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Updated: 05 फरवरी, 2023 06:43 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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ये भी चुनावी साल है, और आने वाला साल भी. नौ राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद 2024 में देश में आम चुनाव होने वाला है. संघ, बीजेपी, कांग्रेस और तमाम राजनीतिक दलों की तैयारियां तो समझ में आती हैं - लेकिन योग सिखाते और पतंजलि ब्रांड का प्रमोशन करते करते स्वामी रामदेव का अचानक हिंदू-मुस्लिम (Muslims) लेक्चर शुरू कर देना थोड़ा हैरान जरूर करता है.

स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) के पॉलिटिकल कनेक्शन को लेकर किसी को कोई शक-शुबहा तो किसी को कभी नहीं रहा, लेकिन नये सिरे से उनका सक्रिय हो जाना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर जरूर करता है. आखिर स्वामी रामदेव लव जिहाद जैसी बातें क्यों करने लगे हैं. ये तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुराना एजेंडा रहा है, लेकिन अब तो वो भी ऐसी बातों से बचते देखे जा सकते हैं. हां, लव जिहाद और घर वापसी जैसे अपने फेवरिट एजेंडे को डाउनप्ले करते हुए वो जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्षधर हो गये हैं - स्वामी रामदेव के निशाने पर सच में मुस्लिम समुदाय ही है या फिर योगी आदित्यनाथ के लिए भी कोई खतरे वाली बात है?

शाहरुख खान की फिल्म पठान को लेकर हुए विवाद पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी और उत्तर प्रदेश में ही अपनी गिरफ्तारी को लेकर केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के बयान के साये में मुस्लिम समुदाय के बारे में स्वामी रामदेव के मन की बात को समझना और भी ज्यादा जरूरी लगता है?

2014 में स्वामी रामदेव के शिविरों की निगरानी के बाद चुनाव आयोग के एक्शन ने उनका राजनीतिक एजेंडा (Political Agenda) तो साफ कर ही दिया था, बाद में बाबुल सुप्रियो के बीजेपी का टिकट पाने के रहस्योद्घाटन ने तो मुहर ही लगा दी थी. बीजेपी छोड़ कर बाबुल सुप्रियो फिलहाल पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में मंत्री बने हुए हैं.

बाबा रामदेव की मुस्लिम समुदाय पर विवादास्पद टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब बाल विवाह के खिलाफ असम पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं. असम के मुस्लिम नेता बदरुद्दीन अजमल ने हिमंत बिस्वा सरमा सरकार पर बाल विवाह के बहाने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने का बड़ा इल्जाम लगाया है.

ऐसे बयान अक्सर ही बीजेपी के छुटभैये नेताओं की तरफ से आते रहे हैं. खासकर वे जो जैसे भी मुमकिन हो, चर्चा में आने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं. स्वामी रामदेव तो की तो अब हर अदा ही चर्चित रहती है, ऐसे में उनके मुस्लिमों पर टिप्पणी की खास वजह भी होगी और वो बाकियों से अलग ही होगी.

अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी का कहना है कि ऐसे बयान देकर स्वामी रामदेव बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं - और प्रतिक्रिया में सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने स्वामी रामदेव को कुरान पढ़ने की सलाह दे डाली है.

योग सिखाने के बहाने लोगों का भरोसा जीत लेने के बाद स्वामी रामदेव ने कारोबार का रुख किया. पतंजलि को लोकप्रिय ब्रांड बनाते स्वामी रामदेव को ज्यादा देर भी नहीं लगी. कैंसर के बाद कोरोना के इलाज के दावे की वजह से स्वामी रामदेव विवादों में भी रहे, और बीच में तो ऐसा भी लगा जैसे वो बीजेपी से थोड़ी दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका ताजा बयान कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है?

सवाल ये भी है कि स्वामी रामदेव ने मुस्लिम समुदाय पर टिप्पणी के लिए राजस्थान की जमीन का इस्तेमाल क्यों किया? क्या ये सब 'मोहब्बत की दुकान' खोलने जैसे दावों को काउंटर करने की कोई परोक्ष रणनीति भी हो सकती है?

