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Updated: 04 फरवरी, 2021 04:07 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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'क्रिकेट के भगवान' ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ फेंकी जा रही बाउंसरों पर ऐसा करारा 'मास्टरस्ट्रोक' मारा कि गेंद स्टेडियम के पार चली गई. क्रिकेट के मैदान पर विरोधी खिलाड़ियों की छींटाकशी पर भी शांत रहते हुए अपने बल्ले के जरिये उसका मुंहतोड़ जवाब देने वाले सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) ने किसान आंदोलन को लेकर भारत को बदनाम करने वाली अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को अपने चिर-परिचित तरीके से जवाब दिया है. सचिन ने ट्वीट कर लिखा कि भारत की संप्रभुता के साथ समझौता नहीं हो सकता. विदेशी ताकतें सिर्फ देख सकती हैं लेकिन हिस्सा नहीं ले सकतीं. भारत को भारतीय जानते हैं और इसके लिए फैसला भारतीय को ही लेना चाहिए. आइए एक राष्ट्र के तौर पर एकजुट रहें. 

भारत के आंतरिक मामले में अपनी नाक घुसाने वाली अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को सचिन तेंडुलकर का ये जवाब 'सौ सुनार की और एक लोहार की' साबित हो रहा है. पॉप स्टार रिहाना (Rihanna), पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg), अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीरा हैरिस (Meera Harris) समेत कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने मोदी सरकार (Modi Government) के कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन (Farmer Protest) को समर्थन दिया था. इन विदेशी हस्तियों के दखल के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगाने और मुद्दों की उचित समझ पैदा करने की नसीहत दी है.

पॉप सिंगर रिहाना और बाकी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट को देश पर हमला बना दिया है.पॉप सिंगर रिहाना और बाकी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट को देश पर हमला बना दिया है.

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों का दखल बना भारत की संप्रभुता पर हमला

#IndiaAgainstPropaganda हैशटैग ने पॉप सिंगर रिहाना और बाकी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट को देश पर हमला बना दिया है. सचिन तेंडुलकर का इस मामले पर अपनी राय जाहिर करना दर्शाता है कि जब बात देश की हो, तो भारतीय कभी पीछे नहीं हटते हैं. देश के मामले में जाति, धर्म, वर्ग, पंथ, संप्रदाय से ऊपर उठकर हर नागरिक की सोच भारतीय हो जाती है. सचिन तेंडुलकर का ट्वीट उसी की बानगी भर है. सचिन तेंडुलकर के साथ ही कई अन्य खिलाड़ियों ने भी ट्वीट किए. बॉलीवुड सेलेब्स ने भी देश के निजी मामले में एकता दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. इसके बाद से ही #IndiaAgainstPropoganda और #IndiaTogether ट्विटर पर ट्रेंडिग टॉपिक बने हुए हैं. भारत के आंतरिक मामले पर इन अंतरराष्ट्रीय सेलेब्स के ट्वीट पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी है. आंकड़ों की बात करें, तो #IndiaAgainstPropoganda पर 1.2 मिलियन से ज्यादा और #IndiaTogether पर 1.1 मिलियन से ज्यादा ट्वीट किए जा चुके हैं. एक साधारण सा उदाहरण है कि भारत में अगर किसी व्यक्ति के घर में पारिवारिक विवाद हो, तो निपटारे के लिए पड़ोसी तब तक नहीं आते, जब तक उन्हें बुलाया न जाए. अंतरराष्ट्रीय दखल तो बहुत आगे की बात है.

ग्रेटा थनबर्ग के डिलीटेड ट्वीट ने बदल दी तस्वीर

खैर, यहां तक तो तब भी ठीक था. टाइम मैगज़ीन की 2019 में 'पर्सन ऑफ द इयर' बनीं ग्रेटा थनबर्ग इस मामले पर एक हाथ आगे जाने की कोशिश में बड़ी गलती कर बैठीं. ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से एक गूगल डॉक्युमेंट फाइल शेयर कर दी और कुछ ही देर में उसे डिलीट कर दिया. ग्रेटा थनबर्ग ने इस डॉक्यूमेंट को टूलकिट के नाम से साझा किया गया. जिसमें भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की की कार्ययोजना भी साझा की गई थी. इस डॉक्यूमेंट में किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल बताया गया था.

ग्रेटा थनबर्ग के डिलीट करने से पहले ही इस डॉक्यूमेंट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर तैरने लगे.ग्रेटा थनबर्ग के डिलीट करने से पहले ही इस डॉक्यूमेंट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर तैरने लगे.

ग्रेटा थनबर्ग के डिलीट करने से पहले ही इस डॉक्यूमेंट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर तैरने लगे. इसे लेकर थनबर्ग ट्रोलर्स के निशाने पर आ गईं. इस डॉक्यूमेंट की भाषा को लेकर सबसे ज्यादा विवाद हो रहा है. इसमें भारत की वर्तमान भाजपा सरकार को फासीवादी करार दिया गया था. ग्रेटा थनबर्ग की इस गलती पर उनके इस मुहिम से जुड़े होने के आरोप लग रहे हैं. ग्रेटा थनबर्ग के बाद अन्य अंतरराष्ट्रीय सेलेब्स भी सवालों के घेरे में आ गए हैं.

किसान नेताओं के सामने अब 'सांप और छछूंदर' वाली स्थिति

किसान आंदोलन की राह में रोड़े खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं. 40 किसान संगठनों को मिलाकर एक संयुक्त किसान मोर्चा बनाया गया. अलग-अलग विचारधाराओं के होने की वजह से किसान आंदोलन पर पहले से ही खालिस्तान और टुकड़े-टुकड़े गैंग समर्थक होने के आरोप लग रहे थे. 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में फैली अराजकता और हिंसा के बाद किसान आंदोलन बैकफुट पर आ गया था. विपक्षी दलों का समर्थन मिलने के बाद से आंदोलन के विशुद्ध रूप से राजनीतिक हो जाने का अंदेशा जताया ही जा रहा था.

26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में फैली अराजकता और हिंसा के बाद किसान आंदोलन बैकफुट पर आ गया था.26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में फैली अराजकता और हिंसा के बाद किसान आंदोलन बैकफुट पर आ गया था.

इसी बीच इन विदेशी सेलेब्रिटियों ने इस आंदोलन के लिए एक नई मुश्किल खड़ी कर दी. इन अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के समर्थन देने की वजह से किसान आंदोलन को जितना फायदा होने की उम्मीद की जा रही थी, फिलहाल तो उससे ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है. सचिन तेंडुलकर का मास्टरस्ट्रोक और अन्य सेलेब्स की देश के लिए भावना इन अंतरराष्ट्रीय हस्तियों समेत किसान नेताओं पर भारी पड़ती नजर आ रही है. किसान नेताओं के सामने अब देश के नेतृत्व या विदेशी समर्थन में से एक को चुनने की 'सांप और छछूंदर' वाली स्थिति बन पड़ी है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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