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Updated: 15 जुलाई, 2022 09:08 PM
निधिकान्त पाण्डेय
निधिकान्त पाण्डेय
  @1nidhikant
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75 साल पहले तक भारत पर करीब 200 साल तक ब्रिटिश राज था लेकिन क्या अब ब्रिटेन में एक ऋषि राज करेगा? मैं ऐसा किसी सनक में नहीं कह रहा बल्कि खबर पढ़-सुनकर कह रहा हूँ और आपसे पूछ रहा हूँ. आपने भी नाम तो सुना होगा? ऋषि.. ऋषि सुनक. और जिन लोगों ने नहीं सुना है उन्हें बता दें कि ब्रिटेन में पिछले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के हटने के बाद अब नया प्रधानमंत्री चुना जाना है और अटकलों का बाजार गर्म है कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं...

यहाँ मैं आपको सबसे पहले तो बता दूं कि ब्रिटेन में अभी प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव नहीं हो रहे हैं और ना ही ब्रिटेन की जनता प्रधानमंत्री चुन रही है. बल्कि, वहां की संसद में सबसे ज्यादा सांसदों वाली कंजर्वेटिव पार्टी अपने संसदीय दल का नेता चुन रही है. कंजर्वेटिव पार्टी, जिसे टोरी भी कहा जाता है. वही इस समय ब्रिटेन में बहुमत में है. इसलिए, उसका चुना गया प्रमुख ही वहां के संसदीय दल का नेता भी होता है. यानी आसान भाषा में कहा जाएगा कि कंजर्वेटिव पार्टी अपने प्रमुख और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री दोनों का चुनाव कर रही है. यही कारण है कि ब्रिटेन में फिलहाल चल रही चुनावी प्रक्रिया को ब्रिटिश पीएम का चुनाव भी कहा जा रहा है और इसमें ऋषि सुनक सबसे आगे चल रहे हैं.

अब तक क्या और कैसे हुआ?

- 7 जुलाई को बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया था लेकिन जब तक टोरी यानि कंजर्वेटिव पार्टी अपने एक नए नेता का चुनाव नहीं कर लेती तब तक बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री बने रहेंगे.

- 12 जुलाई को नामांकन प्रक्रिया खत्म हो गई थी और 8 सांसद चुनावी प्रक्रिया के लिए चुने गए थे और हर एक को कम से कम 20 टोरी सांसदों का समर्थन प्राप्त था.

- ये 8 सांसद थे: केमी बेडेनोक, जर्मी हंट, पेनी मॉर्डान्ट, लिज ट्रूस, टॉम टुजैन्ट, नधीम जहावी, भारतीय मूल के ऋषि सुनक और सुएला ब्रेवरमैन.

- 13 जुलाई को पहले दौर के मतदान में 42 वर्षीय ऋषि सुनक को सर्वाधिक 88 वोट मिले थे. जबकि पेनी मॉर्डान्ट को 67, लिज ट्रूस को 50, केमी बेडेनोक को 40, टॉम टुजैन्ट को 37 वोट मिले थे. भारतीय मूल की सुएला ब्रैवरमैन को 32 वोट मिले थे. जर्मी हंट और नधीम जहावी को 30 से भी कम वोट मिलने के कारण, नियमानुसार वो लोग रेस से बाहर हो गए.

- 14 जुलाई को लंदन में ब्रिटिश संसद के 358 सांसदों ने बैलट पेपर से पीएम पद के 6 कैंडिडेट्स के लिए अपना वोट डाला और इसमें भी बाजी मारी भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता ऋषि सुनक ने. इसीलिए कहा जा रहा है कि ब्रिटेन के पीएम बनने की तरफ उनका एक कदम और बढ़ गया है.

- कंजर्वेटिव पार्टी की दूसरे राउंड की वोटिंग में ऋषि सुनक को सबसे ज्यादा 101 वोट मिले. पेनी मॉर्डान्ट को 83, लिज ट्रूस को 64, केमी बेडेनोक को 49 और टॉम टुजैन्ट को 32 वोट मिले. भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन को दूसरे राउंड की वोटिंग में मात्र 27 वोट मिले, इसलिए वो बाहर हो गईं. अब ब्रिटेन के पीएम पद की रेस में 5 उम्मीदवार रह गए हैं.

