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Updated: 07 अगस्त, 2019 02:37 PM
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सुषमा स्वराज ने 6 अगस्त शाम 7.23 पर ट्वीट करके इस बात को लेकर अपनी खुशी जाहिर की कि वो कश्मीर से धारा 370 हजाए जाने से कितनी खुश हैं. सुषमा स्वराज ने लिखा- 'मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी'. और जैसे उन्होंने ये लिखकर इस बात की तस्दीक कर दी थी कि वास्तव में वो बस यही दिन देखने के लिए जिंदा थीं. कश्मीर उनके जीवन की आखिरी खुशी साबित हुआ. रात को उनके जाने की खबर आई.

सुषमा स्वराज एक सफल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक कुशल वक्त भी थीं. जिन्होंने चाहे विदेशी मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया हो या फिर भारत में भारतीय जनता पार्टी का, अपने भाषणों से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई.

sushma swaraj tweetsये ट्वीट सुषमा स्वराज का आखिरी ट्वीट था जो कश्मीर मामले पर किया गया था

कश्मीर मामला भी उनके दिल के काफी करीब था. 11 जून, 1996 को सुषमा स्वराज ने लोकसभा में ऐसा भाषण दिया था जिसे आज भी याद किया जाता है. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वह अपने राजनीतिक विरोधियों पर आक्राम दिखाई दी थीं. सुषमा स्वराज तब अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ बोलने के लिए खड़ी हुई थीं. इस भाषण में उन्होंने जम्मू और कश्मीर से धारा 370 को रद्द करने पर जोर देते हुए कहा था कि- "हम सांप्रदायिक हैं, क्योंकि हम धारा 370 को खत्म करना चाहते हैं, हम सांप्रदायिक हैं, क्योंकि हम इस देश में जाति और पंथ के आधार पर भेदभाव को खत्म करना चाहते हैं. श्रीमान अध्यक्ष, हम सांप्रदायिक हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कश्मीरी शरणार्थियों की आवाज सुनी जाए.''

विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने विदेश में भी भारत का सिर हमेशा ऊंचा रखा. संयुक्त राष्ट्र में सितंबर 2016 में दिया गया उनका भाषण उनके खास भाषणों में से एक है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाया तो सुषमा स्वराज ने उन्हें बलूचिस्तान पर घेर लिया. और जो कुछ कहा वो यादगार बन गया.

सितंबर 2017 में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसा भाषण दिया कि पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान की कलई खोलकर रख दी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों को सुषमा ने सिर्फ खारिज ही नहीं किया, बल्कि दुनिया के सामने पाकिस्तान को जमकर लताड़ा भी.

संसद में चाहे सरकार को घेरना हो या अपनी सरकार का साथ देना हो, सुषमा स्वराज ने हर काम बखूबी किया. 2013 का एक वाकिया हमेशा याद आता है जब संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सुषमा स्वराज के बीच हुई शायराना जुगलबंदी हुई थी. असल में भाजपा पर प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री ने शेर पढ़ा था कि 'हमें उनसे वफा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफा क्या है.' इसी बात का जवाब सुषमा स्वराज ने ये कहते हुए दिया था कि किसी का उधार नहीं रखना चाहिए.

आज सुषमा स्वराज की बातें, उनके भाषण सब कुछ यहीं हैं, नहीं हैं तो खुद सुषमा स्वराज. एक ऐसी शख्सियत जिसके चेहरे से ममता छलकती थी और बातों से उनकी मजबूती. ऐसे लोग राजनीति में कम ही होते हैं. सुषमा स्वराज का जाना न सिर्फ भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा छटका है बल्कि देश ने भी एक मजबूत महिला का साथ खो दिया है.

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