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Updated: 27 जुलाई, 2018 09:20 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शिवसेना ने जो स्टैंड लिया वो बीजेपी को भाया बिलकुल नहीं. शिवसेना के बर्ताव से नाराज अमित शाह ने महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं से कहा है कि 2019 में अकेले चुनाव लड़ना पड़ सकता है. शाह ने महाराष्ट्र की सभी 48 सीटों पर शिवसेना के साथ की जगह अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है.

अब तक शिवसेना की ओर से ही इस बात की सार्वजनिक घोषणा हुई है कि पार्टी 2019 का लोक सभा चुनाव अकेले लड़ेगी. हालांकि, बीजेपी के संपर्क फॉर समर्थन मुहिम के तहत अमित शाह ने मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे और उनके परिवार से मुलाकात की थी.

अब शिवसेना की ओर से एक नयी शुरुआत की जा रही है. दरअसल, उद्धव ठाकरे जल्द ही अयोध्या और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाने वाले हैं.

उद्धव ठाकरे चले अयोध्या-काशी

देखा जाये तो अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग से अलग रह कर शिवसेना ने परोक्ष रूप से बीजेपी के फायदे वाली ही बात की थी. बीजेपी के खिलाफ तीव्र विरोध के जो स्वर शिवसेना की ओर से सुने गये हैं, उसमें तो उसके अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में ही खड़े होने की संभावनाएं थी. आखिरी वक्त तक शिवसेना ने 'कभी हां, कभी ना' वाले मोड में रहते हुए बीजेपी को खूब छकाया भी.

uddhav, amit shahफासले बढ़ने लगे हैं...

अमित शाह चाहते होंगे कि शिवसेना के साथ खड़ी रहे और अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में वोट करे, ऊपर से शिवसेना ने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री मोदी के गले मिलने की भी तारीफ कर दी. अमित शाह को ये बात ज्यादा नागवार गुजरी होगी. वैसे उद्धव ठाकरे के जन्म दिन पर राहुल गांधी की बधाई के भी मतलब कम नहीं निकाले जा रहे हैं.

फिलहाल तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे की चर्चा तेज है. इसे लेकर मुंबई में जगह जगह पोस्टर लगाये गये हैं. पोस्टर पर लिखा है - चलो अयोध्या... चलो काशी! साथ ही लोगों से अपील की गयी है कि वे उद्धव ठाकरे के अयोध्या और वाराणसी पहुंचने पर उनका साथ दें. शिवसेना नेता संजय राउत ने तो इसे छोटा सा कार्यक्रम बताया है. अगर ये छोटा सा कार्यक्रम है तो मुंबई में पोस्टर लगाने और अयोध्या-काशी के लोगों से अपील करने की जरूरत क्यों आ पड़ी?

वैसे संजय राउत अयोध्या में राम मंदिर का मसला उठाते हुए बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश जरूर करते हैं. कहते हैं - 'राम मंदिर बनाने की घोषणा किए 25 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इस मामले पर कुछ नहीं हुआ. उद्धव जी ने वाराणसी से अयोध्या जाने का प्लान किया है. हम देखेंगे अगर कुछ कार सेवा कर सकते हैं तो... उद्धव जी इस मुद्दे पर बोलेंगे जब वह लखनऊ जाएंगे.'

uddhav postersपहले अयोध्या, फिर काशी...

अयोध्या के बाद उद्धव ठाकरे वाराणसी में गंगा आरती में हिस्सा लेंगे और अब तक गंगा की हुई सफाई का जायजा भी लेंगे. मतलब ये भी कि वो नमामि गंगे को लेकर मोदी सरकार से सवाल भी पूछेंगे.

असली और फर्जी हिंदुत्व

2019 में अकेले चुनाव लड़ने की शिवसेना ने घोषणा जरूर की है लेकिन उसके इस बात पर टिके रहने की काफी कम संभावना है. शिवसेना को भी मालूम है कि बीजेपी के अलावा उसे कोई भी इस हद तक बर्दाश्त नहीं करने वाला. देखा जाय तो शिवसेना का हर कदम बीजेपी पर दबाव बढ़ाने की कवायद लगती है. मसलन, ममता बनर्जी से ऐसे वक्त मुलाकात जब वो बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खड़ा करने में जुटी हों. ममता के मुंबई पहुंचने पर तो उद्धव ठाकरे बेटे आदित्य के साथ मिलने उनके होटल पहुंच गये थे.

उद्धव ठाकरे ने तो बीजेपी के हिंदुत्व को ही फर्जी करार दिया है. असल में शिवसेना और बीजेपी दोनों ही हिंदुत्व की ही राजनीति करते हैं. बीजेपी के विरोध के पीछे महाराष्ट्र में उसका घटता और बीजेपी का बढ़ता प्रभाव रहा है. अब लड़ाई असली और नकली हिंदू साबित करने पर पहुंच गयी है. उद्धव ठाकरे ने सामना को दिये इंटरव्यू में बीजेपी को खूब खरी खोटी सुनायी है.

मोदी के बाद बीजेपी के हिंदुत्व के सबसे चमकते चेहरे योगी आदित्यनाथ ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को भले नकारने की कोशिश की हो, उद्धव ठाकरे ने बिलकुल अलग नजरिया पेश किया है.

गौरक्षकों के उत्पात उद्धव ठाकरे का कहना है, "गाय को बचाने के नाम पर अगर आप इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि कौन गोमांस खाता है और कौन नहीं तो ये शर्म की बात है. ये हिंदुत्व नहीं है. मैं हिंदुत्व की ऐसी विचारधारा को स्वीकार नहीं करता जिसका देश में समर्थन किया जा रहा है. हमारी महिलाएं असुरक्षित हैं और आप गायों का बचाव कर रहे हैं. हमने ये कभी नहीं कहा कि गोवध किया जाना चाहिए, लेकिन गायों को बचाते-बचाते भारत महिलाओं के लिए सर्वाधिक असुरक्षित देश बन गया है."

इसी इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वो भारतीय जनता के दोस्त हैं, न कि किसी पार्टी विशेष के, "हम सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन अगर कुछ गलत होता है तो हम निश्चित तौर पर बोलेंगे."

वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का इलाका तो बन ही चुका है, अयोध्या और मथुरा पर योगी आदित्यनाथ पहले से ही जोर मारे हुए हैं. उद्धव ठाकरे के अयोध्या-काशी दौरे को बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है. असल बात तो ये है कि उद्धव ठाकरे की अयोध्या-काशी यात्रा मोदी या बीजेपी को चुनौती से कहीं ज्यादा शिवसेना बचाओ मुहिम लगता है. उद्धव की इस यात्रा से शिवसेना के हाथ और कुछ लगे न लगे, बीजेपी पर दबाव डालकर सौदेबाजी करना कुछ आसान तो हो ही जाएगा.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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