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Updated: 11 अप्रिल, 2018 06:08 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक उन्नाव रेप केस का चर्चा में है. मामले के चर्चा में आने का कारण, सुशासन का दावा करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ के राज में पीड़ित महिला का इंसाफ के लिए दर-दर भटकना और पुलिस कस्टडी में उसके पिता की मृत्यु होना है. आरोप भाजपा विधायक और उसके भाई पर है. मामला मई 2017 का बताया जा रहा है. मामला लाइम लाइट में आने के बाद आनन फानन में योगी सरकार ने कार्यवाई कर आरोपी विधायक के भाई जयदीप उर्फ अतुल और उसके चार सहयोगियों को गिरफ्तार किया है जबकि प्रशासन द्वारा मामले में लापरवाही बरतने के लिए 2 पुलिस अफसरों समेत 4 कॉन्स्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है.

लड़की के साथ हुए बलात्कार मामले में अपने को बेक़सूर बताने वाले आरोपी विधायक के पास वही रटा रटाया जवाब है. आरोपी विधायक का कहना है कि, "इन छोटे लोगों द्वारा उन्हें फंसाने और उसका नाम खराब करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. विधायक का ये भी कहना है कि पीड़िता द्वारा लगातार उनके और उनके छोटे भाई के खिलाफ फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्स ऐप पर आपत्तिजनक पोस्ट किये जा रहे थे. पीडिता इस मामले में जानबूझकर उनका नाम शामिल करवाना चाहती है.

कुलदीप सिंह सेंगर, बलात्कार, भाजपा, विधायक आरोपी विधायक के कारण विपक्ष को भाजपा की आलोचना का भरपूर मौका मिला है

जहां एक तरफ दोषी भाजपा विधायक बेख़ौफ़ होकर हंसते मुस्कुराते हुए मीडिया को बाइट दे रहे हैं और अपने को पाक दामन बता रहे हैं. तो वहीं सेंगर पर रेप के आरोप के कारण प्रदेश की योगी सरकार विपक्ष की तीखी आलोचना झेल रही है. विपक्ष इस मामले को कायदे से भुना रहा है और उसने विधायक समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमले तेज कर दिए हैं.

कुलदीप सिंह सेंगर ये नाम सुर्ख़ियों में हैं बात अगर इस नाम के रसूख और उसकी राजनीतिक समझ की हो तो आपको बताते चलें कि यदि कोई इन्हें हल्के में ले रहा है तो ये अपने आप में व्यक्ति की एक भारी भूल है. उत्तर प्रदेश की सियासत में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं जो उसी डाल पर बैठते हैं जिसके फल या तो पक चुके हैं या फिर पकने वाले हैं.  प्रदेश की सियासत में कुलदीप इस पाले से उस पाले जाने के लिए लम्बे समय से मशहूर हैं. बताया ये भी जाता है कि चार बार से विधायक रह रहे कुलदीप सिंह सेंगर ने कई बार पार्टी और अपना विधानसभा क्षेत्र बदला है.

कुलदीप सिंह सेंगर, बलात्कार, भाजपा, विधायक    मामले पर विधायक का कहना है कि उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है

गौरतलब है कि कुलदीप सिंह सेंगर उस उन्नाव से आते हैं जो ब्राह्मण बहुल क्षेत्र माना जाता है. राजा भइया के बेहद करीबियों में शुमार सेंगर, वर्तमान में उन्नाव जिले के एक कद्दावर क्षत्रिय नेता हैं. 51 साल के सेंगर ने 2002 में राजनीति में कदम रखा. उस समय सेंगर बसपा के टिकट से उन्नाव सदर के विधायक चुने गए थे. इसे सेंगर की राजनीतिक समझ ही माना जाएगा कि जैसे ही साल 2007 का विधानसभा चुनाव नजदीक आया सेंगर ने हाथी को छोड़ साइकिल का हैंडल थाम लिया और समाजवादी पार्टी से जुड़ गए.

तब कुलदीप सिंह सेंगर ने बांगरमऊ से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद 2012 में उन्होंने जगह बदली और सपा के ही टिकट से भगवंत नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीत हासिल की. साल 2017 में कुलदीप सिंह सेंगर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें बांगरमऊ से उम्मीदवार बनाया. बात अगर सेंगर के परिवार की हो तो जब सेंगर सपा के पाले में सत्ता सुख ले रहे थे तब उनकी पत्नी संगीता ज़िला पंचायत चेयरपर्सन चुनी गई थीं. सेंगर के भाई मनोज ब्लॉक प्रमुख रहे हैं.

कुलदीप सिंह सेंगर, बलात्कार, भाजपा, विधायक  विधायक कुलदीप के बारे में ये भी मशहूर है कि ऐसे कई मौके आए हैं जब इन्होंने क्षेत्र के लोगों की मदद की है

दबंग विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के बारे में जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालने वाली है वो ये कि जिस उन्नाव में ब्राह्मण वोटबैंक का दबदबा है वहां इन्हें मुसलमानों द्वारा खूब पसंद किया जाता है और अपने क्षेत्र में मुसलमान वोटों की एक बड़ी संख्या इन्हें प्राप्त होती है. चूंकि इलाके के वोट यहां लगातार बंटते रहते हैं, अतः सेंगर के बारे में ये भी मशहूर है कि इन्हें ठाकुरों को अपने साथ लामबंद करना आता है. जिसका परिणाम ये होता है कि इन्हें किसी और के मुकाबले आसन जीत मिल जाती है.

वर्तमान में अपने ऊपर बलात्कार का गंभीर आरोप झेल रहे सेंगर स्थानीय लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए भी जाने जाते हैं साथ ही सेंगर ने अपने विधानसभा क्षेत्र में कई लड़कियों की शादी कराने में भी लोगों को आर्थिक मदद दी है.

अब विधायक और उसके भाई ने लड़की का रेप किया है या नहीं ये तो आने वाले वक़्त और मामले की जांच बताएगी. मगर इस पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि इस घटना से भाजपा विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि काफी धूमिल हुई है. इस मामले पर प्रदेश की जनता में जिस तरह का रोष है, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि इसका खामियाजा भाजपा को भविष्य में होने वाले चुनावों में उठाना पड़ेगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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