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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 03 अगस्त, 2022 08:08 PM
निधिकान्त पाण्डेय
निधिकान्त पाण्डेय
  @1nidhikant
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हमारे इस आर्टिकल का मुद्दा बताएंगे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन. आप उन्हें सुनना चाहें तो ट्विटर का लिंक हाजिर है वरना हम तो हैं ही संक्षेप में बताने को. जो बाइडेन ने कहा, 'शनिवार को मेरे निर्देश पर अफगानिस्तान के काबुल में सफलतापूर्वक ड्रोन स्ट्राइक की गई, इसमें अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी की मौत हो गई. जवाहिरी, हमेशा बिन-लादेन के साथ था, उसकी हैसियत नंबर दो की थी. 9/11 अटैक के समय जवाहिरी, बिन-लादेन का करीबी सहयोगी था और सारी योजनाओं में शामिल था. वही आतंकी अटैक जिसमें 2977 लोग अमेरिकी जमीन पर मारे गए.'

Joe Biden, America, President, Afganistan, Drone Attck, Ayman Al Zawahiri, Terrorist, Terrorism. Osama Bin Laden अमेरिका द्वारा की गयी ड्रोन स्ट्राइक और उसमें अयमान अल-जवाहिरी की मौत ने बाइडेन को दुनिया के सामने हीरो बना दिया है

इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात और कही, 'JUSTICE HAS BEEN DELIVERED' यानी न्याय कर दिया गया, इस बात को उन्होंने ट्विटर पर भी लिखा.

आर्टिकल का मुद्दा तो आपको पता चल ही गया इसपर भी थोड़ी और रौशनी डालेंगे लेकिन बिना पूरा मामला जाने कहानी आगे नहीं बढ़ेगी कि अमेरिका ने ये एयर-स्ट्राइक कैसे की और साथ ही खंगालेंगे अल-जवाहिरी का इतिहास और अल-कायदा का इतिहास भी पूरे कायदे से. इसके साथ ही आर्टिकल में विश्लेषण भी होगा.

इस आर्टिकल का मुद्दा ड्रोन स्ट्राइक के मिसाइल अटैक की तरह बिल्कुल अचूक है जिसमें टारगेट है तो सिर्फ हमारा मुद्दा यानी अयमान अल-जवाहिरी.. आप सोचेंगे कि मिसाइल अटैक किया गया लेकिन फिर भी केवल जवाहिरी मारा गया. ऐसा कैसे? इसका जवाब हम आपको आर्टिकल के अगले सेगमेंट में देंगे. फिलहाल बात ये कि अमेरिका ने अल-कायदा के चीफ अल-जवाहिरी को मार गिराया है. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अल-जवाहिरी की मौत की पुष्टि भी की है.

बाइडेन ने कहा कि जवाहिरी 9/11 की साजिश में शामिल था. 9/11 हमले के बारे में वैसे तो पूरी दुनिया अच्छी तरह से जानती है फिर भी आप सबको बताता चलूँ कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर एक भयंकर आतंकी हमला किया गया था. उस हमले को अंजाम दिया था आतंकवादी संगठन अल-कायदा ने जिसका मुखिया था ओसामा बिन-लादेन. उस वक्त अल-कायदा का सेकेंड-इन-कमांड था अल-जवाहिरी जिसने अमेरिका में चार विमानों को हाईजैक करने में मदद की थी.

इनमें से 2 विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावर्स से टकराए थे, तीसरा विमान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से टकराया था और चौथा विमान शेंकविले में एक खेत में क्रैश हुआ था. 9/11 हमले में 2977 लोगों की मौत हो गई थी. 2011 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतृत्व में ओसामा बिन-लादेन को मारकर अमेरिका सहित कई देशों का एक बदला तो ले लिया गया था लेकिन अल-जवाहिरी नंबर-2 से अल-कायदा का नंबर-वन बन बैठा था और उसको मार गिराए जाने का भी इंतजार था.

वैसे अल-जवाहिरी की मौत की खबर पर बराक ओबामा ने कई ट्वीट किए और राष्ट्रपति जो बाइडेन और खुफिया एजेंसियों के लोगों की कई सालों की मेहनत को सराहा.

साथ ही 9/11 अटैक में मारे गए परिवारों के प्रति संवेदनशील होते हुए बराक ओबामा ने लिखा कि ये उनके परिवारों को कुछ सुकून तो देगा.

