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Updated: 03 अक्टूबर, 2019 12:30 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर जिस तरह भाजपा ने महात्मा गांधी को कैश किया उससे सोनिया गांधी नाराज हैं. अब इसे गांधी को खोने का डर कहें या फिर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश से कांग्रेस को ख़त्म करने का प्लान B सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी को लेकर केंद्र सरकार पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं और एक नई डिबेट को जन्म दे दिया है. भाजपा द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम को इस्तेमाल किये जाने पर जो तल्खी सोनिया गांधी ने दिखाई है, साफ़ पता चल रहा है कि कांग्रेस डर गई है. कहीं न कहीं कांग्रेस को इस बात का एहसास हो गया है कि अगर देश के प्रधानमंत्री इसे ढंग से कैश कर ले गए तो यही मुद्दा कांग्रेस के ताबूत की आखिरी कील साबित होगा. कांग्रेस की पदयात्रा के समापन पर सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि कुछ लोग आज RSS को देश का प्रतीक बनाना चाहते हैं, लेकिन ये संभव नहीं है. हमारे देश की नींव में गांधी के विचार हैं.

सोनिया गांधी, महात्मा गांधी, कांग्रेस, नरेंद्र मोदी, भाजपा गांधी को कैश किये जाने पर भाजपा को घेरती सोनिया गांधी में नरेंद्र मोदी के प्रति खीझ साफ़ दिखाई दे रही है

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया को अहिंसा का रास्ता अपनाने की प्रेरणा दी. आज भारत जहां पहुंचा है वह गांधी के रास्ते पर चलकर पहुंचा है. सोनिया ने कहा कि गांधी का नाम लेना आसान है लेकिन उनके रास्ते पर चलना मुश्किल है. गांधी की शिक्षाओं का बखान करती भाजपा पर, जिस तरह के हमले सोनिया गांधी ने बोले हैं, उनमें साफ़ तौर पर वो खीझ देखी जा सकती है जो उन्हें 19 के आम चुनावों के परिणाम देखकर मिली है.

आइये कुछ कारणों पर चर्चा करें और ये समझने का प्रयास करें कि आखिर कैसे गुस्से की आड़ लेकर सोनिया गांधी ने अपनी असफलताओं को छुपाने का प्रयास किया है.

गांधी की ही बातों को तो आगे ले जा रहे हैं मोदी

कांग्रेस की पदयात्रा के समापन पर राजघाट पहुंची सोनिया गांधी ने तमाम बातें की हैं और अपनी बातों से भाजपा पर हमला किया है. सोनिया गांधी ने कहा कि, आज जब हमारा देश और पूरी दुनिया महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती मना रही है हम सब को इस बात का गर्व है कि आज भारत जहां पहुंचा है, गांधी जी के रास्ते पर चल कर पहुंचा है. गांधी जी का नाम लेना आसान है लेकिन उनके रास्ते पर चलना आसान नहीं है.' साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि गांधी जी का नाम लेकर भारत को उन्हीं के रास्ते से हटकर अपनी दिशा में ले जाने की कोशिश करने वाले पहले भी कम नहीं थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तो साम दाम दंड भेद का खुला कारोबार करके वे अपने आपको बहुत ताक़तवर समझते हैं. इस सब के बावजूद अगर भारत नहीं घटता तो इसिलिए कि हमारे मुल्क की बुनियाद में गांधी जी के उसूलों की आधारशिला है.

सोनिया गांधी को समझना होगा कि आज राहुल गांधी के उलट पीएम मोदी, महात्मा गांधी को किसी ब्रांड की तरह प्रमोट कर रहे हैं. बात क्योंकि गांधी के विचारों को आगे ले जाने की है और क्योंकि गांधी पर अब तक कांग्रेस पार्टी का कॉपी राइट रहा है. शायद पीएम मोदी का उसे प्रमोट करना उन्हें अच्छा न लग रहा हो. कह सकते हैं कि सोनिया गांधी को तो खुश होना चाहिए कि जो काम कांग्रेस और राहुल गांधी एक लंबे समय तक नहीं कर पाए उसे नरेंद्र मोदी ने 5 सालों में कर दिया.

आरएसएस पर हमला डूबते करियर को बचाने के लिए जरूरी है

अपने भाषण में सोनिया गांधी ने इस बात पर बल दिया कि आज गांधी को आरएसएस अपने में शामिल करना चाहती है. सोनिया गांधी ने कहा कि, भारत और गांधी जी एक दूसरे के पर्याय हैं. यह अलग बात है कि आज कल कुछ लोगों ने इसे उल्टा करने की ज़िद पकड़ ली है. वे चाहते हैं कि गांधी जी नहीं बल्कि आरएसएस भारत का प्रतीक बन जाएं. मैं ऐसा कहने वाले को साफ़ शब्दों में बताना चाहती हूं कि हमारे देश की मिलीजुली संस्कृति, मिलीजुली सभ्यता और मिलेजुले समाज में गांधी जी की सर्वसमावेशी व्यवस्था के अलावा कभी कुछ और सोच नहीं सकती.

सोनिया गांधी द्वारा कही इन बातों का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि अपनी बातों में आरएसएस का नाम लेना न सिर्फ उनकी राजनितिक मज़बूरी है बल्कि तुष्टिकरण का वो अस्त्र है जिसके दम पर वो उन वोटों पर कब्ज़ा जमा सकती हैं जो देश के प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के खिलाफ रहते हैं. कह सकते हैं कि गांधी जयंती के इस अवसर पर सोनिया गांधी को लाना न सिर्फ उनके बल्कि कांग्रेस पार्टी तक के डूबते करियर के लिए जरूरी है.

गांधी के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रही है कांग्रेस

वो महात्मा गांधी जिसे अब तक कांग्रेस केवल अपनी बपौती समझती रही है और जिसके नाम का इस्तेमाल उसने सिर्फ योजनाओं के नामकरण के लिए किया. जाहिर सी बात है उसे तकलीफ तो होगी ही. इस मामले में ये तकलीफ इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इस बार कांग्रेस के उलट जिस आदमी ने गांधी के नाम को भुनाया है वो एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अपनी बातों से कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डाला है और जिसकी इस पहल को देश की जनता का भी पूरा समर्थन मिला है.

सोनिया ने बता दिया राहुल गांधी नाकाम हैं

गांधी को लेकर जिस तरह सोनिया गांधी मैदान में आई हैं उसने खुद-ब-खुद इस बात का प्रणाम दे दिया है कि राहुल न सिर्फ बार बार फेल हो रहे हैं बल्कि एक असफल राजनेता हैं. एक ऐसे वक़्त में जब कांग्रेस की डूबतो नैया राहुल गांधी के भरोसे हैं उसे खींचने के लिए सोनिया गांधी का मैदान में आना ये बता देता है कि यदि आज कांग्रेस के बुरे दिन चल रहे हैं तो उसके सबसे बड़े जिम्मेदार राहुल गांधी ही हैं.

बहरहाल, अब जबकि सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी को लेकर तमाम तरह के इल्जाम लगा ही दिए हैं. तो कहा यही जा सकता है कि जब वॉर गांधी के नाम को लेकर हो रही हो तो सोनिया गांधी का सामने आना इसलिए भी ख़ास हो जाता है कि अब तक गांधी पर कांग्रेस पार्टी का ही कॉपीराइट रहा है और जैसे पीएम मोदी ने इस मामले को लेकर कांग्रेस की थाली से निवाला छीना है बात सीधे तौर पर कांग्रेस के अस्तित्व पर आ गई है. 

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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