New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 14 अप्रिल, 2022 06:35 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

'इस सप्ताह भारत और अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू बैठक में मानवाधिकार के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई थी. लोग हमारे बारे विचार बनाने का हक रखते हैं. हमें भी उनके (अमेरिका) बारे में अपना विचार रखने का हक है, जो लॉबीज और वोट बैंक भारत के बारे में इस तरह के मुद्दे को हवा देते हैं. हम इस मामले में चुप नहीं रहेंगे. दूसरों के मानवाधिकार पर भी हमारी राय है. खासतौर से जब इसका संबंध हमारे समुदाय (भारतीय) से हो. अमेरिका और अन्य के लिए भी हमारे पास मानवाधिकार की स्थिति पर कहने के लिए मुद्दे हैं' ये बात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका को उसी की धरती पर कही है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की ओर से मानवाधिकार पर दिए गए 'ज्ञान' पर एस जयशंकर ने 'पुष्पा' के कैरेक्टर में आते हुए अमेरिका को आंख से आंख मिलाकर मुंहतोड़ जवाब दिया है. एस जयशंकर ने बिना किसी लाग-लपेट के जवाब देते हुए बता दिया कि भारत भी अमेरिका में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नजर बनाए हुए है. एस जयशंकर के बयान ने साबित कर दिया है कि अमेरिका की किसी भी दबाव के आगे भारत झुकेगा नहीं.

मानवाधिकार पर अमेरिका बात क्यों लगती है 'ज्ञान'?

दरअसल, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि 'वह (अमेरिका) भारत में मानवाधिकारों के बढ़ते उल्‍लंघन की निगरानी कर रहा है. इसमें कुछ सरकारों, पुलिस और जेल अधिकारियों के मानवाधिकारों के उल्‍लंघन करने की बढ़ती घटनाएं शामिल हैं.' हालांकि, एस जयशंकर और राजनाथ सिंह ने उस दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के इस जिक्र पर कोई जवाब नहीं दिया था. वैसे, यहां गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन जब मानवाधिकार पर ये ज्ञान दे रहे थे, उसी समय न्यूयॉर्क के रिचमंड हिल्स इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों पर हमला कर उनके साथ लूटपाट की गई. इतना ही नहीं, इन सिख समुदाय के लोगों की पगड़ी भी उतार दी गई थी. वहीं, इसी अप्रैल महीने की शुरुआत में न्यूयॉर्क में ही एक बुजुर्ग सिख पर भी बेरहमी से हमला किया गया था.

S Jaishankar Human Rightsविदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत किसी भी अमेरिकी दबाव के आगे झुकेगा नहीं.

भारतीयों के खिलाफ नस्लभेदी जहर और गालियों पर महाशक्ति की 'चुप्पी'

अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ नस्लभेदी जहर और गालियों का इस्तेमाल खुलेआम किया जाता है. लेकिन, सुपरपावर कहलाने वाला अमेरिका इस पर चुप्पी साधे रहता है. हाल ही में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया की प्रोफेसर एमी वैक्स (Amy Wax) ने अमेरिकी टीवी चैनल फॉक्स न्यूज पर खुलेआम भारत के खिलाफ गालियों का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं, एमी वैक्स ने भारत के खिलाफ, दक्षिण एशिया के प्रवासियों और भारतीय महिलाओं को लेकर भी घोर आपत्तिजनक बातें कह कर अपनी नस्लवादी सोच को उजागर कर दिया. चौंकाने वाली बात है कि फॉक्स न्यूज ने एमी वैक्स की अभद्र भाषा के बावजूद इस टॉक शो का प्रसारण कर दिया. और, इसे लेकर किसी से माफी तक नहीं मांगी. वहीं, एमी वैक्स के मामले पर जब लोगों ने सवाल उठाए, तो इसे उनकी 'निजी राय' करार देकर पल्ला झाड़ लिया गया. अमेरिका की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया. लेकिन, ऐसे ही मामलों में अमेरिका चाहता है कि भारत मानवाधिकारों की रक्षा जैसे मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे.

तालिबान पर मेहरबान बाइडेन सरकार को दिखता है सिर्फ 'इस्लामोफोबिया'

दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने वाले आतंकी समूहों में इस्लामिक कट्टरपंथियों का बोलबाला है. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अफगानिस्तान में तालिबान अफगानी नागरिकों के मानवाधिकारों को किस तरह कुचल रहा है. लेकिन, अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए तालिबान के खिलाफ खुलकर कुछ भी बोलने से कतराते हैं. इतना ही नहीं, अमेरिका ने तालिबान के कई कुख्यात आतंकवादियों को 'मोस्ट वांटेड' लिस्ट से बाहर कर दिया है. इसके बावजूद जो बाइडेन की पार्टी की मुस्लिम सांसद इल्हान उमर को सिर्फ इस्लामोफोबिया ही नजर आता है. इजरायल की तुलना हमास और तालिबान से करने वाली मुस्लिम सांसद इल्हान उमर ने हाल ही में 'इस्लामोफोबिया बिल' पेश किया था. जिसमें भारत को मुस्लिमों के खिलाफ तथाकथित अत्याचारों के लिए चीन और म्यांमार की श्रेणी में रखा गया है. और, एस जयशंकर ने इशारों-इशारों में इन्हीं लॉबिस्ट और वोट बैंक की सियासत करने वालों पर निशाना साधा है. इल्हान उमर जैसी सांसद अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए भारत में मुस्लिमों पर अत्याचारों पर पहले भी छाती पीटती नजर आ चुकी हैं.

बिना डरे और बिना झुके मजबूती से अपनी बात रख रहा है भारत

यूक्रेन को लेकर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में आई तल्खी कई बार नजर आ चुकी है. भारत पर दबाव बनाने की नीयत से अमेरिका के डिप्‍टी एनएसए दलीप सिंह ने रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को न मानने वाले देशों को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी. रूस से एस-400 (S-400) मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर भी अमेरिका ने भारत को घुड़की देने की कोशिश की थी. लेकिन, भारत पर दबाव बनाने के इन तमाम बयानों पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ शब्दों में अपनी बात रखते हुए अमेरिका को बता दिया कि भारत एक सहयोगी के तौर पर अमेरिका के साथ है. और, उस पर ऐसे दबाव काम नहीं करेंगे. मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद पर अमेरिका के काटसा कानून को लेकर एस जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा कि 'ये उनका कानून है और इस पर जो कुछ भी फैसला करना है, उन्हें ही करना है.' इससे पहले रूस से तेल-गैस खरीद पर भी एस जयशंकर ने कहा था कि 'लोगों को भारत की खरीद से ज्यादा यूरोपीय देशों की खरीद पर नजर रखनी चाहिए.'

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय