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Updated: 15 जुलाई, 2020 06:04 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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राजस्थान (Rajasthan) में पायलट (Sachin Pilot) और गहलोत (Ashok Gehlot) के बीच का गतिरोध कुछ ऐसा था जिसने तमाम कांग्रेसियों को दो धड़ों में बांट दिया. अब चूंकि ज़ोर उसी का चलता है जिसका पलड़ा भारी होता है और जैसे हालात हैं वजन गहलोत के पाले में है इसलिए पायलट और पायलट समर्थकों के हाल बुरे हैं. इनकी दुर्गति किस हद तक हो रही है अगर इसे समझना हो तो हम महाराष्ट्र कांग्रेस (Maharashtra Congress) से जुड़े संजय झा (Sanjay Jha Sacked) का रुख कर सकते हैं. बता दें कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के लिए संजय झा को तत्काल प्रभाव से कांग्रेस (Congress) पार्टी से निलंबित कर दिया गया है. निलंबन के मद्देनजर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक पत्र भी जारी किया है. ध्यान रहे कि गत दिनों ही संजय झा को AICC प्रवक्ता के पद से भी हटाया गया था.

Sanjay Jha Sacked, Congress, Rajasthan, Sachin Pilot, Ashok Gehlotसचिन पायलट के समर्थन का सबसे ज्यादा नुकसान संजय झा को हुआ है

तो आखिर कौन सा गुनाह कर बैठे हैं झा

करीब एक पखवाड़ा पहले संजय झा ने कांग्रेस पार्टी के भी की कमजोरियों को एक अखबार के कॉलम में लिख दिया था. यही बात सोनिया गांधी और उनके सलाहकारों को चुभ गई. सबसे पहले उन्हें पार्टी प्रवक्ता पद से रुखसत किया गया. झा अपने ऊपर हुई इस कार्रवाई से विचलित नहीं हुए. बल्कि अपने मन की बात कई मीडिया चैनलों और न्यूज पोर्टलों से करते रहे. हालांकि, उन्होंने पार्टी के हित में कुछ ट्वीट भी किए, लेकिन पार्टी नेतृत्व तो उनके लिए छुरी में धार करके बैठा था. जैसा कि हम बता चुके हैं गहलोत-पायलट विवाद में पार्टी से जुड़े लोगों ने अपने को दो ग्रुप्स में बांट लिया है. तो इसी क्रम में संजय झा ने अपने को सचिन पायलट के पाले में रखा और उनके समर्थन में ट्वीट कर दिया. ये बात पार्टी के फैसलों पर हामी भरने वालों को बुरी लगी और नतीजा हम सबके सामने है. पायलट-गहलोत विवाद पर संजय झा ने एक सुझाव देते हुए ट्वीट किया था कि राजस्थान में सचिन पायलट को सीएम बना देना चाहिए.

उन्‍होंने यह भी कहा था कि तीन बार सीएम रह चुके अशोक गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए ऐसे राज्‍यों की जिम्‍मेदारी सौंपनी चाहिए जहां कांग्रेस कमजोर है. साथ ही राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस के लिए नया अध्यक्ष नियुक्त करना चाहिए.

वहीं एक अन्य ट्वीट में झा ने ट्वीट किया था कि पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया, अब सचिन पायलट, अगला कौन ?

ज्ञात हो कि संजय झा का शुमार पार्टी के उन नेताओं में है जो बड़े ही मुखर ढंग से अपनी बातें कहते हैं. अभी पिछले दिनों ही संजय झा उस वक़्त सुर्खियों में आए थे जब एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने ये कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है. तब आलाकमान को ये बात नागवार गुजरी थी और संजय झा को सिर्फ इस बयान के कारण पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया था.

कौन हैं संजय झा

संजय झा कांग्रेस पार्टी का जाना माना चेहरा हैं जोकि 2013 से पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे जिन्हें हम पार्टी का पक्ष रखते हुए कई अलग- अलग टीवी डिबेट्स में देख चुके हैं. इसके अलावा संजय झा महाराष्ट्र स्थित ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. संजय झा पार्टी का एक जाना माना चेहरा हैं जो खुलकर अपनी बातें कहने के लिए जाने जाते हैं.

संजय झा के बारे में मशहूर है कि ये पार्टी और पार्टी से जुड़े नेताओं के लिए हनुमान की तरह थे जिन्होंने कई मौकों पर पार्टी के नेताओं को बचाया. बात बीते दिनों की है संजय झा ने आलोचकों के विरुद्ध मोर्चा खोला था और ये ट्विटर पर प्रियंका गांधी का बचाव करते आए थे.

संजय झा को पार्टी से निलंबित किये जाने के बाद शुरू हो गया है प्रतिक्रियाओं का दौर

जैसा कि होना लाजमी था. संजय झा के पार्टी से निलंबन के बाद से प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. मामले पर एक के बाद एक रिएक्शन्स आ रहे हैं जिनमें संजय झा को या तो सराहा जा रहा है या फिर उनकी आलोचना हो रही है.