- तीसरे राउंड की वोटिंग 18 जुलाई को होनी है. 358 कंजर्वेटिव सांसदों के वोटिंग के राउंड तब तक चलेंगे जब तक केवल दो ही उम्मीदवार बाकी ना रह जाएं. जिस भी उम्मीदवार को 30 से कम वोट मिलते हैं वो मुखिया और पीएम पद की रेस से बाहर हो जाता है और अगर सभी उम्मीदवार इस 30 के आंकड़े को पार कर लेते हैं तो सबसे कम वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार बाहर हो जाता है.

पीएम की रेस में दो उमीदवारों के बचने पर क्या होता है?

इसका जवाब है कि जब दो उम्मीवारों के बचे रहने पर पोस्टल बैलेट के जरिए कंजर्वेटिव पार्टी के मेंबर्स वोट करेंगे और इस प्रक्रिया में जिसका वोटिंग प्रतिशत ज्यादा होगा. वही प्रधानमंत्री पद का हकदार होगा. अंतिम दो उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया थोड़ा समय लेने वाली होती है. प्रचार के दौरान दोनों उम्मीदवार अपनी योजनाएं लोगों को बताते हैं और उसके आधार पर कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य पोस्टल बैलट से अपना वोट और राय देंगे. वैसे तो ब्रिटेन में राजनैतिक पाटी अपने सदस्यों की संख्या का खुलासा नहीं करती है. लेकिन, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि पिछले टोरी नेतृत्व यानी कंजर्वेटिव पार्टी के चुनाव में करीब एक लाख 60 हजार लोगों ने वोट दिया था. जाहिर है उसके बाद से कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़ी है और खबरें हैं कि अब ये संख्या एक लाख 80 हजार से दो लाख के करीब है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वोटिंग प्रोसेस पूरा होते-होते अगस्त का महीना भी लग सकता है और ब्रिटेन को नया पीएम सितम्बर की शुरुआत में मिलने की उम्मीद है. यानी अगर भारतीय मूल के ऋषि सुनक सारे एलिमिनेशन राउंड और फाइनल राउंड भी जीत जाते हैं तो सितम्बर तक ब्रिटेन में ऋषि राज कायम कर सकते हैं. ब्रिटेन के भारतीय मूल के निवासियों के अलावा भारत में भी ऋषि सुनक को लेकर काफी खुशी का माहौल है लेकिन क्या और कितना है उनका भारत से नाता? साथ ही उनके बचपन, पढ़ाई और राजनीतिक करियर पर भी नजर डालेंगे हम विस्तार से लेकिन ये भी समझ लिया जाए कि ऋषि सुनक को अब तक हुई वोटिंग में जीत मिलने के क्या कारण हो सकते हैं जो उनके फेवर में काम कर रहे हैं.

2015 में संसद सदस्य बनने वाले ऋषि कन्जरवेटिव पार्टी के उन नेताओं में से रहे हैं जिन्होंने ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने के बोरिस जॉनसन के फैसले का समर्थन किया था. ऋषि का मानना था कि ब्रिटेन में छोटे बिजनेस ब्रेक्सिट से बाहर निकलने के बाद बेहतर परफॉर्म करेंगे. ब्रिटेन के वित्त मंत्री बनने से पहले ऋषि सुनक राजकोष के चीफ सेक्रटरी भी रह चुके हैं और वित्त मंत्री के सेकंड-इन-कमांड भी. हालांकि उन्होंने पीएम पद के लिए रेस में शामिल होने से पहले ब्रिटेन के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

ऋषि सुनक ने करों में कटौती के मुद्दे पर जोर दिया है और माना जा रहा है कि ये भी एक बड़ा कारण है जो उन्हें कन्जरवेटिव पार्टी के प्रमुख और पीएम पद के दावेदारों के रूप में रेस में आगे रख रहा है. ऋषि ने बीबीसी से कहा था –

'मुझे लगता है कि हमारी पहली आर्थिक प्राथमिकता मुद्रास्फीति से निपटना है. महंगाई दुश्मन है और सबको गरीब बनाती है. मैं करों में कटौती करना चाहता हूं और मैं करूंगा. मैं संसद में टैक्स में कटौती दूंगा, लेकिन मैं इसे जिम्मेदारी से करने जा रहा हूं. मैं चुनाव जीतने के लिए करों में कटौती नहीं करता, मैं करों में कटौती करने के लिए चुनाव जीतता हूं. ये भी सुनिश्चित करना है कि कन्जरवेटिव पार्टी अगला आम चुनाव जीते. मुझे विश्वास है कि मैं लेबर नेता कीर स्टारर को हराने और चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए सबसे बेहतर व्यक्ति हूं.'

