New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 20 मई, 2022 08:47 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

समाजवादी पार्टी में मंत्री और किसी ज़माने में उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के कद्दावर नेताओं में शुमार आजम खान की घर वापसी हो गयी है. 814 दिन सीतापुर जेल में बिताकर अपने गृह जनपद रामपुर पहुंचे आजम खान इस मौके पर भावुक दिखे. भले ही समर्थकों ने उनका जमकर स्वागत किया हो लेकिन 27 महीने जो यातनाएं उन्होंने भोगी हैं, कहना गलत नहीं है कि उन्होंने आजम की रीढ़ को तोड़कर रख दिया है. एक टीस है जो जेल से बाहर आए आजम खान में साफ़ दिखाई दे रही है. ये बातें यूं ही नहीं है. इसकी बानगी इंटरनेट पर वायरल सीतापुर जेल के बाहर से आई वो तस्वीर है, जो उनकी रिहाई के फ़ौरन बाद की है. तस्वीर में आज़म के साथ साथ शिवपाल यादव भी हैं. जैसी बेचारगी आज़म के चेहरे पर है उसने न केवल कई बातों से पर्दा हटाया है. बल्कि आजम और शिवपाल की ये तस्वीर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को कुछ बड़े संदेश, कुछ नसीहतें देती नजर आ रही है.

Azam Khan, Jail, Bail, Samajwadi Party, Sitapur, Shivpal Yadav, Akhilesh Yadav, Viral Photoजेल से बाहर आए आजम खान और उन्हें लेने गए शिवपाल की तस्वीर ने कई बातों से पर्दा खुद ब खुद हटा दिया है

रिहाई से पहले और बाद आज़म के साथ क्या हुआ? उन्होंने क्या कहा? इसपर हम कोई चर्चा नहीं करेंगे. बात सिर्फ इस तस्वीर की होगी. इस तस्वीर में छिपे दर्द पर होगी. जिक्र उस बेबसी का होगा जिसे चाहे वो आजम खान हों या फिर शिवपाल यादव जिसे ये दोनों ही नेता अपने अपने मोर्चे पर झेल रहे हैं.

तस्वीर में क्या बता रहा है आजम का अंदाज

जैसा कि देखा गया रिहाई के बाद वो शिवपाल यादव ही थे जो समाजवादी पार्टी के खेमे से आजम खान को लेने आए. अब अगर हम तस्वीर को देखें तो आजम भले ही शिवपाल के साथ हों लेकिन वो उनसे 'अलग हैं.' दूसरी तरफ मुंह किये हुए आजम शायद ये सोच रहे हों कि कभी वो समाजवादी पार्टी के डिसीजन मेकर हुआ करते थे. लेकिन आज जब इतने वक़्त के बाद वो छूट रहे हैं तो उन्हें लेने घर के कुछ गिने चुने लोग, हालिया दौर में पार्टी में अपनी बगावत के लिए मशहूर शिवपाल यादव और मुट्ठी भर समर्थक ही आए.

जैसा कद आजम का यूपी की सियासत में था मौके पर अखिलेश को खड़ा होना था. अखिलेश का वहां होना न केवल आजम खान को मनोबल देता. बल्कि इससे भाजपा और भाजपा में भी यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ा मैसेज मिलता.

जिक्र तस्वीर में आजम खान का हुआ है. तो जैसा उनका अंदाज है, वो उस सेनापति की तरह हैं. जिसकी सेना युद्ध हार चुकी है और जिसे गिरफ्तार किया गया और जिसके राजा ने उसकी कोई सुध ही नहीं ली. विषय बहुत सीधा है आजम के जेल जाने से लेकर जेल से बाहर आने तक, बतौर नेता जो कुछ भी उनके साथ होगा वो उनकी नियति में लिखा था.

जो चीजें इंसान के भाग्य में लिखी होती हैं उसे बदला नहीं जा सकता. मगर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में जिस तरह आजम खान की अनदेखी हुई, महसूस यही हो रहा है कि पार्टी और पार्टी में भी आजम समर्थकों ने वो भरोसा खो दिया है जो उन्हें अखिलेश यादव पर था.