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जवाहिरी का ताल्लुक इजिप्ट के प्रतिष्ठित परिवार से था और कभी वो ओसामा बिन लादेन का पर्सनल फिजीशियन था यानी डॉक्टर अल-जवाहिरी दशकों से अमेरिकियों पर हमले का मास्टरमाइंड रहा है. अल-जवाहिरी पर 25 मिलियन डॉलर यानी करीब 2 अरब रुपए का इनाम भी था. आपके मन में अल-जवाहिरी के बारे में और भी सवाल उठ रहे होंगे. जैसे – डॉक्टरी से पहले क्या किया? कहां रहा अल-जवाहिरी? ओसामा बिन-लादेन से कैसे मुलाकात हुई? आतंकी संगठन अल-कायदा कैसे बना?

वगैरह-वगैरह.. लेकिन इन सब का जवाब आपको आर्टिकल के इतिहास वाले भाग में मिलेगा.. अभी बात चल रही है मुद्दे की और वो है अल-जवाहिरी की मौत का मुद्दा.. ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद से आतंकी संगठन अल-कायदा का लीडर था अल-जवाहिरी.. जो अब 71 साल का हो चुका था लेकिन उसके जीवन के दिन बस इतने ही लिखे थे. 9/11 के करीब 21 साल बाद काबुल में एक घर में छिपे अयमान अल-जवाहिरी पर भी कहर टूट ही पड़ा.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जवाहिरी की मौत पर कहा- 'कोई फर्क नहीं पड़ता कितना समय हुआ, कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम कहां छिपे हो. अगर तुम हमारे लोगों के लिए खतरा हो, अमेरिका तुम्हें खोज निकालेगा.' आगे बढूं उससे पहले मुझे एक बात याद आ गई, अल-जवाहिरी की ही मौत पर डिस्कशन करते हुए पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने आज तक से कहा – ‘आतंक पर, जैश-ए-मोहम्मद पर स्ट्राइक के वक्त हमारे पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ये हमारा सिद्धांत है कि हम घर में घुसकर मारेंगे.

उन्होंने ये भी कहा था कि चुन-चुन के हिसाब लेना मेरी फितरत है. वो अगर सातवें पाताल में भी छुपे हों तो खींचकर-निकालकर मारूंगा. बिल्कुल यही किया है अमेरिका ने कि सातवें पाताल यानी अफगानिस्तान में अल-जवाहिरी को ढूंढ लिया है और उसको मार डाला है.’ आतंकवाद दुनिया के लिए लिए एक बड़ा और भयानक मुद्दा है और इसका डटकर मुकाबला होना ही चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आतंक के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाते रहे हैं और एक्शन लेते रहे हैं.

अमेरिका ने ओसामा बिन-लादेन को मारने के लिए भी स्ट्राइक की थी और अल-जवाहिरी के खात्मे के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने बताया, ‘कई सैन्य और राजनयिक बैठकों के बाद अल-जवाहिरी को मारने के मिशन को मंजूरी दी गई. ऑपरेशन सफल रहा और इस दौरान जवाहिरी के परिवार के किसी भी सदस्य को नुकसान नहीं पहुंचाया गया. न ही कोई नागरिक मारा गया. जब एक साल पहले मैंने फैसला किया कि अमेरिकियों को बचाने के लिए अफगानिस्तान में हमारे हजारों सैनिकों की कोई जरूरत नहीं है.

तब मैंने अमेरिकी जनता से वादा किया था कि हम अफगानिस्तान और उसके बाहर प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियान जारी रखेंगे. हमने बस यही किया है.’ मुझे लगता है अब आप लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे होंगे कि अल-जवाहिरी को खत्म करने का मिशन कब और कैसे हुआ? ये भी कि ऐसा कैसे संभव हुआ होगा कि सिर्फ अल-जवाहिरी मारा गया और उसके परिवार को कुछ नहीं हुआ? अमेरिका ने ऐसी कौनसी तकनीक या मिसाइल इस्तेमाल की जिसने तीर की तरह केवल अल-जवाहिरी को ही निशाना बनाया?

और हां शायद ये सवाल भी होगा जवाहिरी अमेरिका को मिला कैसे, दिखा कैसे कि उसे वो लोग मार पाए? ठीक है, ठीक है... सारे सवालों के जवाब के लिए चलते हैं आर्टिकल के अगले भाग में जिसमें हम जानेंगे कि पूरा मामला क्या है! अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार 1 अगस्त 2022 को ये जानकारी दी कि अल कायदा के चीफ अल-जवाहिरी को शनिवार को यानी 30 जुलाई की रात को ड्रोन हमले में मार दिया गया. अल जवाहिरी अफगानिस्तान के काबुल में छिपा था. जहां अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने एयर स्ट्राइक कर उसे ढेर कर दिया.

