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Updated: 20 मई, 2022 04:23 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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आजम खान (Azam Khan) 27 महीने बाद जेल से बाहर आ चुके हैं. जेल से ही वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े भी और जीते भी, लेकिन अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से न तो उनकी नाराजगी कम हुई, न उनके समर्थकों की. कई समर्थकों ने तो विरोध जताते हुए समाजवादी पार्टी ही छोड़ दी. यूपी की मुस्लिम पॉलिटिक्स में आजम खान का प्रभाव तो उनके जेल में रहते ही देखा जा रहा था, रिहाई के बाद तो असर पड़ना ही है - और सबसे ज्यादा असर तो अखिलेश यादव के मुस्लिम वोट बैंक पर पड़ने वाला है. अखिलेश यादव यूपी चुनाव में बहुमत से तो काफी पीछे रह गये, लेकिन यादव और मुस्लिम वोटों की बदौलत ही समाजवादी पार्टी 111 सीटें जीत सकी.

जेल से छूटने के बाद आजम खान अपने एक करीबी पूर्व विधायक के घर पहुंचे जहां नाश्ता और समर्थकों से मुलाकात की. समर्थकों को देख कर आजम खान भावुक भी हो गये. आंखों में आंसू भर आये और जैसे तैसे संभाल पाये.

आजम खान की रिहाई के लिए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी. कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि आजम खान दो साल से जेल में हैं और उनको जमानत दी जानी चाहिये. कपिल सिब्बल ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर इल्जाम लगाया कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक वजहों से शिकार बनाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद-142 के इस्तेमाल के लिए ये फिट केस है और आजम खान को अंतरिम जमानत मंजूर दे दी. साथ ही कहा कि नियमित जमानत के लिए अर्जी लगानी होगी - और उसके लिए अदालत ने दो हफ्ते का समय दिया है.

आजम खान के रिहा होते ही समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव फिर से निशाने पर आ गये हैं. असल में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम विधायकों, समर्थकों और आजम खान के सपोर्टर का मानना रहा है कि अखिलेश यादव ने पार्टी के सबसे बड़े नेता के जेल जाते ही मुंह मोड़ लिया और रिहाई के लिए कोई प्रयास नहीं किये.

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के सीधे सीतापुर जेल पहुंच जाने से भी अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ गयीं. जो कसर बाकी थी, अखिलेश यादव के ट्वीट से पूरी हो गयी. अखिलेश यादव ने अपने प्रतिनिधि भी भेजे थे, लेकिन वो भी आजम खान के समर्थकों और परिवार का गुस्सा नहीं कम कर सका है.

आजम की रिहाई और अखिलेश की फजीहत

आजम खान को रिसीव करने के लिए शिवपाल यादव सीतापुर जेल पहुंचे थे, जबकि अखिलेश यादव ने ट्विटर पर ही स्वागत करने का फैसला किया था. जैसे ही अखिलेश यादव ने ट्विटर पर आजम खान की रिहाई का स्वागत किया, लोगों ने ट्रोल करना शुरू कर दिया. ट्विटर पर ज्यादातर रिएक्शन में आजम खान की रिहाई में अखिलेश यादव के दिलचस्पी न लेने को लेकर नाराजगी देखने को मिली है.

अखिलेश यादव से लोगों की नाराजगी की ताजा वजह ये रही कि सुप्रीम कोर्ट से आजम खान को जमानत मिलने पर वो बिलकुल चुप रहे. ट्विटर पर भी कोई रिएक्शन नहीं दिये थे. ये बात समाजवादी पार्टी के मुस्लिम समर्थकों के साथ साथ AIMIM कार्यकर्ताओं को भी बहुत बुरी लगी - देखते देखते सब के सब अखिलेश यादव पर एक साथ टूट पड़े.

azam khan, shivpal yadav, akhilesh yadavआजम खान के जेल से छूटते ही शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ानी शुरू कर दी है.

1. अखिलेश यादव के ट्वीट का जवाब देते हुए शाहनवाज अंसारी ने कटाक्ष किया, 'पूर्व मंत्री आजम खान साहब की रिहाई के लिए सड़क से लेकर संसद तक, विधानसभा से लेकर सोशल मीडिया तक प्रोटेस्ट करते करते आप थक गए होंगे... नींबू/शक्कर वाली शर्बत पी लीजिए अखिलेश यादव जी. गर्मी बहुत है. आपकी थकान दूर हो जाएगी.'

2. जाकिर अली त्यागी का कहना रहा, 'चलो खैर आपके ट्वीट को लाइक तो कर ही देता हूं क्योंकि इस ट्वीट को लिखने के लिए AC में बैठकर पसीना बहाया गया होगा. आजम जेल से रिहा हुए तो तमाम सपा के नेता मुबारकबाद दे रहे हैं आजम जेल में थे तो सभी नेता बोलने से बचे रहे - उगते सूरज को सब सलाम करते है साबित हुआ!'

3. आर्यन यदुवंशी ने ट्वीट किया है, 'श्रीमान जी हम आपसे पूर्ण रूप से सहमत हैं किन्तु आपसे एक उम्मीद थी जब माननीय आजम खान साहब सरकारी यातना से मुक्त होंगे और जेल से बाहर आएंगे तो आप पहले व्यक्ति होंगे जो खान साहब का स्वागत करेंगे परंतु आपको राजनीति भी एसी कमरे से करनी है - कम से कम नेताजी की विरासत को सही रूप से बढ़ाओ.'

4. अर्बन देहाती नाम के ट्विटर यूजर की टिप्पणी है, 'शिवपाल यादव आजम खान के स्वागत के लिए सीतापुर जेल के मुख्य द्वारा पहुंचे और अखिलेश यादव AC में बैठकर ट्वीट कर शुभकामनाएं पेश कर रहे हैं... स्वागत कर रहे हैं... इसीलिए कहा जाता है कि अखिलेश CM बन सकते हैं नेता नहीं, इसीलिए यादव परिवार में नेता शिवपाल यादव ही हैं!'

5. माट साब परम ज्ञानी तंज भरे लहजे में लिखते हैं, 'आजम खान 26 महीने जेल में बंद रहे. अखिलेश की बाट ज्योति रहे लेकिन टीपू ने झांका तक नहीं. अब जब जमानत मिल गई है तो टीपू बिरयानी खाने जरूर जाएंगे. सही कहा है - काठ की हांडी एक बार चढ़ती है बार-बार नहीं.'

6. एक बागी कलम की तो अलग ही प्रतिक्रिया है, 'कोटि कोटि धन्यवाद जो आपने अपनी जान जोखिम मे डालकर इतनी महत्वपूर्ण सूचना हमें दी. ये अद्भुत समाचार सुनकर तीनों लोकों में बहुत प्रसन्नता है. समस्त नर-नारी, सुर-असुर, देवता, मुनि, गंधर्व प्रसन्न हुए. आपके समाचार को सुनकर पूरे ब्रह्माण्ड में प्रसन्नता है. पूरा संसार प्रकाशमान हो गया है. आपका यह समाचार प्रशंसनीय एवं अविस्मरणीय है मानो चारों ओर एक दिव्य ज्योति प्रज्वलित हुई हो. आगे भी सृष्टि के कल्याण हेतु ऐसे समाचार देते रहें. तीनो लोक आपके ऋणी रहेंगे.'

7. और AIMIM के आईटी सेल के प्रभारी मारूफ खान ने भी उसी अंजाज में अखिलेश यादव के ट्वीट पर चुटकी ली है, 'माननीय Akhilesh Yadav जी के अथक प्रयासों, भूख हड़तालों, जेल भरो आंदोलनों, भारत बंद जैसी हड़तालों व पूरे देश में लगातार धरने प्रदर्शन करने के बाद आजम खान साहब कि रिहाई हो पाई... देश के मुसलमान आपके हमेशा कर्जदार रहेंगे... शुक्रिया माननीय अध्यक्ष जी.'

शिवपाल यादव सबसे बड़े हमदर्द बन गये: एक तरफ अखिलेश यादव खामोशी अख्तियार किये हुए थे, दूसरी तरफ शिवपाल यादव जमानत पर खुशी जताने के साथ ही जेल पहुंचने तक अपडेट देते रहे है - और रिहाई के वक्त हुई मुलाकात की तस्वीरें भी शेयर की.

शिवपाल यादव के अलावा आजम खान के दोनों बेटे अब्दुल्ला और अदीब तो जेल के बाहर थे ही, अखिलेश यादव के प्रतिनिधि के तौर पर समाजवादी पार्टी के विधायक आशु मलिक और मोहम्मद फहीम भी पहुंचे थे. शिवपाल यादव निकलने लगे तो मीडिया को देख कर गाड़ी रोक दिये और दोहराया - न्याय की जीत हुई है. तभी पूछ लिया गया कि क्या आजम खान भी उनकी लड़ाई में साथ होंगे?