जेल के बाहर से आई आजम की ये तस्वीर इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि उन्होंने अपने बारे में विचार कर लिया है. गुजरे 27 महीनों या ये कहें कि बीते 814 दिनों में अपना भूत, भविष्य, वर्तमान न केवल देख चुके, बल्कि उसका अवलोकन कर चुके आजम इस बात को बेहतर ढंग से समझ चुके हैं कि अखिलेश ने उनका साथ तब तक ही दिया जब तक उन्हें उनकी जरूरत थी.

आजम बाहर हैं और भविष्य में लोकसभा के चुनाव होने हैं. इसलिए अखिलेश यादव को एक ट्वीट डालना था जिसे डालकर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर दिया है और इस पूरी बहस पर पूर्ण विराम लगा दिया है मगर याद रहे बात इतनी जल्दी ख़त्म नहीं होगी.

वायरल तस्वीर में भले ही आजम के चेहरे पर एक मायूसी और भावों में बेबसी हो. मगर जब हम तस्वीर पर गौर करते हैं और आजम के हाथों पर नजर डालते हैं तो उन्होंने अपनी टोपी को हाथ में लिया हुआ है. आजम भले ही मुसलमानों के नेता रहे हों लेकिन सवाल यही है कि क्या जेल में रहते रहते उन्हें इस बात का एहसास हो गया है अभी वक़्त टोपी लगाने का नहीं है?

सवाल ये भी रहेगा कि क्या आने वाले वक़्त में आजम वो प्राइड वापस हासिल कर पाएंगे जिसको अपनाकर वो पूर्व की तरह गर्व से टोपी लगाकर इतरा सकें? जवाब का इंतजार हमें बेसब्री से है.

तस्वीर में क्या बताते नजर आ रहे हैं शिवपाल

सपा ने सिर्फ आजम खान की ही नहीं शिवपाल की भी खूब बेकद्री हुई है/ जिक्र अगर श्रेय देने का हो तो इसका कारण पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव और उनकी नीतियां हैं. जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को सपष्ट कर चुके हैं कि सपा के खेमे से वो शिवपाल यादव ही थे जो रिहाई के बाद आजम से मिलने जेल गए. शिवपाल के पोस्चर पर यदि नजर डालें और उसका अवलोकन करें तो जैसी शांति उनके चेहरे पर दिखाई दे रही है लग यही रहा है कि जैसे उन्होंने किसी किले को भेदा नहीं बल्कि उसे अपनी सूझ बूझ से फ़तेह किया.

एक शांति है जो हमें वायरल तस्वीर में शिवपाल के चेहरे पर दिखाई दे रही है. वजह शायद वो बरसों पुरानी दोस्ती हो जो शिवपाल और आजम के बीच थी. कह सकते हैं कि रिहाई के बाद आजम से मिलने जेल गए शिवपाल इस बात को जानते हैं कि चाहे वो खुद हों या आज़म खान दोनों के साथ ही अखिलेश ने वो किया है जिसकी उम्मीद पार्टी में शायद ही किसी को थी.

बहरहाल शिवपाल की जैसी तस्वीर है हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि जैसे उन्होंने ज़िन्दगी के सबसे अहम मौके पर आजम का साथ दिया, उन्होंने दोस्ती का फर्ज निभा दिया है. ये अखिलेश पर बड़ा हमला है देखना दिलचष्प रहेगा कि आजम से शिवपाल के मिलन पर अखिलेश की क्या प्रतिक्रिया होगी.

ये भी पढ़ें -

Azam Khan को रिसीव करने शिवपाल पहुंचे तो अखिलेश यादव क्यों ट्रोल होने लगे?

जाखड़-हार्दिक-सिद्धू से मिला कांग्रेस को झटका, लेकिन क्यों?

UP Police में असली 'गुड वर्क' तो महराजगंज में चल रहा, बस ट्वीट-तस्वीरें नहीं आतीं! 

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय