश थे. तालियां बजानेवाले मुस्तैदी से अपने काम पर लगे थे. माइक पर सुदर्शन नेता की प्रशंसा करनेवाले श्री चम्मच कुमार गदगद भाव से तारीफ के पुल बाँधे जा रहे थे तभी अचानक एक बड़े कद्दावर नेता ने उनके सामने का माइक झपटकर छीन लिया. फिल्म के डायरेक्टर चिल्लाए - कट-कट-कट. कैमरा रूक गया. दमकदार रौशनी बुझ गई. सुदर्शन नेता का रोल करनेवाले अभिनेता की आँखों में आँसू छलक आए डायरेक्टर के 'कट' की आवाज इतनी जोर से गूँजी कि सभी दमदार चुनावी प्रत्याशियों के टिकट कट गए। ऊँट महाशय ने करवट ले ली. फिर तो क्या से क्या हो गया! फिल्म 'टिकट संग्राम' की शूटिंग अभी जारी है. फिर मिले, तो बताऊंगा कि कौन रोया, कौन हसा, कब कहाँ किसने किसको डसा!

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