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Updated: 14 जुलाई, 2022 08:50 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारत को 2047 तक 'इस्लामिक मुल्क' में तब्दील करने का विजन, मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश कर हथियार चलाने की ट्रेनिंग, हिंदुओं के खिलाफ नफरती सोच को बढ़ाने वाली बातें, धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए जहर बुझे भाषा की किताबें. ये सब कुछ देश में रहकर ही भारत के खिलाफ किया जा रहा है. दरअसल, बिहार के फुलवारी शरीफ में पटना पुलिस ने एक टेरर मॉड्यूल को उजागर किया है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक मोहम्मद जलालुद्दीन खुद पुलिस इंस्पेक्टर रह चुका है. वहीं, एक अन्य अतहर परवेज प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सदस्य रहा है. पटना टेरर मॉड्यूल केस में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई और एसडीपीआई का झंडा, बुकलेट, पैंम्फलेट वगैरह भी जब्त किये गए हैं.

Terror Module of PFI and SDPI is a real threat or statements of Asaduddin Owaisiपीएफआई संगठन लंबे समय से देश के मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पैंठ बनाता जा रहा है.

देश में अशांति और अस्थिरता का दूसरा नाम पीएफआई

ये वही पीएफआई संगठन है, जिसके तार देशभर में हुए सीएए विरोधी दंगों से जुड़े हैं. बताना जरूरी है कि कर्नाटक हिजाब विवाद को भड़काने में भी पीएफआई का ही हाथ था. इसी चरमपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई ने केरल में एक रैली निकाली थी. जिसमें एक बच्चा हिंदुओं और ईसाईयों को अपनी अंतिम यात्रा का इंतजार करने जैसी कई भड़काऊ नारे लगा रहा था. इसी पीएफआई से जुड़े केरल के कई लोग इस्लामिक आतंकी संगठन ISIS में भी शामिल हुए थे. इसी पीएफआई संगठन का राजनीतिक विंग एसडीपीआई है.

खाद-पानी देने वाले ओवैसी जैसों के बयान का क्या?

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी समेत कई मुस्लिम नेता अपने बयानों के जरिये ऐसे चरमपंथी इस्लामिक संगठनों को कवर-फायर देते रहते हैं. कभी तीन तलाक के खिलाफ कानून, कभी धारा-370 हटाने के विरोध, कभी हिजाब को मुस्लिमों की जरूरी पहचान, कभी सीएए का विरोध करने की आड़ में ये नेता अपने जहर बुझे शब्दों से टेरर मॉड्यूल चलाने वाले इन संगठनों के साथ मुस्लिम समुदाय का ब्रेनवॉश करते ही रहते हैं. वैसे, इन संगठनों को बढ़ावा देने में नेता अकेले नही हैं. सोशल मीडिया पर फैक्ट चेक के नाम पर अपना एजेंडा चलाने वाले मोहम्मद जुबैर भी कर्नाटक हिजाब विवाद से लेकर पीएफआई की रैली को लेकर फैक्ट चेक कर सही ठहरा देते हैं. तो, यहां सवाल उठना लाजिमी है कि टेरर मॉड्यूल खतरा है या उसे खाद-पानी देने वाले ओवैसी जैसों के बयान.

बैन करने से क्या ही हो जाएगा?

पीएफआई संगठन के कई सदस्य बैन किए जा चुके आतंकी संगठन सिमी से जुड़े रहे हैं. ये सब कुछ भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में खुलेआम चल रहा है. जिसमें गिरफ्तारियां और मामले भी दर्ज किए जाते हैं. लेकिन, आज तक केंद्र से लेकर राज्य सरकारें पीएफआई पर बैन नहीं लगा सकी हैं. वैसे, बैन लगाने से मिलेगा भी क्या? सिमी को बैन करने पर इसके सदस्य पीएफआई में घुस गए थे. तो, पीएफआई के बैन होने पर कोई और कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन तैयार कर लिया जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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