ऋषि सुनक को इस चुनाव में ब्रिटेन के प्रति उनकी लंबे समय तक प्रतिबद्धता को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. बता दें कि सुनक यूएस ग्रीन कार्ड धारी हैं और ब्रिटिश कैबिनेट में शामिल होने के बाद भी उन्होंने महीनों तक इस कार्ड को रखा था. इसके जवाब में ऋषि सुनक ने कहा-

'मैं उस समय अमेरिका में रह रहा था और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रहा था, लेकिन मैं ब्रिटेन लौट आया और एक सांसद के तौर पर और फिर सरकार में रह कर अपने देश की सेवा करने का मैंने फैसला किया.'

भारतीय मूल के ऋषि में जब इतना आत्मविश्वास है, अपनी जनता के प्रति लगन है तो फिर ऐसा लगता नहीं कि जीत उनसे दूर रहेगी.

ऋषि सुनक की पर्सनल लाइफ और पॉलिटिकल करियर

ऋषि सुनक के बारे में आपको कुछ बताएं उससे पहले कुछ सवाल मेरे मन में हैं जो मुझे लगा कि आप से साझा किए जाएं. अच्छा चलिए ये बताइये कि जब आप ऋषि सुनक का नाम सुनते हैं तो कैसा लगता है? मतलब ये तो ख्याल आता ही होगा कि ऋषि सुनक ही ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनें. कभी सोचा है कि ज्यादातर भारतीय ऐसा क्यों चाह रहे हैं कि ऋषि सुनक ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनें जबकि कायदे से तो वो ब्रिटेन के ही नागरिक हैं. हां ठीक है कि वो भारतीय मूल के हैं. इंफोसिस के नारायणमूर्ति रिश्ते में उनके ससुर लगते हैं और सुनक इस बात को लेकर गर्व भी करते हैं कि नारायणमूर्ति उनके ससुर हैं. अनुष्का और कृष्णा नाम की उनकी दो बेटियां हैं. जब वो बोलते हैं तो ऐसा लगता है एक अंग्रेज बोलता है. उनका अंग्रेजी में बोलना आधे भारतीयों के सर के ऊपर से गुजरने जैसा है लेकिन फिर भी हम चाहते हैं कि वही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनें क्योंकि हमारा और उनका एक ही कनेक्शन है.. भारतीय होने का.

ऋषि सुनक को हम जितना जानते हैं उससे हमें ये तो अंदाजा हो ही गया है कि एक भारत उनके अंदर भी है. उनके घर में भी है और भारत की ये विरासत कह लें या यादें कह लें, वो आगे भी सहेज कर रखना चाहते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी बेटियों का नाम मारिया और एनी हो सकता था. 1980 में सुनक का जन्म हैंपशर के साउथैम्टन में हुआ था. पिता एक डॉक्टर थे और मां केमिस्ट शॉप चलाती थीं. भारतीय मूल के उनके परिजन पूर्वी अफ़्रीका से ब्रिटेन आए थे. ऋषि सुनक की शादी नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता से 2009 में हुई. दोनों की दो बेटियां कृष्णा और अनुष्का हैं. ऋषि सुनक की शुरुआती पढ़ाई लिखाई खास प्राइवेट स्कूल विंचेस्टर कॉलेज में हुई. इसके बाद वो ऑक्सफोर्ड पढ़ाई के लिए गए जहां उन्होंने दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. सुनक ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एमबीए की पढ़ाई भी की. ऋषि सुनक, नॉर्दलर्टन शहर के बाहर कर्बी सिग्स्टन में रहते हैं.

