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Smriti Irani को चुनाव नहीं लड़ना, तो राहुल के वायनाड में क्या काम है?
स्मृति ईरानी (Smriti Irani) के वायनाड (Wayanad) जाने भर से कांग्रेस के कान तो खड़े तो हो गये होंगे. शायद इसीलिए वो साफ कर देती हैं कि अमेठी जैसी उनकी कोई मंशा नहीं है - फिर भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लिए ये चिंता की बात तो है ही.
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जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नेपाल के नाइटक्लब वीडियो को लेकर लोगों के निशाने पर थे, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) वायनाड पहुंच गयी थीं. स्मृति ईरानी वैसे तो विभागीय दौरे पर गयी थीं, लेकिन वायनाड के राहुल गांधी का चुनाव क्षेत्र होने की वजह से मामला सरकारी कम और राजनीतिक ज्यादा लग रहा है.
स्मृति ईरानी का वायनाड दौरा वैसा ही लगता है जैसा 2019 से पहले उनका अमेठी का कार्यक्रम बना करता होगा. 2014 में वो राहुल गांधी से चुनाव हार गयी थीं, लेकिन केंद्रीय मंत्री की हैसियत से अमेठी मौके बेमौके अक्सर ही पहुंच जाया करती थीं. तब तो राहुल गांधी को शायद ही परवाह रही हो, लेकिन अब तो उनकी पूरी टीम अलर्ट हो गयी होगी.
वायनाड (Wayanad) में स्मृति ईरानी ने स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठक कर विकास के कामों की समीक्षा तो की ही, केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों के साथ भी बातचीत की और वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश की, लेकिन बाद में जो मीडिया को बताया, उसमें वायनाड की भी पहले जैसी स्थिति समझाने की कोशिश लगी.
केंद्रीय मंत्री ईरानी की वायनाड को लेकर जो सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी रही, वो ये कि जिले में बहुत कुछ है, जिसे नहीं किया गया है. हालांकि, केंद्रीय मंत्री को स्थानीय प्रशासन ने आश्वास्त किया है कि जो काम नहीं हो पाये हैं, उनको पूरा कर लिया जाएगा.
तो क्या इसे ऐसे समझें की अब वायनाड पर भी स्मृति ईरानी वैसे ही ध्यान देने वाली हैं, जैसा अमेठी के मामले में रहा?
अमेठी पर तो बीजेपी ने फतह पा ली है, लेकिन पश्चिम बंगाल की तरह केरल में भी चूक गयी है. निश्चित रूप से अब 2024 में बेहतर प्रदर्शन की कोशिश हो सकती है, लेकिन अमेठी को लेकर मलयालम में एक वीडियो शेयर कर स्मृति ईरानी ने मामला थोड़ा पेंचीदा कर दिया है - क्या ये केरल में बीजेपी के पांव जमाने की कोशिशों का हिस्सा है या सच में मेन टारगेट राहुल गांधी ही हैं?
अमेठी सांसद का वायनाड दौरा
नीति आयोग ने वायनाड को भी पिछड़े हुए जिलों की सूची में रखा हुआ है - और बतौर महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी विकास कार्यों की समीक्षा करने पहुंची थीं. समीक्षा के बाद स्मृति ईरानी ने मीडिया को वायनाड में विकास कार्यों की स्थिति का जो स्केच पेश किया उसके निशाने पर तो राहुल गांधी ही लगते हैं.
कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना: स्मृति ईरानी ने बताया कि वायनाड जिले में करीब 57 हजार किसान ऐसे हैं जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है. ऐसे ही 1.35 लाख परिवारों के पास पानी के कनेक्शन नहीं हैं. साथ ही आवासीय योजनाओं को भी लागू नहीं किया जा रहा है.
स्मृति ईरानी को लेकर राहुल गांधी को नया अलर्ट मैसेज मिल चुका है!
