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Updated: 07 दिसम्बर, 2022 03:18 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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2013 से पहले दिल्ली में कांग्रेस नेता के तौर पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम का डंका बजता था. भले ही एमसीडी में भाजपा का कब्जा रहा हो. लेकिन, दिल्ली में विधानसभा से लेकर एमसीडी तक कांग्रेस का दबदबा रहता था. लेकिन, 2013 में आम आदमी पार्टी के उभार के बाद से ही दिल्ली में कांग्रेस लगातार पिछड़ती गई. और, इस कदर पिछड़ चुकी है कि अब एमसीडी चुनाव में इकाई के आंकड़े को पार करना भी कांग्रेस के लिए मुश्किल हो रहा है. इतना ही नहीं, दिल्ली में कांग्रेस की हालत ऐसी हो चुकी है कि अब वो अपनी हार से ज्यादा भाजपा की शिकस्त से खुश नजर आ रही है.

Tehseen Poonawalla slams Congress Leader over MCD Elections Results celebrating BJP defeatपश्चिम बंगाल में भाजपा को हराने पर राहुल गांधी ने भी ममता बनर्जी की तारीफ की थी.

एमसीडी चुनावों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने ट्वीट कर लिखा है कि 'मैं बहुत निराश हूं. दिल्ली कांग्रेस प्रवक्ता कह रहे हैं, कम से कम भाजपा एमसीडी चुनाव नहीं जीत रही है. कांग्रेस कब सीखेगी कि भाजपा की हार का उत्सव मनाना बेहूदा है. और, पार्टी को खत्म कर रहा है. जब भी तीसरी पार्टी उभरती है, कांग्रेस अप्रासंगिक हो जाती है. लेकिन, ये कब सीखेंगे. ये मेरी आंखों के सामने हो रहा है. दिल्ली कांग्रेस नेता भाजपा के समर्थक से कहते हैं कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के मुख्यमंत्रियों के चुनाव प्रचार करने के बावजूद भाजपा एमसीडी चुनाव नहीं जीत रही है.' 

ये पहला मामला नहीं है. जब कांग्रेस के नेता अपनी हार से ज्यादा भाजपा की हार से खुश नजर आए हों. बीते साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए ममता बनर्जी को बधाई दी थी. और, ये बधाई तब दी गई थी. जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी. और, अब एमसीडी चुनाव में इकाई के आंकड़े में सिमट चुकी कांग्रेस पार्टी के नेता भी राहुल गांधी की इसी लाइन पर चलते नजर आ रहे हैं.

आमतौर पर चुनावों में हार के बाद हारने के कारणों पर चर्चा की जाती है. लेकिन, कांग्रेस न सिर्फ दिल्ली में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी पार्टी बनती जा रही है. जो 'पराए दुख में अपना सुख' खोजने लगी है. कांग्रेस को अपनी हार से ज्यादा इस बात पर खुशी होने लगी है कि भाजपा सत्ता में नहीं आई. वैसे, तहसीन पूनावाला कांग्रेस के आलाकमान तक भी ये बात पहुंचा सकें. तो, शायद पार्टी में कुछ सुधार नजर आ सकता है. एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 131 सीटों पर जीत हासिल की हैं. वहीं, भाजपा ने 99 और कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की है. अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली है. अभी 10 सीटों पर नतीजे आने बाकी हैं.

दिल्ली में शीला दीक्षित का राज खत्म होने के साथ ही कांग्रेस का लगातार गर्त में जाना शुरू हो गया. 2013 के विधानसभा चुनाव में 24.60 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस 2015 के चुनाव में 9.70 फीसदी पर सिमट गई थी. वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत महज 4.26 फीसदी ही रह गया था. जबकि, 2015 और 2020 में भाजपा का वोट प्रतिशत क्रमश: 32.30 फीसदी और 38.51 फीसदी तक पहुंच गया था. लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का वोट प्रतिशत आम आदमी पार्टी ने ही खा लिया. आसान शब्दों में कहें, तो दिल्ली में कांग्रेस के वोटों को काटकर ही आम आदमी पार्टी ने खुद को मजबूत कर लिया. और, कांग्रेस बस खड़े देखती ही रही.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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