रामदेव का नया एजेंडा क्या है

मुस्लिम समुदाय को लेकर राजस्थान के बाड़मेर में एक कार्यक्रम के दौरान स्वामी रामदेव कह रहे थे, उनके स्वर्ग का मतलब है कि टखने के ऊपर पायजामा पहनो... मूंछ कटवा लो और टोपी पहन लो... ऐसा कुरान कहता है या इस्लाम कहता है? ये मैं नहीं कह रहा... फिर भी ये लोग ऐसा कर रहे हैं... फिर कहते हैं हमारी जन्नत में जगह पक्की हो गई... जन्नत में हूरें मिलेंगी... ऐसी जन्नत तो जहन्नुम से भी बेकार है... बस पागलपन है... सारी जमात को इस्लाम में तब्दील करना है... इसी चक्कर में पड़े हुए हैं।

और स्वामी रामदेव के ये सब कहने का मकसद विवाद खड़ा करना ही लगता है. सुनिये और समझिये जरा, 'मुसलमान सुबह की नमाज पढ़ते हैं... उसके बाद उनसे पूछो कि तुम्हारा धर्म क्या कहता है? बस पांच बार नमाज पढ़ो... उसके बाद मन में जो आये वो करो... हिंदुओं की लड़कियों को उठाओ - और जो भी पाप करना है वो करो.'

बोले, 'मुस्लिम समाज के बहुत से लोग ऐसा करते हैं, लेकिन नमाज जरूर पढ़ते हैं... आतंकवादी और अपराधी बनकर खड़े हो जाते हैं - लेकिन नमाज जरूर पढ़ते हैं.'

swami ramdevस्वामी रामदेव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा कहीं फिर से तो नहीं जाग उठी है?

लगे हाथ स्वामी रामदेव ने हिंदुत्व की अहमियत भी समझायी, 'वो इस्लाम का मतलब ही नमाज समझते हैं... यही सिखाया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है.'

मुस्लिमों के साथ ही स्वामी रामदेव ने ईसाई धर्म को लेकर भी अपनी राय जाहिर की, 'चर्च में जाओ और दिन में भी मोमबत्ती जलाकर ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ... सारे पाप साफ हो जाते हैं... ईसाई समाज यही सिखाता है.'

स्वामी रामदेव की बातें सुनने के बाद बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा बयान को याद करने पर मामूली फर्क ही नजर आता है. नुपुर शर्मा के बयान में मोहम्मद साहब का जिक्र आया था - और रामदेव इस्लाम धर्म का नाम लेकर अपनी बात कह रहे हैं.

अंदर अंदर जो भी चल रहा हो, लेकिन लखीमपुर खीरी वाले केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के अलावा किसी भी बीजेपी नेता ने अब तक नुपुर शर्मा के मामले में मुंह नहीं खोला है. ये मैसेज देने की भी कोशिश हो रही है कि वो अपनी लड़ाई खुद लड़ रही हैं. हाल ही वो दिल्ली पुलिस की तरफ से दिये गये गन लाइसेंस के लिए थोड़ी देर के लिए चर्चा में आयी थीं.

नुपुर शर्मा के मामले में बीजेपी का स्टैंड तो यही बता रहा है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर वो आगे से डायरेक्ट अटैक से बचने की कोशिश करेगी - और उसके लिए स्वामी रामदेव जैसे मददगारों पर ही निर्भर रहने का फैसला किया है.

वैसे भी स्वामी रामदेव ने जो कुछ कहा है वो किसी योग गुरु और आम कारोबारी के वश की बात नहीं है. ऐसी बातें तो कोई पॉलिटिशियन ही कर सकता है या फिर जिसे राजनीतिक समर्थन हासिल हो.

भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे आंदोलन से उत्साहित स्वामी रामदेव की भी महत्वाकांक्षा का असली नजारा दिल्ली के रामलीला मैदान में ही देखा गया था, लेकिन राजनीतिक मोलभाव में दांव उलटा पड़ा और स्वामी रामदेव को आधी रात को लेडीज सूट पहन कर भागना पड़ा था.

मुस्लिम समुदाय पर बयान देकर स्वामी रामदेव ने एक बार फिर वैसी ही कोशिश की है, लेकिन मुद्दा बदल गया है. अब मामला हिंदू-मुस्लिम की राजनीति में तब्दील हो गया है - और इसीलिए सवाल उठ रहा है कि स्वामी रामदेव अब किसके लिए बैटिंग कर रहे हैं?

