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Updated: 23 सितम्बर, 2019 04:48 PM
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आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के नेता पी. चिदंबरम इन दिनों तिहाड़ जेल में हैं. उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया हुआ है और सीबीआई के साथ-साथ ईडी भी उनसे मनी लॉन्डरिंग के इस मामले में पूछताछ कर रही है. कांग्रेस की ओर से पी चिदंबरम को समर्थन तो मिलता ही रहा है, लेकिन रविवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनसे मिलने तिहाड़ जेल जा पहुंचे, जिसकी जानकारी खुद पी चिदंबरम ने ही ट्वीट कर के दी. इसी बीच उनके बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी उनसे मुलाकात की. ये तो बात सही है कि चिदंबरम कांग्रेस के नेता हैं, लेकिन उनसे मिलने के लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के जेल में जाने का क्या मतलब हुआ? आखिर कांग्रेस ऐसा कर के क्या संदेश देना चाहती है?

राजनीतिक आंदोलन नहीं, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में है चिदंबरम

पी चिदंबरम पर भ्रष्टाचार का आरोप है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने कोई राजनीतिक आंदोलन किया, जो सत्ता पक्ष को पसंद नहीं आया और उन्हें उठाकर जेल में डाल दिया. आईएनएक्स मीडिया केस में उन पर मनी लॉन्डरिंग के चार्ज लगे हैं, जिसकी पूछताछ सीबीआई और ईडी कर रहे हैं. अपने नेता का बचाव करना तो सही है, लेकिन उनसे मिलने जेल कर जाकर पार्टी नेतृत्व क्या दिखाना चाहता है? वैसे भी, इस तरह के कदम जनता के बीच एक गलत संदेश लेकर जाते हैं, जिसे कांग्रेस को समझना चाहिए.

सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम, कांग्रेससोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का जेल जाकर चिदंबरम से मिलना कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है.

राहुल गांधी भी मिले थे लालू यादव से

ये बात पिछले साल अप्रैल की है, जब राहुल गांधी जेल मैनुअल को तोड़कर चारा घोटाले की सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव से मिले थे. वैसे उस समय लागू यादव जेल में नहीं, बल्कि दिल्ली के एम्स में भर्ती थे, लेकिन बावजूद इसके उनसे मिलने को लेकर काफी प्रतिबंध थे. सबसे अहम तो यही था कि अगर कोई भी उनसे मिलना चाहता है तो पहले उसे रांची के जेल अधीक्षक से इजाजत लेनी पड़ेगी. लालू की सुरक्षा में एक दारोगा और 6 सिपाही भी नियुक्त थे. जब राहुल गांधी ने जेल मैनुअल को ताक पर रखकर लालू यादव से मुलाकात की तो सुरक्षा में तैनात पुलिसवालों पर तो सवाल उठे ही, राहुल गांधी भी सवालों के घेरे में आ गए. राजनीति संबंध एक अलग चीज है, लेकिन लालू यादव सजायफ्ता कैदी हैं, जो चारा घोटाले में जेल में बंद हैं. एक तो राहुल गांधी एक अपराधी से मिलने जेल गए, ऊपर से जेल मैनुअल भी तोड़ा.

नेताओं के फैसले पार्टी की सोच दिखाते हैं !

अक्सर नेता बिना सोचे समझे बयानबाजी तो करते ही हैं, लेकिन वह ये नहीं समझते इसके कितने नुकसान हो सकते हैं. मोदी सरकार ने इसके नुकसान की ओर एक इशारा किया था, जिसके तहत पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के बाद सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था कि वह बयानबाजी पर काबू रखें. यही बात कांग्रेस को भी समझनी चाहिए. जिस तरह वह जेल में बंद अपराधी और आरोपियों से मिल रहे हैं, वह पार्टी की सोच बयां करने का काम करते हैं. पार्टी का कोई छोटा नेता अगर नासमझी के फैसले भी करता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर पार्टी अध्यक्ष या नेतृत्व या फिर वरिष्ठ नेता कोई भी निर्णय लेते हैं, तो उसे पार्टी की सोच से जोड़कर देखा जाता है.

आने वाले चुनाव पर असर !

आने वाले दिनों में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में चुनाव होने वाले हैं. बेशक कांग्रेस चुनावी मैदान में भाजपा को तगड़ी टक्कर देने का भरसक प्रयत्न करेगी, लेकिन ऐसा ना हो कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का जेल जाकर चिदंबरम से मिलना भारी पड़ जाए. पी चिदंबरम भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हैं और ऐसे में लोगों के बीच कांग्रेस को लेकर गलत संदेश जा सकता है कि कांग्रेस तो अपराधियों का समर्थन करती है. पहले से ही लोगों का विरोध झेल रही कांग्रेस ऐसे फैसलों से अपने लिए सिर्फ मुश्किलें ही बढ़ाएगी और कुछ नहीं.

कांग्रेस के सलाहकार ही ऐसे हैं !

जब कभी राहुल गांधी ऐसा कोई कदम उठाते थे तो लोग कहते थे कि उन्हें गलत सलाह दी जा रही है. यानी उनके सलाहकार ही गलत हैं जो उन्हें जेल मैनुअल तक को तोड़कर लालू से मिलने को कहते हैं. लेकिन अब जिस तरह सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह जेल पहुंचे हैं, उसे देखकर तो ये लग रहा है कि सोनिया गांधी के सलाहकार भी वही हैं. यानी देखा जाए तो पूरी कांग्रेस के सलाहकर एक ही हैं, जो ऐसा लग रहा है कि पार्टी के हित के बजाय, कुछ लोगों का हित ज्यादा देखते हैं.

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