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Updated: 05 जुलाई, 2020 10:17 PM
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बिहार में 'जंगलराज' के लिए तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने फिर से माफी मांगी है. राष्ट्रीय जनता दल के 24वें स्थापना दिवस के मौके पर तेजस्वी यादव ने अपने भाई तेजप्रताप यादव और पार्टी विधायकों के साथ साइकिल यात्रा निकाली. 10, सर्कुलर रोड पर राबड़ी देवी के आवास से निकाली गयी 5 किलोमीटर की इस साइकिल यात्रा का मकसद पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन रहा. 5 जुलाई, 1997 को जनता दल से अलग होकर लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी बनायी थी.

15 साल के लालू-राबड़ी शासन के दौरान हुई गड़बड़ियों के लिए तेजस्वी यादव ने फिर से माफी मांगी है. साथ ही, राहुल गांधी जैसी लाइन लेते हुए 2035 में दिल्ली फतह कर डालने का भी दावा किया है - बिहार चुनाव (Bihar Election 2020) से पहले ये सब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को वॉकओवर देने वाला है क्या?

तेजस्वी चाहते हैं कि नीतीश भी माफी मांगे, लेकिन क्यों?

तेजस्वी यादव ने हफ्ते भर के भीतर दूसरी बार माफी मांगी है. अभी 2 जुलाई, 2020 को ही एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लालू यादव और राबड़ी देवी सरकार में हुई गड़बड़ियों के लिए माफी मांगी थी. असल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन को जंगलराज बोल कर हमला करते हैं - और बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर ये संभावित मुद्दा नजर आने लगा है. ऐसा लगता है जैसे नीतीश कुमार के पास भी अपने 15 साल के शासन की कोई ऐसी बात बताने के लिए नहीं है, इसलिए वो 15 साल पहले के 15 साल के नाम पर फिर से ताल ठोक रहे हैं.

आरजेडी के स्थापना दिवस के मौके पर तेजस्वी यादव ने माफीनामे में एक बार फिर वही बातें दोहरायी - हमने स्वीकार किया है कि उन 15 साल में तेजस्वी तो था भी नहीं सरकार में, लेकिन फिर भी हम से अगर कोई भूल हुई होगी तो हमको माफ कीजिएगा.

नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए तेजस्वी यादव बोले, 'जिसके पास रीढ़ की हड्डी होती है वही झुकता है. जनता ने हम लोगों को सजा भी दी है - और 15 साल तक विपक्ष में बैठाया है.' खुद माफी मांगने के बाद तेजस्वी यादव अब तेजस्वी यादव की डिमांड है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी माफी मांगें. तेजस्वी का सवाल है, 'उनके 15 साल के शासन के दौरान प्रदेश में जितने भी घोटाले हुए हैं उसकी माफी वे कब मांगेंगे?'

तेजस्वी यादव लगता है चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ कर एनडीए ज्वाइन करने को फिर से उछालना चाहते हैं - क्योंकि नये सिरे से डीएनए का जिक्र तो यही इशारा करता है.

तेजस्वी यादव का कहना है - 'नीतीश कुमार में थोड़ी सी भी लज्जा नहीं है. ऐसे व्यक्ति में क्या लज्जा होगी जो डीएनए की भी गाली सुनकर नतमस्तक हो जाये? उनके अंदर कोई अंतरात्मा नाम की चीज नहीं रह गई है - हमको तो लगता है कि बंगाल की खाड़ी में उनकी अंतरात्मा डूब गई है.'

देश और बिहार के बहाने तेजस्वी यादव ने पिता लालू प्रसाद यादव को भी याद किया और समझाने की कोशिश की कि लालू यादव का इस वक्त बाहर रहना कितना जरूरी था. लालू यादव फिलहाल चारा घोटाले में मिली सजा काट रहे हैं और रांची के जेल में बंद हैं.

तेजस्वी ने कहा - 'देश जिस दौर से गुजर रहा है ऐसे में लालू यादव को बाहर रहना बेहद जरूरी था... लालू जी की सबसे ज्यादा कमी इस वक्त संसद में महसूस की जा रही है!'

तैयारी दिल्ली की - राहुल गांधी - 2024, तेजस्वी यादव - 2035!

