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Updated: 16 अगस्त, 2020 11:46 AM
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सुशांत सिंह राजपूत केस (Sushant Singh Rajput Case) पर बिहार से महाराष्ट्र तक हो रही राजनीति की अब शरद पवार (Sharad Pawar) के परिवार में भी एंट्री हो चुकी है. पवार परिवार की तीसरी पीढ़ी के बयान पर खुद शरद पवार को टिप्पणी करनी पड़ी है - और पवार की प्रतिक्रिया पर नये सिरे से राजनीति शुरू हो चुकी है.

शरद पवार का भतीजे अजित पवार के बेटे पार्थ पवार (Parth Pawar) को 'अपरिपक्व' बताना एक बार फिर चाचा-भतीजे की तकरार की वजह बनते देखा जा रहा है, इसलिए फौरन ही डैमेज कंट्रोल की कवायद भी चल पड़ी है. एनसीपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने विवाद की बातों को खारिज किया है, तो सामना में शिवसेना ने भी गैर-महत्वपूर्ण समझाने की कोशिश की है.

अगर पार्थ पवार ने सुशांत सिंह केस में ही पार्टी लाइन से आगे बढ़ कर बयानबाजी की होती तो परिवार का झगड़ा लगता, लेकिन 'जय श्रीराम' बोल कर तो वो राजनीतिक का नया मिजाज ही पेश कर दिया है - ये पारिवारिक राजनीतिक की विरासत लड़ाई से कहीं ज्यादा नये राजनीतिक माहौल में पांव जमाने की राजनीति लग रही है.

पार्थ पवार अपरिपक्व कैसे?

मुंबई में मीडिया से बातचीत में एनसीपी प्रमुख शरद पवार सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच को लेकर बोले कि सीबीआई जांच से उनको कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुंबई पुलिस पर उनको पूरा भरोसा है. ये भरोसा इसलिए है क्योंकि वो पिछले 50 साल से महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस को जानते हैं. इसी दौरान पार्थ पवार के बयान की चर्चा चली तो शरद पवार ने उनको अपरिपक्व और अनुभवहीन बता कर बात टालने की कोशिश की, लेकिन मामला उलटा पड़ गया. बोले, 'हमारे पोते ने सुंशात सिंह केस में जो कुछ कहा है हम उसे जरा भी महत्व नहीं देते. वो अभी अपरिपक्व है.'

शरद पवार की बातों से पार्थ पवार तो नाराज हुए ही, अजित पवार भी अपना फोन स्वीच ऑफ कर लिये - असल में ये अजित पवार के नाराजगी जताने का भी एक तरीका होता है. हालांकि, ऐसा अजित पवार ने तब भी किया था जब रातोंरात सब तय हुआ और सुबह सुबह देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के दोबारा मुख्यमंत्री बन चुके थे - और अजित पवार डिप्टी सीएम.

पार्थ पवार को लेकर शरद पवार के बयान के बाद उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले हरकत में आयीं और डैमेज कंट्रोल में जुट गयीं. अजित पवार से मिलने सीधे वो मंत्रालय पहुंच गयीं - वैसे बाद में पार्थ पवार बुआ सुप्रिया से मिलने भी गये और फिर सिल्वर ओक में शरद पवार से मिलकर सफाई भी दी.

दरअसल, पार्थ पवार ने कुछ दिन पहले सुशांत सिंह राजपूत केस की सीबीआई जांच की मांग कर डाली थी. सिर्फ मांग ही नहीं की, बल्कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख को पत्र भी लिख डाला था. पार्थ पवार का कहना रहा कि देश के युवाओं की मांग पर राज्य सरकार को ऐसा करना चाहिये.

sharad pawar, parth pawarशरद पवार के परिवार में चाचा-भतीजे की लड़ाई के बाद अब जेनरेशन गैप का संघर्ष शुरू हो चुका है

पार्थ पवार 2019 के लोक सभा चुनाव में एनसीपी के उम्मीदवार थे लेकिन चुनाव हार गये और तब से उनका कहीं अता पता नहीं चल रहा था. सुशांत सिंह राजपूत केस में बयान देने के बाद पत्र लिख कर वो एक बार फिर लाइमलाइट में आ गये. शरद पवार के रिएक्शन के बाद तो पार्थ सुर्खियों में ही छा गये. तभी पार्थ पवार के करीबियों ने खबर फैला दी कि वो शरद पवार के बयान से काफी आहत हैं और जल्दी ही कोई फैसला ले सकते हैं. राजनीति में ऐसे फैसले या तो पार्टी छोड़ कर कोई और राजनीतिक दल ज्वाइन करने के होते हैं या फिर नयी पार्टी बनाने को लेकर. मामला तूल पकड़ने लगा तो एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने सफाई दी कि पार्टी और परिवार में कोई नाराजगी नहीं है. वैसे ऐसे मनमुटाव पवार परिवार में लोक सभा चुनाव के समय भी हुए थे और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के वक्त भी. सीनियर एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी शरद पवार की हां में हां मिलाते हुए कहा कि पार्थ पवार राजनीति में अभी नये हैं. सवाल है कि क्या पार्थ पवार वास्तव में अपरिपक्व हैं.

