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Updated: 20 जुलाई, 2018 09:39 PM
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अविश्वास प्रस्ताव किसी आम चुनावी रैली जैसा ही होगा, ये तो पहले से ही लग रहा था. पूरे होम वर्क और डाटा के साथ टीडीपी की ओर से पेश प्रस्ताव से कई और भी बातें धीरे धीरे साफ होती चली गयीं.

गुंटूर से तेलुगु देशम पार्टी के सांसद जयदेव भल्ला को अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अपने नेता नारा चंद्रबाबू नायडू का इरादा भी साफ करते देर न लगी. टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव में बढ़ चढ़ कर भागीदारी निभाने वाली कांग्रेस को भी नहीं बख्शा और आंध्र प्रदेश के मौजूदा हालात के लिए बीजेपी के साथ ही उसे बराबर का दोषी करार दिया है.

टीडीपी को पता है कि ये उसके अस्तित्व की लड़ाई है, लेकिन उसका इशारा तीसरे मोर्चे में सिर्फ हिस्सेदारी भर नहीं, बल्कि उससे कहीं ज्यादा लगता है.

'मोदी सरकार को दे रहे श्राप'

अविश्वास प्रस्ताव के बहाने टीडीपी ने आंध्र प्रदेश के लोगों के नाम पर न सिर्फ गुस्से का इजहार किया बल्कि बोलने के लिए वक्त की पाबंदी पर भी पार्टी सांसदों ने सीट पर चढ़ कर विरोध जताया.

अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला ने पूछा, "क्या आपको लगता है कि आंध्र प्रदेश के लोग आप पर भरोसा करेंगे?" और एक बार जब जयदेव गल्ला शुरू हुए फिर तो श्राप देकर ही माने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हुए बोले, "आप कुछ और ही गा रहे हैं, जिसे आंध्र प्रदेश की जनता ध्यान से देख रही है... और वे अगले चुनाव में इसका सटीक जवाब देंगे... आंध्र प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया गया तो सूबे में बीजेपी साफ हो जाएगी, जिस तरह कांग्रेस हुई थी. प्रधानमंत्री जी, ये धमकी नहीं है, श्राप है..."

rakesh singhअविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी की ओर से राकेश सिंह ने चुन चुन कर जवाब दिये

जब बीजेपी सांसद राकेश सिंह सरकार का पक्ष रखने आये तो जयदीप गल्ला को ही शापित करार दिया. जयदीप गल्ला ने कहा, "गल्ला जी कह रहे थे वो श्राप दे रहे हैं, आप तो वैसे ही शापित हो गए जैसे कांग्रेस के पास आकर खड़े हो गए." राकेश सिंह ने ये भी समझाया कि विपक्षी दलों को अविश्वास प्रस्ताव में वैसे ही जहर पीना पड़ रहा है जैसे कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी का रोना और जहर की घूंट पीने की बात कहना.

जयदेव गल्ला ने अविश्वास प्रस्ताव में सवालों और आरोपों की झड़ी लगा दी - 'मोदी सरकार ने आंध्र प्रदेश के लोगों के साथ धोखा किया है.' 'आंध्र प्रदेश के लोग ठगे गए हैं, प्रधानमंत्री आंध्र प्रदेश के लोगों के साथ इस तरह धोखा कैसे कर सकते हैं?' क्या आपके वादों में कोई ताकत है?' 'सदन के पटल पर कहे गए शब्दों की आपके लिए कोई अहमियत है?'

बुंदेलखंड से बाहुबली तक

आंध्र प्रदेश पर फोकस अपने अविश्वास प्रस्ताव में टीडीपी ने बुंदेलखंड से लेकर फिल्म बाहुबली के कलेक्शन तक का हवाला दिया. टीडीपी सांसद ने कहा कि 'ये धर्मयुद्ध है' और आज इस संसद का 'लिटमिस टेस्ट' है.

टीडीपी सांसद ने आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस की मांग करते हुए कहा, 'हम आंध्र प्रदेश के लोगों के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने की मांग नहीं कर रहे हैं. हम अधिकार की मांग कर रहे हैं.'

टीडीपी सांसद ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के साथ बुंदेलखंड से भी ज्यादा भेदभाव हुआ है. अपनी बात समझाने के लिए टीडीपी ने बाहुबली की की कमाई की भी मिसाल दे डाली, 'आंध्र प्रदेश को जितना पैसा दिया गया उससे ज्यादा को सुपरहिट फिल्म बाहुबली ने कलेक्शन किया है.'

कांग्रेस को भी नहीं बख्शा

अविश्वास प्रस्ताव पर राहुल गांधी के भाषण में एक बात गौर करने वाली ये भी रही कि उन्होंने टीडीपी के हमले को पूरी तरह नजरअंदाज किया. ऐसा तब भी किया जब टीडीपी ने मोदी सरकार के साथ साथ कांग्रेस को भी निशाना बनाया था.

टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए सीधे सीधे इल्जाम लगाया, "कांग्रेस और बीजेपी दोनों की वजह से आंध्र प्रदेश की हालत खराब हुई."

खबर है कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने टीडीपी को साधने में सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम की मदद ली थी. कांग्रेस चाहती थी कि अविश्वास प्रस्ताव में आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल पैकेज से इतर भी कुछ बातें हो जो पूरे विपक्ष की राजनीति को कवर करे. टीडीपी ने भ्रष्टाचार की बात करने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट कर विपक्ष के लिए ग्राउंड तैयार तो किया लेकिन ज्यादातर वक्त आंध्र प्रदेश पर ही फोकस रही. मोदी को निशाने पर लेते हुए टीडीपी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था - 'न खाऊंगा न खाने दूंगा, पर उन्होंने भ्रष्टाचारियों को बचाया.' टीडीपी का सवाल था कि प्रधानमंत्री जब जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं तो कर्नाटक चुनाव में रेड्डी बंधुओं के रिश्तेदारों को टिकट क्यों दिया?

अविश्वास प्रस्ताव के बहाने टीडीपी ने साफ कर दिया है कि 2019 में ऐसे मोर्चे में उसकी दिलचस्पी है जो बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के भी खिलाफ हो. इतना ही नहीं कांग्रेस को बीजेपी के बराबर लताड़ कर टीडीपी ने ये जताने की भी कोशिश की है कि उसकी दिलचस्पी सिर्फ तीसरे मोर्चे की हिस्सेदारी ही नहीं, बल्कि नेतृत्व में भी काफी हद तक है.

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