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Updated: 01 मार्च, 2018 06:20 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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तेजस्वी यादव लगता है होली के मूड में है. उन्‍होंने अपनी तुलना क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी से की है. उसी रेफरेंस में तेजस्वी की दलील है कि उनके बारे में कोई भी बात लोग इसलिए कह देते हैं क्योंकि वो पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखते हैं.

तेजस्वी यादव इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गये हैं. देखने में आया है कि सियासी हमले में जिस भाषा का इस्तेमाल हो रहा है उसे मर्यादा की हद के पार देखा जाता है. पहले भी और हाल फिलहाल भी, तेजस्वी को विधानसभा में बात बात पर टोकते देखा गया जिस पर नीतीश कुमार ने उन्हें नसीहत भी दी है.

एक अनपढ़ का जवाब!

बीबीसी हिंदी से एक विशेष बातचीत में बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके तेजस्वी यादव ने बिहार की राजनीति, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को चारा घोटाले में हुई सजा जैसे तमाम मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की. बातचीत में लालू की सजा को लेकर उनका गुस्सा भी दिखा और कहा कि सजा तो अभी छोटी अदालत से हुई है. तेजस्वी लगातार यही समझाते रहे कि ये सब लालू के खिलाफ साजिश है. तेजस्वी का सवाल रहा - जब चारा घोटाला 1977 से चल रहा है तो 1990 में मुख्यमंत्री बनने वाले लालू प्रसाद जिम्मेदार कैसे हुए? रांची कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी के लिए जिन लोगों को अवमानना का नोटिस मिला है उनमें तेजस्वी यादव भी हैं.

tejashwi yadavतेंदुलकर-धोनी से तुलना कितना वाजिब...

बातचीत के क्रम में ही तेजस्वी ने खुद को अनपढ़ कहे जाने पर सवाल उठाया और कहा कि इसी अनपढ़ का जवाब सत्ता में बैठे लोगों को नहीं मिल पा रहा है. पढ़ाई-लिखाई के सिलसिले में तेजस्वी ने अपनी तुलना सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी से कर डाली.

बीबीसी से बातचीत में तेजस्वी बोले, "मुझे अनपढ़ कहा जाता है जबकि इसका ज़िक्र नहीं किया जाता कि मैंने राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेला है. महेंद्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर सब मैट्रिक फ़ेल थे, लेकिन उनको कोई अनपढ़ नहीं कहेगा. मैं एक पिछड़े समाज का बेटा हूं इसलिए अनपढ़ कहा जाता है. इसी अनपढ़ का जवाब सत्ता में बैठे लोगों को नहीं मिल पा रहा है."

बात तो सब ठीक है लेकिन पढ़ाई लिखाई के मामले में पिछड़े समाज का होना कहां से आड़े आ गया? मीसा भारती तो तेजस्वी की ही बहन हैं और उनके पास डॉक्टर की डिग्री है. रही बात सवालों की तो वो तो उस पर भी उठ चुके हैं.

तो तेजस्वी के इस बयान को क्या समझें? तेजस्वी को अपनी पढ़ाई को लेकर कोई अफसोस तो नहीं? या फिर वो बताना चाहते हैं कि स्कूली शिक्षा या किताबी ज्ञान जीवन में बहुत मायने नहीं रखता. अगर ऐसा सोचते हैं तो भला किसे ऐतराज हो सकता है.

तेंदुलकर-धोनी और तेजस्वी में कोई तुलना ही नहीं

सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी की मिसाल देने से पहले तेजस्वी को बहुत कुछ सोच लेना चाहिये. चुनावी सभा में वोट लेने के लिए कुछ भी बोल देना अलग बात है. सचिन और धोनी ने जो मिसाल पेश की है उसमें उनकी पढ़ाई कभी आड़े नहीं आ सकती. तेजस्वी को भी ये समझाना होगा कि सचिन और धोनी की तरह उन्होंने कौन सी मिसाल पेश की है.

sachin, dhoniतेजस्वी की तुलना राहुल गांधी और अखिलेश यादव से ही संभव...

बेहतर तो ये होता कि तेजस्वी अपनी तुलना राहुल गांधी, अखिलेश यादव और एचडी कुमारस्वामी जैसे नेताओं से करते. क्योंकि अपनी एक ही योग्यता के बूते फिलहाल वो बिहार में विपक्ष के नेता हैं और नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाल चुके हैं. वरना मेहनत और काबिलियत की बात आएगी तो तेजस्वी की पार्टी में ही अब्दुल बारी सिद्दीकी, रामचंद्र पूर्वे और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे नेताओं के नाम लिये जाएंगे.

आखिर तेजस्वी में तेंदुलकर और धोनी जैसी कौन सी काबिलियत रही जो उन्हें कैबिनेट में नीतीश कुमार के बाद जगह दी गयी और अब्दुल बारी सिद्दीकी को उन्हीं के भाई तेज प्रताप यादव के भी बाद.

भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मुंछें न आने की दुहाई देना और अनपढ़ कहे जाने पर पिछड़े समाज का बेटा बताकर आखिर कब तक बचाव किया जा सकता है.

नीतीश से नोकझोंक और नसीहत

तेजस्वी से बीबीसी का एक और सवाल रहा - "तेजस्वी के कम अनुभवी नेता होने की बात कही जाती है, लेकिन आपका एजेंडा कितना नया है?" जवाब में तेजस्वी का कहना रहा - "एजेंडा, विज़न, ब्लू प्रिंट सब नया है. मुझे उप-मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई थी तो उसका काम आप देख सकते हैं." जिस काम का जिक्र तेजस्वी कर रहे हैं, उसका जिक्र हाल ही में विधानसभा में भी आया. विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण के दौरान तेजस्वी यादव लगातार टोटा टोकी कर रहे थे.

बार-बार टोकने पर नीतीश कुमार नाराज हो गये और तेजस्वी को धैर्य रखने की सलाह दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नीतीश कुमार बोले, 'जो बोल रहे हैं, उसे ध्यान से सुनिए. हम लोग काम करने आए हैं और बिहार की जनता ने काम करने के लिए हमें चुना है. मेरी बातों को समझिए, हम समझाने की कोशिश किये थे. शुरू में आप थोड़ा बहुत समझे भी थे, लेकिन बाद में आप समझने से मना कर दिये. ये जान लीजिए कि ट्वीट करने से सरकार नहीं चलती.'

नीतीश दरअसल तेजस्वी के हाल के ट्वीट से ज्यादा खफा नजर आ रहे हैं. वैसे भी तेजस्वी अपने ट्वीट में जिस तरह की बातें लिख रहे हैं उसको लेकर चर्चा यही है कि कहीं वो भाषायी मर्यादा की सीमा भी तो नहीं भूलते जा रहे.

तेजस्वी जिस बात की बदौलत डिप्टी सीएम बने उसी योग्यता के चलते नेता प्रतिपक्ष भी बने हुए हैं. पप्पू यादव की भी कभी वहीं निगाह थी, लेकिन लालू ने साफ कर दिया कि वारिस तो बेटा ही बनेगा. अगर पार्टी के हिसाब से देखा जाये तो लालू ने कुछ गलत भी नहीं कहा था, जब पार्टियां प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाई जाएंगी तो कारोबार औलाद नहीं संभालेगी तो और कौन संभालेगा भला.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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