ऋषि सुनक की राजनीति की बात करें तो फिलहाल वो नॉर्थ यॉर्कशायर के रिचमंड से सांसद हैं. 2015 में पहली बार सांसद चुने गए थे. वित्तमंत्री बनने से पहले वे यूके ट्रेजरी में चीफ सेक्रटरी रह चुके हैं. सुनक गोल्डमैन सैक्स में बैंकर के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने एक इन्वेस्टमेंट फर्म भी खोली, जो सिलिकॉन वैली से लेकर बेंगलुरु तक कारोबार करती है. शुरुआत में सुनक केमिस्ट शॉप में अपनी मां के साथ काम किया करते थे. लेकिन बाद में खुद का बड़ा बिजनेस खड़ा कर लिया. सुनक ने यूरोपीयन यूनियन को लेकर हुए जनमत संग्रह में इसे छोड़ने के पक्ष में प्रचार किया और उनके संसदीय क्षेत्र में यूरोपीयन यूनियन छोड़ने के पक्ष में 55 फीसदी लोगों ने मतदान किया. उन्होंने प्रधानमंत्री टेरीसा मे के ब्रेक्सिट सौदे पर तीनों बार मतदान किया, वो बोरिस जॉनसन के शुरुआती समर्थकों में शामिल हैं जो कई बार उनके समर्थक के तौर पर मीडिया में नजर आए थे.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत के लोग ही ये चाह रहे हैं कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनें. चुनावी प्रक्रिया में उनका बना होना और हर राउंड में सबसे आगे होना ये बताता है कि ब्रिटेन के लोगों के साथ-साथ ब्रिटेन के सांसदों के भी वो चहेते हैं. तभी तो ज्यादातर सांसदों ने खुलेआम कई बार सुनक की तारीफ की है. राजनीति में ये बहुत कम देखने को मिलता है क्योंकि हर कोई राजनीति में एक महत्वकांक्षा लेकर आता है. सच तो ये है कि ऋषि सुनक को ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के एक उभरते हुए सितारे के रूप में देखा जाता है. रिचमंड से कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व नेता लॉर्ड हेग ने सुनक को एक बार 'असाधारण व्यक्ति' बताया था. लॉर्ड हेग कंजर्वेटिव पार्टी के शीर्ष नेताओं में गिने जाते थे. वहीं ब्रिटेन के लोकप्रिय नेता साजिद जावेद सुनक की तारीफ कर चुके हैं.

ऋषि सुनक की राजनीति की बात के बाद, उनकी पत्नी और उनके ससुर की भी बात करेंगे लेकिन पहले आपको ये बता देते हैं कि सुनक साहब किस मिजाज के आदमी हैं. मसलन उनका पसंदीदा खेल क्या है. फिल्में देखते भी हैं या नहीं. तो ज्यादा परेशान मत होइये.. ऋषि सुनक भी फिट रहना पसंद करते हैं. इसके अलावा क्रिकेट और फुटबॉल दोनों उन्हें पसंद है. फिल्म देखना भी वो पसंद करते हैं. अब आप ये मत पूछियेगा कि ऋषि सुनक ने राजामौली की RRR देखी या नहीं. खैर चलिए ऋषि के बचपन के हीरो का नाम आपको बता देता हूं. साउथैम्टन के फुटबॉल खिलाड़ी मैट ले टीजियर बचपन में उनके हीरो रहे हैं.

ऋषि सुनक का भारत से क्यों है गहरा नाता?

आपके दिमाग में एक और सवाल आता होगा कि हम ऋषि सुनक को लेकर इतने उतावले हैं. हमारा मीडिया ऋषि सुनक पर आर्टिकल पर आर्टिकल छापे जा रहा है. वो हमारे बारे में क्या सोचते हैं? सोचते भी हैं या हम यूं ही बावले हुए जा रहे हैं.. तो ऐसा नहीं है जनाब, हमने आपको शुरु में बताया था न कि हमारा और उनका एक कनेक्शन है, भारतीय का और आपको पता ही है कनेक्शन तभी होता है जब स्पार्क हो और खासकर दिलों के कनेक्शन में तो दोनों तरफ स्पार्क होना जरूरी है.

भारत के बारे में एक बार ऋषि सुनक ने कहा था कि भारत में मुझे काफी उम्मीद और अवसर दिखता है. भारत की वकालत करते हुए उन्होंने एकबार कहा था कि ब्रिटेन को भारत को कमतर आंकने से बचना होगा. यही नहीं एक बार उन्होंने कहा था कि उनकी एशियाई पहचान उनके लिए काफी मायने रखती है.