ऐसे में जबकि असम में बाल विवाह के खिलाफ चलाये जा रहे कैंपेन में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाये जाने के आरोप लग रहे हैं, स्वामी रामदेव का बयान एक खास एजेंडे की तरफ ही इशारा कर रहा है.

योग गुरु के निशाने पर 'मोहब्बत की दुकान' है क्या?

स्वामी रामदेव का ये बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होने के बाद आया है - वो भी राजस्थान के बाड़मेर से. राजस्थान, जहां कांग्रेस की सरकार है और साल के आखिर में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.

असम में गिरफ्तारियों पर विवाद: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा राज्य में बाल विवाह के खिलाफ हफ्ते भर का अभियान चला रहे हैं. असम पुलिस के मुताबिक, बाल विवाह के खिलाफ एक्शन के लिए जो सूची तैयार की गयी है, उसमें करीब 8 हजार आरोपी शामिल हैं.

करीब 4 हजार केस दर्ज किये गये हैं और पहले ही दिन पूरे राज्य से करीब 2 हजार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. गिरफ्तार लोगों 50 से ज्यादा पुरोहित और काजी भी शुमार हैं जिन पर आरोप है कि अलग अलग धार्मिक संस्थानों में उन लोगों ने नाबालिगों की शादी करायी है.

असम के धुबरी से AIUDF सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल का आरोप है कि पुलिस कार्रवाई में ज्यादातर शिकार मुस्लिम ही होंगे, 'इसमें 90 फीसदी लड़के-लड़कियां मुसलमान होंगे... ये एकतरफा गिरफ्तारी करेंगे... हमें मालूम है... इनका मिजाज मुसलमान विरोधी है.'

हिमंत बिस्वा सरमा पर सीधा हमला बोलते हैं, 'हमारे मुख्यमंत्री साहब कभी-कभी अचानक ख्वाब देखते हैं... बहुत दिन हो गया मैंने मुसलमानों को नहीं सताया... वो नींद से उठते हैं... और शुरू कर देते हैं कि किन-किन योजनाओं से मुसलमानों को सता सकते हैं.'

पुलिस एक्शन के खिलाफ बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरी हैं. वे अपने पतियों और बेटों की गिरफ्तारी के खिलाफ हैं. मजुली जिले की रहने वाली 55 साल की निरोदा डोले का सवाल है, 'सिर्फ मर्दों को ही क्यों पकड़ा जा रहा है? हम और हमारे बच्चे कैसे जिएंगे? हमारे पास आमदनी का कोई साधन नहीं है.'

assam police action against child marriageराजनीति की बात अलग है, लेकिन असम में बाल विवाह की समस्या पुलिस कार्रवाई से नहीं खत्म होने वाली है

मीडिया से बातचीत में अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक महिला स्वीकार करती है कि उसका बेटा एक नाबालिक लड़की के साथ भागा है, लेकिन महिला का सवाल भी वाजिब है, 'गलती उसने की, लेकिन मेरे पति को क्यों गिरफ्तार किया गया?'

पुरोहित और काजी के खिलाफ केस तो सीधे सीधे बनता है, लेकिन अगर किसी का बेटा किसी लड़की के साथ भाग जाता है तो उस पर भला केस क्यों बनना चाहिये - ये बड़ा सवाल है. अगर शादी में पुरोहित और काजी के साथ साथ पिता भी शामिल होता है तो बात और है.

हिमंत बिस्वा सरमा सरकार के इस कदम को धार्मिक नजरिये से देखे जाने की एक बड़ी वजह भी है. असम पुलिस ने बाल विवाह के जो केस दर्ज किये हैं, उनमें से ज्यादातर इलाके मुस्लिम बहुल आबादी वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि ये आबादी बंगाली मूल के मुसलमानों की ही है. साथ ही कुछ स्थानीय जनजातियों में भी बाल विवाह के मामले देखे गये हैं.

