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Updated: 05 जून, 2021 10:22 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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केंद्र सरकार ने फरवरी में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं. ट्विटर और वॉट्सएप जैसी सोशल मीडिया कंपनियां इसका विरोध कर रही हैं. इन सोशल मीडिया कंपनियों का मानना है कि इन नियमों की वजह से लोगों को मिलने वाली प्राइवेसी और फ्री स्पीच खत्म हो जाएगी. इन सबके बीच 5 मई को अचानक ट्विटर भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पर्सनल अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया था. इस पर विवाद होते ही ट्विटर ने दो घंटे के अंदर वापस से अकाउंट पर ब्लू टिक लगा दिया. इसी दौरान ट्विटर की ओर से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और संघ के कुछ अन्य पदाधिकारियों के अकाउंट से भी ब्लू टिक हटा दिया गया. हालांकि, इनमें से कई पर फिर से ब्लू टिक वापस हो गया है.

दिनभर चले इस ब्लू टिक विवाद के बीच केंद्र सरकार ने ट्विटर को नए आईटी नियमों के पालन करने के लिए अंतिम चेतावनी जारी कर दी है. सरकार की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि सोशल मीडिया के लिए लागू किए गए नियमों का तत्काल पालन नहीं करने ट्विटर पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. दरअसल, ट्विटर की ओर से नए आईटी नियमों का पालन करने को कहा गया था कि भारत में सेवाएं जारी रखने के लिए वह नियमों को मानने की कोशिश करेगी. ब्लू टिक विवाद और केंद्र सरकार की अंतिम चेतावनी के बाद ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ट्विटर को वेंकैया नायडू के अकाउंट से Blue Tick हटाने के बाद दोबारा लगाने से क्या मिला?

केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही तय करने के लिए ये नियम बनाए हैं.केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही तय करने के लिए ये नियम बनाए हैं.

जवाबदेही तय करने की कोशिश कर रही सरकार

केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद आपत्तिजनक कंटेंट (फेक न्यूज, हिंसा आदि) और भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा बन सकने वाले कंटेंट पर कंपनियों की जवाबदेही तय करने के लिए ये नियम बनाए हैं. 26 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन के दौरान अराजक तत्वों ने जमकर उत्पात मचाया था और हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भड़काऊ और भ्रामक जानकारियां धड़ल्ले से शेयर की गईं. केंद्र सरकार की ओर से आशंका जताई गई थी कि किसान आंदोलन के बीच पाकिस्तान समर्थित और खालिस्तान समर्थक सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक कंटेंट फैला रहे हैं. लेकिन, इस पर ट्विटर ने अड़ियल रुख अपनाते हुए कोई खास कार्रवाई नहीं की थी. जिसके बाद फरवरी में केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी कर सोशल मीडिया कंपनियों को तीन महीने के अंदर नियमों का पालन करने को कहा था.

नियमों को मानने की अंतिम समयसीमा खत्म होने के बाद ट्विटर की ओर से कहा गया कि वह नियमों के पालन की कोशिश करेगा.नियमों को मानने की अंतिम समयसीमा खत्म होने के बाद ट्विटर की ओर से कहा गया कि वह नियमों के पालन की कोशिश करेगा.

ट्विटर ने शुरू कर दिया गोरिल्ला वॉर

नियमों को मानने की अंतिम समयसीमा खत्म होने के बाद ट्विटर की ओर से कहा गया कि वह नियमों के पालन की कोशिश करेगा. इन बीच ट्विटर ने केंद्र सरकार के खिलाफ गोरिल्ला वॉर शुरू कर दिया. जिसके तहत पहले भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को 'मैनिपुलेटेड मीडिया' करार दे दिया. इस मामले की जांच के दौरान जब दिल्ली पुलिस ट्विटर के दफ्तर पर पहुंची, तो कंपनी की ओर से बयान जारी किया कि उसे भारत में काम करने वाले अपने कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता हो रही है. हालांकि, यह पहला मौका नही है, जब ट्विटर ने ऐसी कोई हरकत की हो. इससे पहले ट्विटर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का अकाउंट ब्लॉक किया था और फिर उसे 'तकनीकी गलती' मानकर दोबारा शुरू किया. ट्विटर ने लद्दाख को भी जिओ लोकेशन में चीन का हिस्सा बता दिया. विवाद होने पर इसे भी 'तकनीकी गलती' कहकर पल्ला झाड़ लिया था. ब्लू टिक प्रकरण पर भी ट्विटर की ओर से 'तकनीकी गलती' की बात कही गई. क्या सवाल नहीं उठना चाहिए कि आखिर ट्विटर की ओर से इतनी तकनीकी गलतियां क्यों हो रही हैं?