'मैं पहली पीढ़ी का अप्रवासी हूं. मेरे परिजन यहां आए थे, तो आपको उस पीढ़ी के लोग मिले हैं जो यहां पैदा हुए, उनके परिजन यहां पैदा नहीं हुए थे और वे इस देश में अपनी ज़िंदगी बनाने आए थे. सांस्कृतिक परवरिश के मामले की बात करें तो मैं वीकेंड में मंदिर में होता हूं. मैं हिंदू हूं लेकिन शनिवार को मैं सेंट जेम्स में भी होता हूं. आप सबकुछ करते हैं, आप दोनों करते हैं.'

अक्टूबर 2019 में ऋषि सुनक ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में कहा था कि वो बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें बहुत अधिक नस्लभेद नहीं सहना पड़ा, हालांकि नस्लभेद से जुड़ी बचपन की एक घटना बताते हुए वो कहते हैं- 'मैं अपने छोटे भाई और छोटी बहन के साथ बाहर गया था. मैं शायद बहुत ज़्यादा छोटा था, शायद 15-17 वर्ष की आयु थी. हम एक फास्टफूड रेस्टॉरेंट गए और मैं उनकी देखभाल कर रहा था. वहीं, कुछ लोग बैठे हुए थे. ऐसा पहली बार हुआ था जब मैंने कुछ बुरी चीज़ों को सुना. वो एक 'पी' शब्द था.'

आपको ये जानकर हैरान होगी कि इसी साल जनवरी में ब्रिटेन के एक प्रमुख सट्टेबाज ने ये भविष्यवाणी कर सबको चौंका दिया था कि बोरिस जॉनसन जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं और उनकी जगह ऋषि सुनक नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं. और अब देखिये अगर सबकुछ सही रहा तो उसकी भविष्वाणी सच भी हो सकती है.

जानकार बताते हैं कि राजनीति में ऋषि सुनक ज्यादा पुराने नहीं हैं लेकिन उनकी मेहनत और उनके काम करने की शैली ने कम समय में ही ब्रिटेन की राजनीति में उन्हें एक पॉपुलर चेहरा बना दिया. समय के साथ ऋषि सुनक का राजनीतिक कद बढ़ता चला गया. खासकर कोरोना काल में वित्त मंत्री रहते उनके आर्थिक पैकेज की बहुत सराहना हुई. इस पैकेज में एक जॉब रिटेंशन प्रोग्राम भी शामिल था, जिसने कथित तौर पर यूके में बड़े पैमाने पर लोगों को बेरोजगार होने से रोका. हालांकि हाल में वो विवादति भी रहे हैं. 'पार्टीगेट' स्कैंडल ने जरूर उनकी इमेज थोड़ी खराब की. उनपर कोविड के नियमों का उल्लंघन करने और सरकारी कार्यालयों में लॉकडाउन पार्टियों का आयोजन करने का आरोप लगा. लंदन पुलिस द्वारा जुर्माना लगाने वाले अधिकारियों में उनका भी नाम था. वे अपनी पत्नी अक्षता पर टैक्स चोरी के आरोपों की वजह से भी आलोचनाओं का सामना कर चुके हैं.

अब जब अक्षता का नाम आ ही गया है तो चलिए उनकी बात भी कर लेते हैं. ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति की बेटी हैं. अक्षता मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि वो ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से भी ज्यादा अमीर हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ऋषि सुनक के पास बिल्कुल भी पैसा नहीं है और वो बस राजनीति ही करते हैं. ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों की सालाना रैंकिंग के बीते 34 साल के इतिहास में ऋषि सुनक ऐसे पहले नेता हैं, जिन्हें इसमें शामिल किया गया है. सुनक जहां से सांसद हैं वहां नॉर्थहेलर्टन के पास किर्बी सिगस्टन गांव में 1.5 मिलियन पाउंड का उनका एक घर है जो उन्होंने 2015 में खरीदा था. इसके अलावा 2010 में खरीदा गया South Kensington, लंदन में 4.5 मिलियन पाउंड का टाउनहाउस, Santa Monica, California में एक पेंटहाउस अपार्टमेंट भी है. वो अपने ससुर नारायणमूर्ति की कंपनी केटेमारन वेंचर्स में डायरेक्टर भी रह चुके हैं.

