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Updated: 13 नवम्बर, 2021 03:00 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' (Sunrise over Ayodhya) में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों से करने का विवाद बढ़ता जा रहा है. सलमान खुर्शीद ने इस किताब में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का अपने हिसाब से विश्लेषण किया है. दरअसल, हिंदुत्व (Hindutva) के नाम पर आरएसएस और भाजपा की लगातार बढ़ रही स्वीकार्यता ने पूरे देश के सियासी दलों की नाक में दम कर रखा है. नेताओं से लेकर कथित बुद्धिजीवियों और वामपंथियों का एक बड़ा समूह इसी मौके की तलाश में रहता है कि उन्हें किसी भी तरह से हिंदुत्व की लानत-मलानत करने का कोई चांस मिल जाए. तो, सलमान खुर्शीद की किताब को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने ये किताब एक नेता नहीं, बल्कि मुसलमान के नजरिये से लिखी है. वैसे, इन सबके बीच सलमान खुर्शीद की एक और किताब सुर्खियां बटोरने लगी है, जिसमें उन्होंने हिंदुओं के साथ ही सिखों को भी 'गुनाहगार' कहा है.

Salman Khurshid justifies 1984 Sikh Riotsराहुल गांधी का बयान कहीं न कहीं हिंदुत्व पर सलमान खुर्शीद की सोच का समर्थन करता हुआ नजर आता है.

भाजपा के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने 1986 में आई सलमान खुर्शीद की किताब 'एट होम इन इंडिया: अ रीस्टेटमेंट ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' का एक पेज शेयर किया है. सलमान खुर्शीद की इस किताब में 1984 के दंगों का जिक्र किया गया है. अपनी हालिया किताब में हिंदुत्व को ISIS और बोको-हराम जैसे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों के बराबर कहने वाले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने 1984 के दंगों का भी इस्लामिक धर्मांधता (Islamic Fanaticism) के चश्मे से विश्‍लेषण किया था. अपनी पुरानी किताब 'एट होम इन इंडिया' में 1984 के सिख दंगों (1984 Sikh Riots) का जिक्र कर सलमान खुर्शीद लिखते हैं कि जो मुस्लिम बंटवारे का दर्द परिणामों को नहीं भूले थे, उन मुसलमानों को 84 के दंगों ने एक गहरा संतोष दिया था. सलमान खुर्शीद की किताब के अनुसार, हिंदुओं और सिखों ने उस गुनाह का फल भुगता, जो उन्‍होंने बंटवारे के दौरान मुसलमानों पर किया था. इस किताब में दंगों को न्यायोचित ठहराते हुए लिखा गया था कि उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या के लिए भुगता, जो जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के मुस्लिमों की आखिरी उम्मीद थीं.

मुस्लिमों को कैसे संतोष दे सकते हैं 1984 के सिख दंगे?

आखिर कोई किस आधार पर 1984 में हुए सिख दंगों को उचित ठहरा सकता है? बंटवारे (Partition) के दौरान हिंदू-मुस्लिम-सिखों समेत सभी लोगों ने उस भयावहता को झेला था, लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना के 'डायरेक्ट एक्शन प्लान' में हिंदुओं के हुए भयावह नरसंहार को क्या कोई सही ठहरा सकता है? इसका जवाब ना ही होगा. लेकिन, अगर सलमान खुर्शीद की मानें, तो ये सभी घटनाएं भारत के मुस्लिमों को संतोष दे रही थीं और बंटवारे से मिले दर्द को कम कर रही थीं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सलमान खुर्शीद की हिंदुओं और सिखों से नफरत के 1947 के बंटवारे जितनी ही पुरानी है. वो पहले भी अपनी किताब में भारत के मुस्लिमों को पीड़ित दिखाने की कोशिश कर चुके हैं. और, इसके लिए खुर्शीद सरीखे नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. मुस्लिमों को पीड़ित बताने के लिए अगर उन्हें हिंदुओं और सिखों को भी कठघरे में खड़ा करने की जरूरत पड़ेगी, तो वह बिल्कुल भी हिचकिचाने वाले नही हैं.

खैर, सलमान खुर्शीद अपनी इस्लामिक धर्मांधता को 1986 में 'एट होम इन इंडिया: अ रीस्टेटमेंट ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' लिखकर साबित कर चुके हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि ऐसी जहर बुझी और धर्मांध सोच वाले नेताओं को आज भी हमारे देश की राजनीति में एक सर्वमान्य नेता के तौर पर जाना जाता है. उस पर विडंबना ये है कि खुर्शीद के इन विचारों पर हंगामा होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी उनका परोक्ष रूप से समर्थन करते हुए हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क बताने उतर आए हैं. राहुल गांधी के हिसाब से हिंदू धर्म में कहीं भी मुस्लिमों और सिखों के खिलाफ हिंसा को सही नहीं बताया गया है. लेकिन, हिंदुत्व में यह सब जायज है. कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी का ये बयान कहीं न कहीं हिंदुत्व पर सलमान खुर्शीद की सोच का समर्थन करता हुआ नजर आता है.

हिंदुत्व और हिंदू धर्म को अलग कैसे माना जाए?

वहीं, इन सबके बीच कांग्रेस के वरिष्ठ मुस्लिम नेता गुलाम नबी आजाद ने इस बारे में ट्वीट कर कहा है कि हम भले ही हिंदुत्व को हिंदू धर्म की मिली-जुली संस्कृति से अलग एक राजनीतिक विचारधारा मानकर इससे असहमति जताएं, लेकिन हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और जिहादी इस्लाम से करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है. कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि हिंदुत्व की कुख्यात आतंकी संगठनों से तुलना कर सलमान खुर्शीद केवल भाजपा के निशाने पर ही नहीं आए हैं. हर वो शख्स उनकी इस किताब की निंदा कर रहा है, जो चीजों को राजनीतिक और धार्मिक चश्मे से नहीं देखता है.

यह एक तरह से धर्मांधता की इंतहा ही है कि इस बारे में सवाल पूछे जाने पर सलमान खुर्शीद ने एबीपी न्यूज से कहा कि हिंदू धर्म बहुत उच्च स्तर का धर्म है. इसके लिए गांधी जी ने जो प्रेरणा दी उससे से बढ़कर कोई प्रेरणा नहीं हो सकती है. कोई नया लेबल लगा ले तो उसे मैं क्यों मानूं? कोई हिंदू धर्म का अपमान करे, तो भी मैं बोलूंगा. मैंने ये कहा कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले गलत हैं और आईएसआईएस भी गलत है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो शायद ही कोई सलमान खुर्शीद को ये सिंपल सा लॉजिक समझा पाएगा कि मुस्लिम और इस्लाम, क्रिश्चियन और क्रिश्चियैनिटी, हिंदू धर्म और हिंदुत्व को अलग-अलग नहीं कहा जा सकता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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