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Updated: 10 जुलाई, 2016 04:32 PM
शिव अरूर
शिव अरूर
  @shiv.aroor
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सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक. दोहरे चरित्र से भरे हुए एक सिस्टम में इन दोनों से ज्यादा बड़े कायर को ढूंढ पाना मुश्किल है. वे अपने बच्चे को कभी 'शहीद' होने के लिए नहीं भेजेंगे. इसकी जगह वे बुरहान वानी के मारे जाने का इंतजार करते हैं ताकि उन्हें उनकी 'शहादत' की तारीफ करने का मौका मिल जाए. ढीठ झूठी और स्थानापन्न शहादत.

गिलानी और मीरवाइज स्पष्ट रूप से कश्मीरी लोगों के भरोसे से खेलने वाले लोग हैं. मीरवाइज उमर फारूक, सबसे बड़ा कायर, खिलाड़ी और चुनिंदा मध्यस्थ. स्वार्थी, स्वयं को बढ़ावा देने वाला और खुद को अच्छा दिखाने के लिए कश्मीरियों के बहते खून को भी देखकर खुश होने वाला इंसान.

दो लोग, जिन्होंने भारतीय सिस्टम के अनकहे फायदे उठाए हैं और अभी भी ऐसा कर रहे हैं. मुझे भरोसा नहीं होता कि उन्हें बाहर फेंक दिया जाना चाहिए. भारत में जहरीले और राष्ट्रविरोधी लोगों के लिए जगह है. मेरा मानना है कि इन दोनों को फॉलो करने वाले हजारों कश्मीरियों को उनकी कायरता के बारे में पता होना चाहिए. घाटी के गिलानी और मीरवाइज ऐसे लोग हैं जिन्हें अगर उस खून के बदले में जोकि कभी उनका नहीं होगा, शोक दिखाने और अच्छा दिखने का मौका मिले तो अपनी मां का अपमान करने से भी नहीं चूकेंगे.

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कश्मीर के अलवादी नेता मीरवाइज उमर फारूक (बाएं) और सैयद अली शाह गिलानी

मैं सच में आशा करता हूं कि कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी की हत्या के बाद आने वाले दिनों में होने वाली अशांति से कम से कम यह दिखेगा कि कैसे कश्मीर की एक नई पीढ़ी इन धोखेबाजों के बारे में क्या सोचती है, जोकि कभी भी उनके लिए नहीं लड़ेंगे, कभी नहीं.

पत्थर फेंके जाएंगे, प्रदर्शनकारी मारे जाएंगे, हिंसा का चक्र जारी रहेगा. कश्मीर में जो होता है उसकी संभावनाओं के प्रति एक अजीब सा सन्नाटा है. शांति, धैर्य और संयम के लिए कहना बहुत ज्यादा की मांग करना है. गुस्से को ठंडा होने के लिए कहना भी बहुत ज्यादा मांगना है. लेकिन कश्मीरी लोगों के लिए अगर बिना खुद घर से निकले उनका नेतृत्व करने का दावा करने वाले इन कायरों के बहिष्कार का कोई अवसर था, तो वो यही है.

सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को उनकी असली औकात दिखा दो.

लेखक

शिव अरूर शिव अरूर @shiv.aroor

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं.

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