अक्षता मूर्ति से ऋषि सुनक की मुलाकात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान हुई थी. दोनों में प्यार हुआ और शादी हो गई. इसी साल अप्रैल में स्टॉक एक्सचेंजों के साथ साझा की गई जानकारी के आधार पर प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अक्षता मूर्ति संपत्ति के मामले में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से भी ज्यादा अमीर हैं. चौंकिए मत! हमें भी पहले यकीन नहीं हुआ लेकिन सच तो सच है.. और एक सच ये भी है कि अक्षता मूर्ति के पास लगभग एक अरब डॉलर यानी 7600 करोड़ रुपये मूल्य के इंफोसिस के शेयर मौजूद हैं. रिच लिस्ट-2021 के अनुसार ये आंकड़ा अक्षता मूर्ति को ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से कहीं ज्यादा अमीर बना देता है. रिपोर्ट में महारानी की संपत्ति के बारे में जिक्र करते हुए बताया गया कि उनकी निजी संपत्ति करीब 460 मिलियन डॉलर यानी 3400 करोड़ रुपये के करीब है. इस लिहाज से देखें तो लंदन के 10 डाउनिंग स्ट्रीट में जाने की तैयारी कर रहे ऋषि सुनक की पत्नी की संपत्ति एलिजाबेथ से दोगुनी है.

अब बात थोड़ी उनकी भी कर लेते हैं जिनका नाम लेकर अक्सर भारत में ऋषि सुनक का परिचय दिया जाता है. वो हैं उनके ससुर एन आर नरायणमूर्ति. नारायणमूर्ति की इंफोसिस भारत की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक है. ये वर्तमान में ब्रिटेन सहित लगभग 50 देशों में मौजूद है. इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है. रेवेन्यू पर नजर डालें तो कंपनी ने 2019 में 11.8 अरब डॉलर, 2020 में 12.8 अरब डॉलर और 2021 में 13.5 अरब का राजस्व दर्ज किया. गौरतलब है कि नारायण मूर्ति ने साल 2011 में इंफोसिस के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया था, लेकिन अभी भी कंपनी के 0.39 फीसदी शेयर उनके पास हैं. नारायणमूर्ति ने 6 लोगों के साथ मिलकर, 1981 में इंफोसिस की शुरुआत की थी. कंपनी को शुरू करने के लिए उन्होंने 10 हजार रुपए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से लिए. 1981 से 2002 तक नारायणमूर्ति ही इंफोसिस के सीइओ रहे. नैस्डैक की लिस्ट में शामिल होने वाली ये पहली भारतीय कंपनी भी है.

नारायणमूर्ति का पूरा नाम नागावर रामाराव नारायणमू्र्ति है. 1946 को कर्नाटक के चिक्काबालापुरा जिले में नारायणमूर्ति का जन्म अति साधारण परिवार में हुआ था. अपनी स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और आई आई टी कानपुर से एमटेक किया. कहते हैं नारायणमूर्ति पर उनके परिवार का असर है. वो आज भी साधारण जिंदगी ही जीते हैं. उनसे कोई भी मिल सकता है. इतने शिखर पर होने के बावजूद इतनी साधारण जिंदगी जीने वाले नारायणमूर्ति को पद्म श्री, पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है.

सोमवार को ब्रिटेन में पीएम पद के लिए वोटिंग के अगले राउंड की प्रक्रिया शुरु होगी. हर कोई यही उम्मीद कर रहा है कि ऋषि सुनक इसमें भी आगे होंगे और भारतीय ऐसी उम्मीद क्यों न करें! भारत के लोग उस आदमी के ब्रिटेन का पीएम बनने की उम्मीद कर रहे हैं जिसने ब्रिटेन के सांसद पद की शपथ गीता हाथ में लेकर की थी. भारतीय उस आदमी के लिए उम्मीद कर रहे हैं जो हर सप्ताह मंदिर जाता है. ऋषि सुनक अगर भारतीय मूल के न भी होते तो भी भारतीयों के लिए उन्हें ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री के रूप में देखने के लिए ये सारी वजहें ही काफी हैं. हम भी यही उम्मीद करते हैं कि डिशी ऋषि ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री हों.

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लेखक

निधिकान्त पाण्डेय निधिकान्त पाण्डेय @1nidhikant

लेखक आजतक डिजिटल में पत्रकार हैं.

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