मोरिगांव निवासी मोनवरा खातून की बातें वस्तुस्थिति का अलग ही पहलू उजागर करती हैं, 'मेरी बहू 17 साल की थी, जब उसकी शादी हुई. अब वो 19 साल की हो चुकी है - और पांच महीने की गर्भवती है - अब उसकी देखभाल कौन करेगा?'

ये केस जान कर तो यही समझ में आता है कि मामला बेहद गंभीर हो चुका है. और सिर्फ कानूनी तरीके से इसका समाधान नहीं निकलने वाला है. अब ये सामाजिक समस्या बन चुकी है. ऐसा भी नहीं है कि बाल विवाह कानून कोई अभी अभी बना है. लेकिन इतनी देर से सरकार की नींद खुलने का मतलब समझना मुश्किल हो रहा है.

ये तो लोग भी मान रहे हैं कि नाबालिगों की शादी हो रही है, और ये नहीं होनी चाहिये. लेकिन पुलिस एक्शन का साइड इफेक्ट बहुत बुरा लग रहा है. पुलिस का एक्शन एहतियाती तौर पर होना चाहिये - न कि बिलकुल ब्लैंकेट एक्शन.

पठान के बहाने योगी का संदेश: आज तक के साथ एक इंटरव्यू में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये समझाने की कोशिश की है कि शाहरुख खान की फिल्म पठान को लेकर उनके राज्य में कोई विरोध नहीं हुआ. एक घटना का वो जिक्र भी करते हैं जो सिनेमा हाल में रील बनाने को लेकर मामूली विवाद था.

लेकिन योगी आदित्यनाथ ने ये भी साफ कर दिया है कि 'लोगों की भावनाओं के साथ किसी को खिलवाड़ करने और उन्हें भड़काने के लिए कोई छूट नहीं दी जाएगी.'

कप्पन की गिरफ्तारी की वजह मुस्लिम होना नहीं!: केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में ऐसी बात कही है, जो अब तक जतायी जा रही आशंकाओं को गलत बता रही है - अब तक यही धारणा बनी रही कि सिद्धीक कप्पन को मुस्लिम होने की वजह से गिरफ्तार किया गया था.

28 महीने जेल में बिताने के बाद रिहा किये गये सिद्दीक कप्पन का कहना है, 'मैं नहीं कहूंगा कि मुस्लिम होने की वजह से मुझे गिरफ्तार किया गया. सब लोग ऐसा कहते हैं, लेकिन मैं नहीं मानता. मैं तो यही कहूंगा कि मुझे पत्रकार होने के नाते गिरफ्तार किया गया - और वो भी केरल का पत्रकार होने की वजह से.'

निशाने पर मोहब्बत की दुकान: असम में जो कुछ हो रहा है, उसमें सरकार और वहां के लोग दोनों ही बाल विवाह के लिए जिम्मेदार लगते हैं, लेकिन सिद्दीक कप्पन का बयान यूपी की बीजेपी सरकार की पुलिस को क्लीन चिट दे रहा है - ऐसी परिस्थितियों में मुस्लिम समाज को लेकर स्वामी रामदेव का बयान एकबारगी अप्रासंगिक भी लगता है, लेकिन उसके राजनीतिक होने से बिलकुल भी इनकार नहीं किया जा सकता.

समाजवादी पार्टी का सीधा इल्जाम है कि स्वामी रामदेव अपनी तरफ से बीजेपी के फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर मुसलमान गुनाह करता है तो उसे इसी दुनिया में सजा मिलेगी - और मरने के बाद भी सजा मिलेगी. समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का कहना है कि स्वामी रामदेव लोगों को धोखे में लाकर 2024 में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं.

और उसके साथ ही सांसद बर्क का दावा है कि राहुल गांधी ने जो मेहनत की है, उससे बीजेपी को खतरा है. बर्क का इशारा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तरफ है. राहुल गांधी संघ और बीजेपी पर नफरत फैलाने का इल्जाम लगाते हुए उसके खिलाफ देश भर में मोहब्बत की दुकान खोलने का ऐलान कर चुके हैं - क्या ये सारी घटनाएं जिनके केंद्र में मुस्लिम समुदाय कहीं न कहीं नजर आता है भारत जोड़ो यात्रा की वजह से ही हो रही हैं - और स्वामी रामदेव का बयान भी?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

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