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Updated: 07 अक्टूबर, 2018 01:18 PM
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नशे के आगोश में जकड़े पंजाब की स्थिति में दो साल बाद भी कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. 2016 में फिल्म 'उड़ता पंजाब' जब रिलीज हुई तब विधानसभा चुनाव की हलचल जोरों पर थी - और ड्रग्स का मामला बड़ा चुनावी मुद्दा बना था. बिजनेस की बात और है लेकिन इस फिल्म ने सूबे के राजनीतिक उलटफेर में खास भूमिका जरूर निभायी.

पंजाब में ड्रग्स का मुद्दा उछालने में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में तो रेस ही चल पड़ी थी. आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने तो ड्रग्स को लेकर खूब पैंतरेबाजी की. दिल्ली छोड़ पंजाब में खूंटा गाड़ कर बैठने के ऐलान के साथ ही केजरीवाल ने नशे के कारोबारियों के खिलाफ एक्शन लेने के बड़े बड़े वादे भी किये.

ड्रग्स पर पाबंदी लगाने के वादे के साथ सत्ता में आयी कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो सरकारी कर्मचारियों का डोप टेस्ट कराने की बात कह हड़कंप ही मचा दिया. अब उसी कांग्रेस में ड्रग्स पर काबू पाने के लिए एक अफीम का नुस्खा लाने की वकालत चल पड़ी है.

'उड़ता पंजाब' में अफीम के इस्तेमाल और उसकी खेती को कानूनी जामा पहनाने को लेकर सबसे बड़े पैरोकार बन कर उभरे हैं - नवजोत सिंह सिद्धू. पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार में मंत्री सिद्धू हाल ही में इमरान खान के शपथग्रहण में पाकिस्तानी आर्मी चीफ से गले मिलने को लेकर विवादों में थे.

अफीम के इस्तेमाल की वकालत

लुधियाना पुलिस ने पटियाला से सांसद धर्मवीर गांधी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है. धर्मवीर गांधी ने 28 सितंबर को एक मेले में पोस्ता के दाने बो कर प्रदर्शन किया था. आम आदमी पार्टी के बागी सांसद धर्मवीर गांधी पंजाब में भी अफीम की खेती की परमिशन देने की मांग कर रहे हैं. वैसे तो अफीम की खेती गैरकानूनी है, लेकिन जरूरी अनुमति लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के कई इलाकों में अफीम की खेती की जा सकती है. खास बात ये है कि अफीम की खेती को लेकर केंद्र सरकार की नयी पॉलिसी का गजट नोटिफिकेशन भी 28 सितंबर को ही आया. माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रख कर इसे लाया गया है.

dhramvir gandhiधर्मवीर गांधी का ये प्रिस्क्रिप्शन सही नहीं ठहराया जा सकता?

धर्मवीर गांधी के सपोर्ट में अफीम को लेकर सिद्धू एक बयान से पंजाब में खासा बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस के कुछ नेता इसे उनका निजी बयान बता पल्ला झाड़ रहे हैं तो विपक्ष ने हमला बोल दिया है.

अफीम के इस्तेमाल और खेती को लेकर सिद्धू ने कहा है, "धर्मवीर गांधी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं... मैं उनका समर्थन करता हूं... मेरे चाचा भी अफीम को दवा के तौर पर इस्तेमाल करते थे और उन्होंने लंबी जिंदगी जी..."

नवजोत सिद्धू को अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी सपोर्ट मिल गया है. कैप्टन अमरिंदर ने खुशी इस बात पर जतायी है कि फिर से ये मुद्दा उठाया जा रहा है.

मीडिया से बातचीत में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा, "मैं अपने पिछले कार्यकाल 2002-05 के समय से इस मामले को उठाता रहा हूं. मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और मुख्‍यमंत्रियों के सम्‍मेलन में भी इस मुद्दे को उठाया. मैंने साफ कहा भारत की कोई ड्रग पॉलिसी नहीं है. ऐसा नहीं हो सकता कि मध्‍यप्रदेश में नशे की पैदावार हो और इसे राजस्‍थान में बेचा जाए... राजस्‍थान में भी ड्रग और अफीम की पैदावार हो और इससे पंजाब में बेचा जाए... और पंजाब ड्रग का मार्केट बनता रहे..."

लोहे को लोहा काटता तो है, लेकिन...

इंडिया टुडे की जांच-पड़ताल में पता चला है कि पंजाब में सिंथेटिक हेरोइन, जिसे वहां चिट्टा कहा जाता है, सिर्फ दूरदराज के इलाकों में ही नहीं उन पुनर्वास केंद्रों में भी धड़ल्ले से बेचा जा रहा है जिन पर नौजवानों को नशे की लत छुड़ाने की जिम्मेदारी है. इतना ही नहीं पंजाब में कुछ दवा की दुकानों पर ओपिओइड्स, स्टीमुलेंट्स और सिरिंज बगैर प्रीस्क्रिप्शन के खुलेआम खरीदे बेचे जा रहे हैं, जो गैरकानूनी है.

opium cropहर मामले में एक ही दांव नहीं चलता

हो सकता है नवजोत सिंह सिद्धू का इरादा अच्छा हो, लेकिन नशे से मुक्ति का जो मार्ग वो समझा रहे हैं उसे सही नहीं ठहराया जा सकता. लोहे को लोहा ही ही काटता है ये ये दलील हर मामले में नहीं अपनायी जा सकती.

अव्वल तो पंजाब में अफीम की खेती ही खतरनाक है - ऊपर से अफीम के इस्तेमाल को कानूनी जामा पहनाने की डिमांड. सिर्फ सोच कर ही मन सिहर उठता है. कल्पना ही की जा सकती है अगर ये मांग सरकारी तौर मंजूर और व्यावहारिक रूप में अमल में आ गयी.

धर्मवीर गांधी खुद पेशे से डॉक्टर हैं. संभव है वो इसे मेडिकल तरीके से देख रहे हों. हालांकि, ये होम्योपैथिक सिद्धांत है - जिसमें बड़े मर्ज को खत्म करने के लिए कृत्रिम छोटा या बड़ा मर्ज पैदा कर दिया जाता है. कृत्रिम मर्ज कुछ देर बाद गायब हो जाता है - और फिर बड़े मर्ज से भी मरीज को निजात मिल जाती है.

फर्ज कीजिये, ड्रग्स की चंगुल से छुड़ाने के लिए दवा के रूप में अफीम की खुराक दी जाती है. क्या गारंटी है कि एक नशा छोड़ कर वो व्यक्ति दूसरे का आदी नहीं हो पाएगा?

ये कौन सा तर्क हुआ कि हेरोइन से मुक्ति दिलाने के लिए किसी को अफीम लेने की छूट दे दी जाये. आखिर ये लोग 'उड़ता पंजाब' को अफीमची बनाने पर क्यों तुले हुए हैं? पंजाब के लोगों की खुशकिस्मती है कि वहां चुनाव का माहौल नहीं है, वरना क्या पता मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह नयी अफीम नीति लागू हो चुकी होती!

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