संजय झा का पक्ष लेते हुए किरण कुमार नाम के यूजर ने लिखा है कि मुझे सचिन पायलट के पार्टी से निकाले जाने से इतना दुख नहीं हुआ क्यों कि कम उम्र से ही उन्हें सोनिया गांधी द्वारा रॉयल ट्रीटमेंट दिया जाता रहा है. मुझे दुख संजय झा के पार्टी से निकाले जाने का हुआ है. ये आदमी यूएस में एक उम्दा जिंदगी गुजार सकता था पर इन्होंने हमेशा ही तमाम खामियों के बावजूद कांग्रेस का बचाव किया. इतना सब करने के बाद भी इनके साथ ये हाल हुआ.

नेहा जोशी ने इस मामले में संजय झा की तुलना शत्रुघन सिन्हा से की है और कहा है कि सिन्हा ने भाजपा की इतनी किरकिरी की कई सालों तक वो पीएम और पार्टी की आलोचना करते रहे और अपनी मर्ज़ी से पार्टी छोड़ी. वहीं संजय झा को सिर्फ इस लिए पार्टी से निकाल दिया गया क्यों कि उन्होंने कुछ टीवी डिबेट्स में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. अब जनता ही बताए कि दोनों में से कौन सी पार्टी ज्यादा असहिष्णु है?

इशिता यादव ने भी संजय झा का पक्ष लिया है और कहा है कि जो कोई भी फांसीवादी राहुल गांधी की 'लीडरशिप' पर सवाल करता है उसे पार्टी से हटा दिया जाता है.

बीजेपी4इंडिया के सदस्य खेमचंद शर्मा ने संजय झा प्रकरण के बाद ट्वीट किया है कि कांग्रेस एक फांसीवादी पार्टी है ये फिर से सिद्ध हुआ है. शत्रुघन सिन्हा ने इतने सालों तकभाजपा और पीएम मोदी की आलोचना की मगर कभी उन्हें निकाला नहीं गया और संजय झा ने केवल एक ट्वीट किया और पार्टी की कमियां बताईं जिस कारण उन्हें निकाल दिया गया. INC में अच्छे नेताओं का कोई भविष्य नहीं है.

मामले पर एक करारा व्यंग्य करते हुए बाबू भइया नाम के यूजर ने ट्वीट किया है कि संजय झा को सकारात्मक होना चाहिए कि केवल उन्हें पार्टी से निकाला गया है. वहीं पार्टी में एक अन्य लोकप्रिय संजय थे उनके साथ क्या सलूक हुआ ये सबने देखा.

ईशान ठाकुर नाम के यूजर ने उस चिट्ठीको ट्वीट किया है जिसमें संजय झा के निलंबन का जिक्र है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि केवल सच बोलने के लिए आज पार्टी ने संजय झा का ये हाल किया है. यही कांग्रेस पार्टी का असली चेहरा है.

वहीं एक अन्य यूजर ने कहा है कि पॉलिटिकल साइंटिस्ट प्रियंका चतुर्वेदी ने बिल्कुल सही वक्त पर अपने को पार्टी से अलग कर लिया. वहीं 10 सालों तक विपक्ष से आलोचना सहने के बावजूद और तमाम तरह की मेहनत करने के बावजूद संजय झा को पार्टी से हटा दिया गया.

वरुण शाह नाम के यूजर ने ट्वीट किया है कि जिस वक्त संजय झा ने पार्टी की कमियों का बखान किया वो एक अच्छा सुझाव था जिसका पालन विपक्ष को भी करना चाहिए था. पर एक अच्छी बात के लिए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया. झा के साथ जो हुआ वो वाक़ई बहुत गलत हुआ.

बहरहाल पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद संजय झा ने अपनी सफाई दे दी है. इस संबंध में झा ने एक ट्वीट और किया है और कहा है कि वह पार्टी की विचारधारा के प्रति वफादार हैं, लेकिन उनकी ‘‘वफादारी किसी व्यक्ति या परिवार के प्रति'' नहीं है. झा ने ये भी कहा कि वह गांधीवाद-नेहरूवाद विचारधारा में यकीन रखने वाले व्यक्ति हैं और यह विचारधारा अब कांग्रेस से लुप्त हो रही है. साथ ही झा ने अपने ट्वीट में इस बात का भी जिक्र किया है की वह पार्टी के पुनरुत्थान के लिए आवश्यक मामलों को उठाना जारी रखेंगे और यह लड़ाई अभी शुरु ही हुई है.  

संजय झा के ये बागी तेवर आगे क्या रंग लेते हैं? झा के निलंबन के बाद कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की कितनी किरकिरी होती है? क्या ये निलंबन वापस होता है? तमाम सवालों के जवाब वक़्त देगा। मगर जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने अपने एक कुशल वक्ता और उसके अधिकारों का दमन किया.

पूरे देश को पता चल गया है कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है जिसमें किसी भी नेता को अपनी बात रखने का कोई अधिकार नहीं है. यदि नेता मुखर होकर अपनी बातें कहता है तो उसके साथ पार्टी वही सलूक करेगी जो वर्तमान में कभी पार्टी के हनुमान रह चुके संजय झा के साथ किया गया.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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