लेकिन इससे पहले भी जवाहिरी को मारने के लिए अमेरिका ने कोशिशें की हैं. 2001 में 9/11 के बाद अमेरिका गुस्से में तो था ही, दिसंबर 2001 में सूचना मिली कि जवाहिरी अफगानिस्तान के तोरा बोरा में छिपा हुआ लेकिन हमला होने से पहले जवाहिरी बचकर भाग निकला. स्ट्राइक में में उसकी एक बीवी और बच्चे मारे गए. 2006 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने अल-जवाहिरी को मारने के लिए फिर से जाल बिछाया था. उस वक्त सूचना मिली थी कि वो पाकिस्तान के दामदोला में छिपा हुआ है लेकिन फिर से मिसाइल हमला होने के पहले ही वो भाग निकला.

अप्रैल 2022 में अल-जवाहिरी ने एक वीडियो जारी किया था. 9 मिनट के इस वीडियो में जवाहिरी ने मिस्र, फ्रांस, और हॉलैंड को इस्लाम विरोधी बताया था. भारत में उस वक्त जारी हिजाब विवाद को लेकर भी जवाहिरी ने अपनी बेतुकी राय रखी थी. वो अक्सर ऐसे वीडियो जारी करके दहशत फैलाने के काम करता रहता था. अमेरिका ने चाहे एक ही ड्रोन हमले में जवाहिरी को मार गिराया लेकिन लेकिन इसके पीछे जो बाइडेन और उनके सलाहकारों की कई महीनों की सीक्रेट मीटिंग और प्लानिंग है.

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जो बाइडेन मिशन का आदेश देने से पहले इस बात कि पुष्टि कर लेना चाहते थे कि आखिर अल-कायदा चीफ अल-जवाहिरी कहां छिपा है? और इस बार वो हाथ से तो नहीं निकल जायेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को सबसे पहले अप्रैल में जवाहिरी के काबुल में छिपे होने की जानकारी मिली थी. अमेरिकी अधिकारियों को जवाहिरी को काबुल में नेटवर्क से मिलने वाली मदद के बारे में जानकारी थी. इतना ही नहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के माध्यम से उसकी पत्नी, बेटी और परिवार की पहचान की गई.

बताया जा रहा है कि जवाहिरी के घर में मौजूद महिलाएं आतंकवादी 'ट्रेडक्राफ्ट' का इस्तेमाल करती थीं. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि काबुल में जवाहिरी की लोकेशन की जानकारी सामने न आए. इतना ही नहीं जवाहिरी भी घर से बाहर नहीं निकला. जैसे-जैसे समय बीतता गया, अमेरिकी अधिकारियों ने घर में इस्तेमाल किए जाने वाले पैटर्न का पता किया. जैसे जवाहिरी कब-कब घर की बालकनी पर आता है. अमेरिकी अधिकारी लगातार उसकी गतिविधियों की निगरानी कर रहे थे.

इसके लिए अमेरिकी खुफिया विभाग ने कई महीनों तक तैयारियां कीं. जवाहिरी जिस घर में छिपा था, उसका एक छोटा सा मॉडल भी तैयार किया गया और उसे बाइडेन के लिए व्हाइट हाउस सिचुएशन रूम के अंदर रखा गया था ताकि अलग-अलग विकल्पों पर पूरा मामला डिस्कस हो सके, पूरी चर्चा हो सके. तो आखिरकार, कई महीनों की प्लानिंग के बाद शनिवार 30 जुलाई 2022 को स्ट्राइक करने का फैसला किया गया.

इस दौरान बाइडेन ने अमेरिकी अधिकारियों को साफ निर्देश दिया था कि इस ऑपरेशन में किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, चाहे वो जवाहिरी के परिवार के लोग ही क्यों न हों?फिर अमेरिका ने ऐसा ऑपरेशन तैयार किया जिससे इमारत को भी नुकसान न पहुंचे और दुनिया का नंबर 1 आतंकी टारगेट किया जा सके. अमेरिकी अधिकारियों ने बाइडेन के निर्देशानुसार इस बात का भी ध्यान रखा कि नागरिकों को नुकसान न पहुंचे.