ट्विटर ने बचाव के लिए अपनाई ये रणनीति

ब्लू टिक विवाद के बाद ट्विटर ने सफाई देते हुए कहा कि ये अकाउंट लंबे समय से एक्टिव नहीं थे. इस वजह से सिस्टम ने वेरिफिकेशन पॉलिसी के तहत ब्लू टिक हटा दिया था. इस बयान से भी यही मतलब निकलता है कि ट्विटर ने यह जानबूझकर नहीं किया था, बल्कि यह भी 'तकनीकी गलती' थी. ट्विटर की ओर से केंद्र सरकार के नियमों पर पहले ही कह दिया गया है कि वह इनका पालन करने की कोशिश करेगा. अब इस विवाद के बीच में ही केंद्र सरकार की ओर से नोटिस जारी कर दिया गया है. दरअसल, ट्विटर एक रणनीति के तहत लोगों के बीच बहस खड़ी करने की कोशिश कर रहा है. ट्विटर यह दिखाने की प्रयास कर रहा है कि ऐसा करने के लिए उस पर केंद्र सरकार की ओर से दबाव बनाया जा रहा है. इन तमाम मामलों पर केंद्र सरकार की ओर उठते सवालों को ट्विटर अपने पक्ष में कैंपेन के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है. ट्विटर लोगों के बीच नैरेटिव बनाना चाहता है कि एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है.

भारत में ट्विटर की भूमिका कई बार शरारतपूर्ण, भड़काऊ और खास राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित लगती है.भारत में ट्विटर की भूमिका कई बार शरारतपूर्ण, भड़काऊ और खास राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित लगती है.

ट्विटर की कार्रवाई शरारतपूर्ण

भारत में ट्विटर की भूमिका कई बार शरारतपूर्ण, भड़काऊ और खास राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित लगती है. ब्लू टिक विवाद को देखकर भी ऐसा ही लगता है. मान लिया जाए कि अगर ट्विटर की ब्लू टिक को लेकर की गई कार्रवाई सही थी, तो उसे अब ये भी बताना चाहिए कि वेंकैया नायडू के ट्विटर अकाउंट पर दोबारा नीला टिक लगाने की उसे जरूरत क्यों आन पड़ी? अगर ट्विटर की वेरिफिकेशन पॉलिसी इतनी ही मजबूत है, तो दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस नेता अहमद पटेल और एक्टर इरफान खान समेत कई लोगों के ट्विटर अकाउंट अब भी ब्लू टिक के साथ क्यों दिखाई दे रहे हैं. ये मेमोरियल अकाउंट्स भी नही हैं, जिनमें परिवार का कोई सदस्य इसे हैंडल करता है. क्या इस पर सवाल नहीं उठना चाहिए.

ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी खुद को बता चुके हैं वामपंथी

सीएनएन को दिए गए एक पुराने इंटरव्यू में ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी माना था कि वह वामपंथी हैं. यह इंटरव्यू उस समय का है, जब सोशल मीडिया कंपनियों पर लोगों के विचारों को प्रभावित करने का आरोप लग रहा था. जैक डॉर्सी ने कहा था सोशल मीडिया के लिए काम करने वालों की अपनी विचारधारा भी होती है और उनका झुकाव वामपंथ की ओर ज्यादा होता है. जैक डॉर्सी ने माना था कि मैं लेफ्ट विचारधारा को मानता हूं.

हालांकि, उन्होंने कहा था कि विचारधारा निजी होती है और इससे कंपनी की पॉलिसी पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई ट्वीट्स को भी ट्विटर ने 'मैनिपुलेटेड मीडिया' के तौर पर फ्लैग किया था. जिसके बाद जैक डॉर्सी ने कहा था कि इसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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