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Updated: 01 जुलाई, 2018 03:50 PM
मौसमी सिंह
मौसमी सिंह
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संसद के मानसून सत्र से पहले सरकार और विपक्ष एक बार फिर से आमने सामने खड़े हैं. इस बार लड़ाई राज्यसभा के उप-सभापति पद के चुनाव के लिए होगी. 26 साल के बाद इस पद के लिए चुनाव आयोजित किया जाएगा. आखिरी बार चुनाव 1992 में हुआ था.

विपक्ष की एकता का टेस्ट-

भारत के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान विपक्ष अपनी उंगलियां पहले ही जला चुकी है. उस समय जनता दल (यूनाइटेड) ने विपक्ष का साथ छोड़कर एनडीए के पक्ष में खड़े होने का फैसला कर लिया था. अब कांग्रेस भी झुकने के मूड में आ गई है और विपक्षी उम्मीदवार के लिए सहमति बनाने के लिए तैयार है.

rajyasabha, oppositionविपक्ष का टेस्ट तो अभी ही हो जाएगा

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि विपक्षी दलों के बीच सर्वसम्मति के बाद ही उम्मीदवार के नाम पर हम फैसला करेंगे. सभी विपक्षी दलों की एक बैठक जुलाई के पहले हफ्ते में बुलाई जाएगी.

दीदी विपक्षी नेताओं से मिल रही हैं-

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने जल्दी ही इस पद के लिए अपना हक जमा दिया है. राज्यसभा में टीएमसी के 13 सदस्य हैं और इस लिहाज से टीएमसी चौथी सबसे बड़ी पार्टी है. फायरब्रांड नेता को एहसास हो गया कि इस प्रतिष्ठित पद को हासिल करने का अच्छा अवसर है. कांग्रेस उम्मीदवार के लिए, क्षेत्रीय दलों - तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस), तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), आप और बिजू जनता दल (बीजेडी) जैसे क्षेत्रिय पार्टियों से ही प्रतिरोध आता है. कांग्रेस के लिए जिनका विरोध कोई नई बात नहीं है. लेकिन वो किसी टीएमसी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.

rajyasabha, oppositionमौके को देखते ही चौका मारने की तैयारी में हैं ममता दीदी

दिल्ली में आप और एलजी के बीच हुए हालिया संघर्ष से कांग्रेस ने दूरी बनाए रखी. लेकिन उनकी इस नीति ने भी आम चुनावों में विपक्ष के गठबंधन को मजबूत बनाने में कांग्रेस की प्रमुख भूमिका को स्वीकार नहीं किया. अब, सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस, टीएमसी उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है. ये एक अच्छा सोचा समझा कदम राजनीतिक कदम हो सकता है. क्योंकि कांग्रेस 2019 के आम चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के मकसद से एक मजबूत विपक्षा का गठन करना चाहती है. एनसीपी भी ममता को अपना समर्थन देने के लिए तैयार है. ये कहने की जरूरत नहीं है कि शरद पवार के साथ उनके अच्छे समीकरण ने मदद की है.

बीजेडी डार्क हॉर्स-

राज्यसभा में 9 सदस्यों के साथ बीजेडी एक मजबूत स्थिति में है जो किसी भी करवट बैठ सकता है और संतुलन बिगाड़ सकता है. पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों से बराबर दूरी बनाए रखने की नीति का पालन किया है. ममता, बीजेडी को लुभाने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन बीजेडी खुद अपने संभावित उम्मीदवार प्रसन्ना आचार्य को लेकर संदेह में है.

बीजेडी दूर से सारा खेल देख रही है क्योंकि उसने अपने विकल्प भी खुले रखे हैं. हालांकि अभी तक कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे एक गैर-राजनीतिक मनोनीत सदस्य का समर्थन कर सकते हैं. उन्होंने कहा, "हम पद के लिए नामित उम्मीदवार का समर्थन करने के इच्छुक हैं. लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है."

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सदन में कुल 245 सदस्यों के साथ, चुनाव जीतने के लिए एक पार्टी को 122 वोटों की आवश्यकता होगी. वर्तमान में, बीजेपी के 67 सदस्य हैं, और कांग्रेस के 51.

टीएमसी नेता सुखेन्दु सेकर रॉय का नाम आगे है-

टीएमसी ने अपने नेता सुखेन्दु सेकर रॉय का नाम पहले ही उछाल दिया है ताकि अपनी राजनीतिक स्थिति का वो आंकलन कर सकें. हालांकि, आधिकारिक तौर पर, पार्टी ने कुछ नहीं कहा है. टीएमसी के राज्यसभा सदस्य और टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है- "विपक्षी उम्मीदवार पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. हमने कोई नाम आगे नहीं किया है. संयुक्त विपक्ष एक नाम के साथ आगे आएगा."

जून के अंत में पीजे कुरियन, डिप्टी चेयरमैन का पद खाली कर देंगे. इस पद के लिए चुनाव 18 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान आयोजित किया जाएगा.

सत्तारूढ़ बीजेपी पूरी ताकत के साथ इस चुनाव को लड़ेगी. क्योकि आम चुनावों के लिए अब सिर्फ एक साल बचे हैं और उसके ठीक पहले इस महत्वपूर्ण पद के लिए वो अपना उम्मीदवार जिताना चाहेंगे. लड़ाई घमासान होने वाली है.

(DailyO के लिए साभार)

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मौसमी सिंह मौसमी सिंह @mausami.singh.7

लेखिका आज तक में विशेष संवाददाता हैं.

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