जवाहिरी जिस घर में रह रहा था, वो बिल्डिंग शहर में थी. ऐसे में अमेरिका के सामने कई चुनौतियां भी थीं. इसे भी ध्यान में रखा गया कि प्लान लीक न हो, इसलिए काफी सीमित लोगों को इस प्लान में शामिल किया गया. इस दौरान बाइडेन ने स्ट्राइक से घर पर पड़ने वाले असर की भी जानकारी ली. हर विलेन एक गलती तो कर कर ही बैठता है. कुछ खबरों के मुताबिक, अल-जवाहिरी घर से बाहर तो नहीं निकलता था लेकिन उसे बालकनी में आने का शौक था और खुफिया एजेंसियों ने उस पैटर्न को भी फॉलो किया.

शनिवार को जब अल-जवाहिरी बालकनी में आया तो ड्रोन से Hellfire मिसाइल दागी गईं. मिसाइलों से काबुल में जवाहिरी के घर की बालकनी को ही टारगेट किया गया. इसके बाद खुफिया चैनलों ने इसकी पुष्टि की कि जवाहिरी मारा गया और उसके परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

अब आप सोचेंगे कि ये Hellfire मिसाइल क्या बला है जिसने ऐसा अटैक किया कि अल-जवाहिरी हलाक हो गया लेकिन आसपास कुछ नहीं हुआ? आइये उसकी भी जानकारी साझा कर ही ली जाए. अमेरिका की CIA ने R9X Hellfire मिसाइल का उपयोग किया है.

R9X Hellfire मिसाइल की खासियत –

इसमें बारूद कम लेकिन ब्लेड्स और धारदार मेटल्स का उपयोग ज्यादा किया जाता है.

ये ब्लेड्स विस्फोट के बाद टारगेट को चक्र की तरह घूमते हुए चीर-फाड़ डालते हैं.

मिसाइल को ड्रोन, हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट से दागा जा सकता है.

मिसाइल के सामने कैमरे और सेंसर्स लगे होते हैं.

कैमरे विस्फोट से पहले तक की रिकॉर्डिंग करते हैं.

सेंसर्स विस्फोट से पहले तक टारगेट की सही स्थिति का पता लगाते हैं, इससे निशाना सटीक लगता है.

बारूद का विस्फोट इन्हें सिर्फ तेजी से आगे बढ़ने की ताकत देता है.

मिसाइल फटने पर छह ब्लेड्स का एक सेट निकलता है. इनके सामने आने वाला कोई भी इंसान कई टुकड़ों में कट जाता है.

इससे सिर्फ उसी टारगेट को नुकसान पहुंचता है, जिसे निशाना बनाया जाता है. आसपास नुकसान कम होता है.

इसका वजन 45 किलोग्राम होता है.

इस मिसाइल को निंजा बॉम्ब और फ्लाइंग गिंसू भी कहते हैं.

निंजा इसलिए क्योंकि निंजा मार्शल आर्टिस्ट ज्यादातर तेजधार हथियारों का उपयोग करते हैं.

फ्लाइंग गिंसू यानी उड़ने वाला चाकू. क्योंकि इससे आसपास ज्यादा नुकसान नहीं होता.

ये मिसाइल किसी एक-दो इंसान को मारने के लिए दागी जाती है.

और यही काम आई अल-जवाहिरी को निपटाने में जिससे आस-पास कोई नुकसान नहीं हुआ.

अल-जवाहिरी की मौत ने निश्चित तौर पर अल-कायदा को तगड़ा झटका दिया है... आगे संगठन के लिए खुद को पहले जैसा ताकतवर बनाना आसान नहीं होगा लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक अल-कायदा के पास 20 हजार से अधिक लड़ाके हैं और आज भी ये कई देशों में मौजूद हैं. आज भी इसे हजारों करोड़ का फंड मिलता है जिसका इस्तेमाल ये दूसरे देशों में टेरर फैलाने और नए लड़ाकों को संगठन में शामिल करने के लिए करता है. ऐसे में ये कहना कि अल-जवाहिरी के बाद अलकायदा खत्म हो जाएगा.. ये तो बेमानी लगता है...

वहीं दूसरी ओर, अमेरिका ने 9/11 का दंश झेला है और वो हमेशा से कहता आया है कि अमेरिका अपने दुश्मनों को कभी नहीं भूलता.. अल-जवाहिरी को मौत देने के बाद बाइडेन ने भी इस बात को दोहराया है कि भले ही वक्त लगे लेकिन दुनिया को ये मालूम होना चाहिए कि अमेरिका को जिससे खतरा है वो ज्यादा दिनों तक बच नहीं पाएगा.

लेखक

निधिकान्त पाण्डेय निधिकान्त पाण्डेय @1nidhikant

लेखक आजतक डिजिटल में पत्रकार हैं.

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