शिवपाल यादव कहने लगे, हम लोग समाजवादी हैं... और हमेशा नेताजी से हम लोगों ने सीखा है, सुख और दुख में साथ रहना... कहीं पर भी अगर साथी संकट में हैं... आजम भाई हमारे साथी रहे हैं - और आज भी हैं.

हाल ही में शिवपाल यादव ने जेल जाकर आजम खान से मुलाकात की थी और पहली बार अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को भी समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े नेता से मुंह मोड़ लेने का आरोप लगाया. अखिलेश यादव के साथ साथ, शिवपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने भी ध्यान नहीं दिया. शिवपाल यादव का कहना था कि नेताजी ने भी लोक सभा में आजम खान का मामला नहीं उठाया, वो चाहते तो धरना दे सकते थे. जब अखिलेश यादव के रिसीव करने के लिए न आने को लेकर पूछा गया तो शिवपाल यादव बोले, ये तो अखिलेश यादव से पूछिये ना!

आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा ने भी अखिलेश को लेकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. बोलीं, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाहती... कोर्ट ने हमें राहत दी है... मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, जिन्होंने मुश्किल समय में हमारा साथ दिया.'

रिहाई के बाद की राजनीति कैसी होगी?

आजम खान की रिहाई ऐसे वक्त हुई है जब यूपी की राजनीति में हिंदू बनाम मुस्लिम का माहौल बना हुआ है. अदालतों में ज्ञानवापी से लेकर मथुरा तक के मामलों पर सुनवाई हो रही है - और ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने के बाद तो बीजेपी समर्थकों का जोश लगातार बढ़ता जा रहा है.

आजम खान की रिहाई तो हो गयी है, लेकिन वो कानूनी पचड़ों में बुरी तरह फंसे हुए हैं. जेल में रहते बीमारियों से भी जूझते रहे हैं. रिहाई के बाद राजनीतिक तौर पर वो कितने सक्रिय रह पाते हैं ये देखने वाली बात होगी.

रही बात आजम खान के मुस्लिम वोटर पर प्रभाव की तो उसे अलग अलग तरीके से समझा जा सकता है. पहले की बात और थी, लेकिन समाजवादी पार्टी के सत्ता से बाहर होना भी एक वजह है. वैसे भी बीजेपी के सत्ता में रहते विपक्ष के पास कुछ करने का स्कोप भी कम ही होता है. योगी आदित्यनाथ ने तो चुनावों के दौरान ही बोल दिया था - 10 मार्च के बाद सबकी गर्मी शांत कर देंगे.

1. अखिलेश यादव को विधानसभा चुनाव में यादव और मुस्लिम वोट मिले थे - अगर आजम खान के प्रभाव से मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी से अलग हो जाये हैं तो समझा जा सकता है क्या असर पड़ेगा.

2. हाल के विधानसभा चुनाव में यूपी के मुस्लिम वोटर ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ साथ समाजवादी गठबंधन के 34 मुस्लिम उम्मीदवारों को विधानसभा भेजा है. गठबंधन की तरफ से 61 उम्मीदवार मैदान में थे - और उनमें 31 विधायक सिर्फ समाजवादी पार्टी के ही हैं.

3. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को यादव समाज का तो 85 फीसदी ही वोट मिला, लेकिन मुस्लिम समाज से तो 87 फीसदी वोट अखिलेश यादव के नाम पर पड़े थे - जाहिर है आजम खान के प्रति उभरी सहानुभूति खिलाफ भी जा सकती है.

4. ऐसी अटकलें है कि आजम खान जल्द ही शिवपाल यादव के साथ मिलकर कोई नया मोर्चा बना सकते हैं - और उसमें समाजवादी पार्टी के मुस्लिम विधायक शामिल हो सकते हैं.

5. आजम खान के जेल में रहते चुनाव जीतने को रामपुर में उनके प्रभाव को तो समझा ही जा सकता है, अखिलेश यादव से नाराजगी के चलते वो हर तरह से यूपी की मुस्लिम सियासत में भारी पड़ सकते हैं - और ये अखिलेश यादव के लिए अच्छा नहीं होगा.

आजम खान की रिहाई के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में नफे-नुकसान की बात करें, तो ऐसे भी समझ सकते हैं कि अखिलेश यादव को होने वाला हर घाटा बीजेपी को ही फायदा पहुंचाएगा.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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