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Updated: 20 जून, 2017 06:10 PM
अनीता वर्मा
अनीता वर्मा
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रविवार की मध्यरात्रि को लंदन में नमाज के बाद बाहर निकलने वाले लोगों को पैदल पथ पर एक वैन ने कुचल डाला. दरअसल यह पैडेस्ट्रेरियन दो मस्जिदों के पास उत्तर लंदन में स्थित है. इस घटना क्रम में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और लगभग 10 लोग घायल हो गए. एक की स्थिती गंभीर बनी हुई है. हालांकि वैन ड्राइवर को हिरासत में लिया गया है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उत्तर लंदन के मस्जिद के बाहर एक वैन ने रोड छोड़कर पैदल पथ पर चल रहे लोगों की ओर आगे बढ़कर कुचलने का प्रयास किया और वैन का ड्राइवर चिल्ला रहा था कि ‘सभी को मार डालो’.

london, terror attack

ब्रिटेन में तीन आतंकवादी घटनाएं तीन महीने से भी कम समय में हुई हैं और यह ब्रिटेन के लिए चिंता का विषय है.

हाल में ब्रिटेन मैनचेस्टर और लंदन ब्रिज जैसी आतंकवादी घटनाओं का शिकार रहा है. लंदन ब्रिज की घटना तो अभी 3 जून 2017 की है, जिसमें लंदन के मशहूर पर्यटक स्थल लंदन ब्रिज पर एक रफ्तार वैन ने पैदल यात्रियों को टक्कर मार दी थी जिसमें कई लोग घायल हुए थे. फिर वैन से 12 इंच लंबे चाकूओं से लैस तीन लोग बाहर निकलकर बोरो हाई स्ट्रीट की ओर चाकू से हमला करते हुए आगे बढ़े. जिसके कारण चारों तरफ अफरातफरी का माहौल बना और भयभीत होकर लोग इधर उधर भागे. उक्त घटना क्रम में 8 लोग मारे गए थे और लगभग 50 लोग घायल हुए थे.

रविवार की मध्यरात्री को दोबारा लंदन में मस्जिद के बाहर पैदल चल रही भीड़ पर वैन द्वारा लोगों को कुचलने का मामला ब्रिटेन के लिए बेहद चिंतित करने वाला है. इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने हमले के पश्चात सहयोगियों की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के अनुसार "पुलिस इस आतंकी घटना को  ‘पोटेंशियल टेरिरिस्ट अटैक’ के रुप में देख रही है. इस प्रकार की घटना की ब्रिटेन में पुनः आवृत्ति से यह प्रश्न उठता है कि क्या अब आतंकी आतंकवाद की घटनाओं को अंजाम देने के लिए नए-नए तरीके अख्तियार करेंगे? लंदन की घटना तो इसी तरफ इशारा कर रही है. इससे पहले भी फ्रांस में एक समारोह के दौरान एक तेज रफ्तार वाली ट्रक ने कई लोगों को कुचल डाला था. इस प्रकार देखा जाए तो आतंकवादियों ने हमला करने के इस प्रकार के तरीको का सहारा लिया है. जो किसी देश के लिए इससे निपटना बेहद चुनौती पूर्ण है.

london, terror attack

चूंकि आतंकवादियों का कृत्य समाज में दहशत फैलाने के साथ-साथ राष्ट्रों को अस्थिरता के मार्ग पर ले जाना है. ऐसे में अपने मंसूबो की पूर्ति हेतु नित्य नए-नए हथकंडों को अपनाकर अपने लक्ष्यों की पूर्ति करते हैं. ब्रिटेन में महज तीन महीने से कम समय में तीन आतंकी घटनाओं का होना ब्रिटेन के लिए खतरे की घंटी है. ऐसा लगता है कि ब्रिटेन में भी युवा उग्र चरमपंथी विचारधारा की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो बेहद खतरनाक है, क्योंकि इस प्रकार की विचारधारा से प्रभावित युवा मरने और मारने पर उतारू होते हैं क्योंकि इन्हें अपनी जान की परवाह नहीं होती है. ऐसे में ब्रिटेन में यह खतरनाक ट्रेंड का अभ्युदय हो रहा है. इस प्रकार के हमले से निपटना बेहद चुनौतीपूर्ण है.

वर्तमान के युग में आतंकवाद भी वैश्विक हो चुका है. दुनिया का लगभग प्रत्येक देश आतंकवाद से पीड़ित है. जैसे 7 जून 2017 को ईरान के संसद और ईरान के   धार्मिक गुरु अयातुल्ला खुमैनी की मज़ार पर हुआ आतंकवादी हमला. 18 जून 2017 को अफगानिस्तान के पुलिस क्वार्टर पर आतंकी हमला, अफ्रीका के माली में आतंकी हमला आदि. ईरान ने तो हमले का प्रतिशोध लेने हेतु पूर्वी सीरिया के आईएस आतंकियों के ठिकानों पर मिसाइल दागी. तो दूसरी तरफ सीरिया जो लंबे समय से गृह युद्ध के चपेट में है आईएस आतंकियों से युद्ध के क्रम में उसके फाइटर प्लेन को अमेरिका ने रक्का शहर के पास गिरा दिया, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है. ज्ञात हो कि सीरिया का रक्का शहर आईएस आतंकी संगठन का गढ़ बना हुआ है. वहीं अमेरिका ने इराक में आईएस आतंकी संगठन के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा है.

कतर के संदर्भ में देखे तो अमेरिका सऊदी अरब का खुलकर समर्थन कर रहा है. दरअसल कतर पर चरमपंथी गुटों(हिजबुल्ला, हमास) को बढ़ावा देने के आरोप लगाकर छह देशों (मिस्र, बहरीन, लीबिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यमन) ने कतर के साथ अपने राजनयिक संबंध को समाप्त कर लिया है. हालांकि कतर ने इस आरोप को खारिज किया है. लेकिन आश्चर्य है कि सऊदी अरब वहाबी कट्टरपंथी विचारधारा का बढ़ावा देता है और आईएस आतंकी गुट को फंडिग भी करता है. ऐसे में अमेरिका का आतंक के विरुद्ध दोहरा मापदंड ही प्रतीत होता है. इससे स्पष्ट होता है कि प्रत्येक देश के लिए आतंकवाद की परिभाषा अलग-अलग है. भले ही आतंकी संगठन एक ही क्यों न हो. तो स्वाभाविक है कि यदि आतंकवाद को भले और बुरे संदर्भ में देखा जाएगा तो आतंकवाद की समस्या से मुक्ति पाना केवल कोरी कल्पना ही प्रतीत होता है क्योंकि आतंकवाद से लड़ाई में स्वार्थ पूर्व रवैया सामने आ रहा है.

आतंकवाद के विरुद्ध दोहरे मापदंड से आतंक के विरुद्ध लड़ाई में सफलता प्राप्त करना असंभव है. इसलिए सभी राष्ट्रों को निस्वार्थ, ईमानदारी, अथक परिश्रम से एक साथ एक मंच पर आकर आतंक के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ना चाहिए.

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लेखक

अनीता वर्मा अनीता वर्मा @anita.verma.121398

लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों की जानकार हैं

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