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के एक नेता भर्तृहरि महताब ने राहुल गांधी के बारे में एक बार कहा था कि लगता है वो 2024 के संसदीय चुनावों की तैयारी कर रहे हैं. ये तब की बात है जब राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हुआ करते थे. अब तो 2019 का चुनाव भी हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र फिर से सरकार चला रहे हैं, जबकि राहुल गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी छोड़ चुके हैं.

2019 के चुनाव से पहले राहुल गांधी से तेजस्वी यादव भी काफी प्रभावित लगते थे. एक बार दिल्ली में राहुल गांधी के साथ बाहर जाकर लंच करने के बाद तेजस्वी यादव ने कांग्रेस नेता के साथ की तस्वीर भी बड़े गर्व के साथ ट्विटर पर शेयर की थी. तेजस्वी और राहुल गांधी के बीच फिलहाल वैसी गर्माहट तो नहीं नजर आती, लेकिन अभी तक तो यही लगता है कि महागठबंधन के नाम पर बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ आरजेडी और कांग्रेस ही बचने वाले हैं.

tejashwi yadav, rahul gandhiतेजस्वी यादव की राजनीति भी राहुल गांधी के रास्ते पर ही चल रही है

राहुल गांधी की तैयारी जैसी भी रही हो, लगता है तेजस्वी यादव को राहुल गांधी का राजनीतिक दर्शन अच्छा लगने लगा है. वैसे भी जिस राजनीतिक विरासत को राहुल गांधी ढो रहे हैं, तेजस्वी यादव भी उसी खूंटी से बंधे हैं. जो हाल राहुल गांधी का सोनिया गांधी के पार्टी पर पकड़ ढीली करने के बाद हुआ, तेजस्वी यादव की राजनीति में भी लालू प्रसाद के फिर से जेल चले जाने के बाद वैसे ही लक्षण दिखायी दे रहे हैं.

आरजेडी कार्यकर्ताओें से मुखातिब तेजस्वी यादव कहते हैं, 'जिस दिन हमारी पार्टी के लोग थोड़ा धैर्य दिखाएंगे, मतभेद को मिटाएंगे. व्यक्तिगत हित को छोड़कर जिस दिन पार्टी हित में खड़े हो जाएंगे, हम दावा करते हैं 2035 में हम दिल्ली में झंडा फहरा देंगे. एक बार आरजेडी के ईमानदार सिपाही एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे तो कोई माई का लाल हम लोगों को हरा नहीं सकता.'

अब इससे बड़ी अजीब बात क्या होगी कि सिर पर विधानसभा का चुनाव सवार है और तेजस्वी यादव आरजेडी कार्यकर्ताओं को दिल्ली में पार्टी की सरकार बनाने का सपना दिखा रहे हैं - और वो भी नजदीकी भविष्य में नहीं बल्कि 2035 में. फिलहाल कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया तब तक किस हाल में होगी, किसी को भी नहीं मालूम.

2015 के विधानसभा चुनाव के बाद एक बार लगा था कि तेजस्वी यादव आरजेडी की इमेज सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लक्षण ज्यादा दिन नहीं दिखे. तेजस्वी के डिप्टी सीएम और तेज प्रताप यादव के स्वास्थ्य मंत्री बनने के कुछ दिन के बाद ही सरकार में लालू यादव का हस्तक्षेप बढ़ने लगा था, ऐसा नीतीश कुमार ने भी महसूस किया था - और महागठबंधन से उनके पीछा छुड़ाने की एक वजह वो भी बना.

ऐसा लगता है तेजस्वी यादव खुद को नये सिरे से लांच करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ ऐसे जैसे वो लालू-राबड़ी राज से दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हों - बार बार जंगलराज के लिए माफी मांगना तो यही कहता है.

तेजस्वी यादव आरजेडी को मुस्लिम-यादव फैक्टर से भी आगे ले जाने के प्रयास कर रहे हैं. कहते हैं, आरजेडी केवल मुस्लिम और यादवों की पार्टी है. तेजस्वी आरजेडी को अब नये जमाने की 'ए टू जेड' की पार्टी बता रहे हैं. मुश्किल तो यही है कि तेजस्वी यादव के पास लालू-राबड़ी से इतर अपने बूते बताने के लिए कुछ भी नहीं है. वो बार बार 15 साल पहले अपनी उम्र की दुहाई वैसे ही दे रहे हैं जैसे भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर मूंछों की बात कर रहे थे - और ये सब बातें घूम फिर कर नीतीश के पक्ष में चली जाती हैं.

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