सवाल ये है कि क्या पार्थ पवार वास्तव में अपरिपक्व है? अपरिपक्व तो वो समझा जाएगा जो ऊलजुलूल कुछ भी बोलता फिरे. कभी इस तरफ कभी उस तरफ. अगर पार्थ पवार ने सिर्फ सुशांत सिंह केस को लेकर ही बयान दिया होता तो भी एक पल के लिए ये मान लिया जाता, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के समय पार्थ के ट्वीट को कैसे देखा जाना चाहिये?

महाराष्ट्र में सुशांत सिंह केस और भूमि पूजन दोनों ही ऐसे मामले हैं जिसकी अलग पॉलिटिकल लाइन है. शरद पवार तो भूमि पूजन को लेकर कह चुके हैं कि लोगों को लगता है इससे कोरोना ठीक हो जाएगा. उद्धव ठाकरे ने तो वर्चुअल भूमि पूजन की ही सलाह दे डाली थी.

देखा जाये तो पार्थ पवार के दोनों ही स्टैंड एक ही राजनीतिक लाइन पर जा रहे हैं जो एनसीपी विरोधी भी है. सुप्रिया सुले ने पार्थ के जय श्रीराम बोलने पर भी सफाई दी है. सुप्रिया का कहना है कि ये पार्थ की निजी राय हो सकती है, पार्टी इससे सहमत नहीं है. शरद पवार ने जो कुछ कहा है वो उनका हक है - और पार्टीलाइन भी.

व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो पार्थ पवार सीधे सीधे कोई अपरिपक्व नहीं लगते, बल्कि ऐसा लग रहा है जैसे वो नयी राजनीतिक लाइन पकड़ रहे हैं - पार्थ पवार को विरासत से ज्यादा भविष्य की चिंता सता रही है. इस बीच जयंत पाटिल का ये कहना कि एनसीपी के जो नेता बीजेपी में जाकर विधायक बन चुके हैं वे अब पार्टी में लौटना चाहते हैं और उस पर बातचीत चल रही है. जयंत पाटिल का ये बयान बता रहा है कि पार्थ पवार के इस रूप में एक्टिव होने से पार्टी किस हद तक परेशान हो रही है.

ये नयी पीढ़ी की राजनीति है

सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर महाराष्ट्र में पार्थ पवार वैसे ही सजग नजर आ रहे हैं जैसे बिहार में तेजस्वी यादव और चिराग पासवान - ये मामला युवा वर्क से सीधे सीधे जुड़ा है. शरद पवार का स्टैंड उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास आघाड़ी गठबंधन सरकार की वजह से है और पार्थ पवार हो सकता है नयी पीढ़ी की स्थानीय राजनीति में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हों और ये केस सुर्खियां बटोरने के लिए काफी मददगार साबित हुआ है.

सुशांत केस को लेकर भले ही पार्थ पवार को डांट खानी पड़ी हो, लेकिन नितेश राणे खुल कर उनके सपोर्ट में खड़े हैं. नितेश राणे महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे हैं. नारायण राणे बीजेपी के साथ हैं और सुशांत सिंह केस को हत्या का मामला मानते हैं, न कि खुदकुशी.

सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर महाराष्ट्र में नयी पीढ़ी के तीन नेताओं के विचार जानना दिलचस्प है - आदित्य ठाकरे तो इस केस को लेकर पहले ही सफाई दे चुके हैं. सुशांत सिंह केस को लेकर आदित्य ठाकरे ने कहा था कि इस मामले में सड़क छाप राजनीति हो रही है. आदित्य ठाकरे का कहना रहा कि बगैर किसी कारण के उनके और उनके परिवार पर कीचड़ उछाला जा रहा है. आदित्य ठाकरे ने इसे चुनाव में हारे हुए लोगों की करतूत भी बताया है. नितेश राणे सुशांत केस की सीबीआई जांच को लेकर महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे पर भी हमलावर हैं.

नितेश राणे ने आदित्य ठाकरे को पद्म पुरस्कार देने वाली समिति की कमान सौंपे जाने पर भी चुटकी ली है - ट्वटिर पर नितेश राणे ने आदित्य ठाकरे को टारगेट करते हुए इशारा सुशांत सिंह केस की तरफ ही किया है.

नितेश राणे, पार्थ पवार को लंबी रेस का घोड़ा बताते हैं और कहते हैं - रुकना नहीं मित्र. नितेश राणे, पार्थ पवार को शरद पवार की फटकार पर भी अफसोस जताते हैं और पूछते हैं - आखिर ये गुस्सा पार्थ पवार के राम मंदिर का समर्थन करने को लेकर है या सीबीआई जांच को लेकर?

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