अपने हिसाब से राहुल गांधी को उनके संसदीय क्षेत्र में विकास की स्थिति पर आईना दिखाते हुए स्मृति ईरानी ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का उदाहरण दिया. स्मृति ईरानी ने बताया कि हाल ही में वो ऐसे ही फतेहपुर के दौरे पर थीं - और पाया कि जो फतेहपुर पहले नीति आयोग की सूची में 111वें स्थान पर रहा वो अब सीधे 8वीं पोजीशन हासिल कर चुका है. स्मृति ईरानी का कहना है कि वायनाड में की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है.
स्मृति ईरानी ने वायनाड की जो तस्वीर खींची है, उसके दायरे में निशाने पर राहुल गांधी के साथ साथ केरल की पी. विजयन सरकार भी आ जाती है. फतेहपुर और वायनाड जिलों की तुलनात्मक स्थिति पेश कर स्मृति ईरानी ने अपनी तरफ से केरल की विजयन सरकार और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का फर्क समझाने की कोशिश की है - एक तरह से इसे डबल इंजिन की सरकार के होने के फायदे और न होने के नुकसान के तौर पर देख सकते हैं.
विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी केरल के लोगों को ऐसा नहीं समझा पायी, लेकिन अब अगले आम चुनाव को लेकर तैयारी शुरू लगती है. विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कोई एंट्री प्वाइंट खोज रही थी, लेकिन मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के लंबे चौड़े दावों के बाद पीछे हट गयी थी. आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए माहौल बनाने के लिए लगता है वायनाड को एंट्री प्वाइंट बनाने की तैयारी हो रही है. राहुल गांधी का चुनाव क्षेत्र होने की वजह से स्मृति ईरानी के जरिये बीजेपी के लिए ये काम भी आसान हो जा रहा है.
ऐसे अफसर के लिए जिम्मेदार कौन: केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से भी एक उदाहरण पेश किया है. पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत एक कार्यक्रम है - कन्या शिक्षा प्रकाश उत्सव. इस कार्यक्रम के तहत स्कूल छोड़ चुकी छात्राओं को वापस लाने की कोशिश होती है.
स्मृति ईरानी ने बताया कि वायनाड के जिला शिक्षा अधिकारी को इस कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं थी.
सवाल ये है कि अधिकारी की अनभिज्ञता बता कर स्मृति ईरानी क्या संदेश देना चाहती हैं?
क्या ऐसे अफसरों के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है?
या निशाने पर यहां भी राहुल गांधी ही हैं - अगर राहुल गांधी ने अफसरों के साथ बतौर सांसद मीटिंग की होती तो ये बात स्मृति ईरानी से पहले वो ही बता सकते थे.
ये तो राहुल को घेरने की ही कोशिश है
स्मृति ईरानी ने ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया है. वीडियो के साथ स्मृति ईरानी लिखती हैं, वायनाड में हमारे मित्रों के लिए... विद लव फ्रॉम अमेठी.
वीडियो के जरिये स्मृति ईरानी ने अमेठी का बीता कल और आज दिखाने की कोशिश की है. वीडियो के जरिये ये समझाने की कोशिश की गयी है कि गांधी परिवार के गढ़ के रूप में जाने जाने वाले अमेठी का हाल पहले कैसा था और अब कितना बदल गया है.
For our friends in Wayanad…With warm regards,Amethi pic.twitter.com/DATd5Seaxd
— Smriti Z Irani (@smritiirani) May 3, 2022
मतलब, साफ है वायनाड को अमेठी की तस्वीर दिखा कर सपने दिखाने की कोशिश हो रही है. लोगों को ये समझाने की कोशिश लगती है कि अगर वे राहुल गांधी को ही वोट देते रहे तो वायनाड भी पहले वाले अमेठी की तरह पिछड़ा रहेगा - लेकिन इरादा बदले तो तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल सकती है.
स्मृति ईरानी ये सब करने के बाद एक सवाल तो बनता ही था, मीडिया ने पूछ भी लिया कि क्या वो वायनाड से चुनाव लड़ने पर विचार करेंगी?
लेकिन स्मृति ईरानी से बगैर घुमाये फिराये साफ साफ बता दिया, 'मैं राहुल गांधी नहीं हूं... मैं अमेठी से नहीं भागती...'
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