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Updated: 15 जुलाई, 2022 10:20 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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राज ठाकरे (Raj Thackeray) की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जल्द ही सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बनने वाली है. बीजेपी के साथ मिल कर बनायी गयी महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में राज ठाकरे को एक मंत्री पद का ऑफर मिला है - और ये खबर भी अभी सूत्रों के हवाले से आयी है.

शक शुबहे की संभावना इसमें इसलिए भी कम है क्योंकि ये ऑफर लेकर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) खुद राज ठाकरे के घर गये थे - और मुलाकात से पहले से ही काफी चर्चा रही कि MNS को भी बीजेपी सरकार में शामिल करने के पक्ष में हैं.

राज ठाकरे की तरफ से भी ट्विटर पर देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के क्रमशः डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर दी गयी बधाइयों से भी ऐसे ही संकेत मिल रहे थे. हालांकि, तब की चर्चाओं के अनुसार, राज ठाकरे की पार्टी से दो मंत्री बनाये जाने की संभावना जतायी गयी थी.

वैसे राज ठाकरे की राजनीति का जो हाल है, ये भी कोई कम बात नहीं है. ध्यान रहे, महाराष्ट्र विधानसभा में फिलहाल मनसे का सिर्फ एक ही विधायक है. राज ठाकरे का अपना राजनीतिक संघर्ष अपनी जगह है और बेटे अमित ठाकरे को स्थापित करना अलग ही चैलेंज बना हुआ है. मान कर चलना चाहिये सत्ता में हिस्सेदार बन जाने के बाद कुछ काम आसान तो हो ही जाएंगे.

बहरहाल, राज ठाकरे को तो बीजेपी की तरफ से अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए इनाम मिलना पक्का हो गया है, लेकिन नवनीत राणा (Navneet Rana) को मन ही मन ये सब जरूर कचोट रहा होगा. उद्धव ठाकरे की सरकार के खिलाफ राज ठाकरे ने जो अभियान शुरू किया था, नवनीत राणा ने भी उसे आगे बढ़ाने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी - जिसके लिए पति के साथ नवनीत राणा को जेल तक की हवा खानी पड़ी थी.

रवि राणा ने तो ये भी बताया था कि महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी को सपोर्ट न करने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन जो रवि राणा बीजेपी के सपोर्ट के लिए पत्नी के साथ जेल जा चुके हों, उनके लिए बाकी दबाव क्या मायने रखते हैं.

नवनीत राणा भी तो बराबर की हकदार हैं

उद्धव ठाकरे के ढाई साल के शासन में अगर सबसे ज्यादा किसी ने तूफान मचाया तो वो राज ठाकरे ही रहे, ये बात अलग है कि पूरी कीमत नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को चुकानी पड़ी थी.

ये राज ठाकरे ही रहे जिन्होंने ने महाराष्ट्र में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मुहिम चलायी थी. फिर एक डेडलाइन देकर तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार को चेतावनी दी कि ऐसा नहीं हुआ तो उनकी पार्टी हर मस्जिद के सामने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाएगी. मनसे के दफ्तर से ऐसा किया भी गया था.

raj thackeray, devendras fadnavis, navneet rana, ravi ranaराज ठाकरे को साथ लेकर बीजेपी उद्धव ठाकरे की राजनीति को पूरी तरह खत्म करने की कोशिश करेगी

राज ठाकरे की धमकी के बाद महाराष्ट्र सरकार दबाव में आ गयी और पुलिस अफसरों को भी एक्शन में आना पड़ा. सरकार और शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत की तरफ से ये समझाने की कोशिश हुई कि लाउडस्पीकर के खिलाफ जो कार्रवाई की जा रही है, वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन है - न कि राज ठाकरे के दबाव में. बीच बीच में संजय राउत बीजेपी का नाम लेकर राज ठाकरे को भी खरी खोटी सुनाते रहे.

राणा दंपति की गिरफ्तारी के बाद राज ठाकरे पर भी वैसा ही खतरा मंडराने लगा था. उद्धव ठाकरे सरकार के गृह मंत्री ने भी बयान जारी कर वैसे ही संकेत देने की कोशिश किये थे. साथ में ये भी समझाने की कोशिश की गयी कि पुलिस को कानून के हिसाब से काम करने को कहा गया है.

राज ठाकरे के लाउडस्पीकर अभियान का असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिला था, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में. शहर के कुछ घरों की छत पर लाउडस्पीकर लगा कर हनुमान चालीसा का पाठ भी शुरू हुआ था.

हालांकि, बाद में राज ठाकरे खुद ही पीछे हटते देखे गये. बोले कि लाउडस्पीकर अभियान चलता रहे और फिर अयोध्या यात्रा की तैयारी में जुट गये, लेकिन फिर अचानक वो भी रद्द कर दिये ये कहते हुए कि वो लोगों के जाल में नहीं फंसना चाहते.

फिर भी राज ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट और महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के चुनाव में बीजेपी का सपोर्ट किया. उससे पहले राज्य सभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में भी बीजेपी के साथ खंभे की तरह खड़े रहे - और अब राष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर ही रहे हैं.

लेकिन राज ठाकरे का योगदान भी तो अभी नवनीत राणा जितना ही है. जैसे राज ठाकरे के पास एक ही विधायक है, नवनीत राणा की तरफ से तो उनके विधायक पति रवि राणा का बीजेपी को सपोर्ट बराबर ही माना जाएगा. रवि राणा के निर्दल हो जाने से अहमियत कोई कम तो हो नहीं जाती.

MNS से कौन बनेगा मंत्री?

राज ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात दो दिन पहले ही होनी थी, लेकिन टल गयी. फिर तो तरह तरह की चर्चाएं भी स्वाभाविक थीं, हुईं भी - और आखिरकार 15 जुलाई को मुलाकात हुई. ठाकरे दंपति ने ऐसा जोरदार स्वागत किया कि देवेंद्र फडणवीस के लिए घंटे भर की मुलाकात जिंदगी भर के लिए यादगार बन गयी.

मुंबई के दादर में राज ठाकरे के घर पहुंचे देवेंद्र फडणवीस का जोरदार स्वागत हुआ. राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने आरती उतार कर देवेंद्र फडणवीस की अगवानी की. बाद में देवेंद्र फडणवीस को शाल ओढ़ा कर राज ठाकरे ने सम्मान किया - देवेंद्र फडणवीस ने अपने ट्विटर हैंडल से आरती उतारे जाने का एक छोटा सा वीडियो शेयर भी किया है.

शिवसेना में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. साथ ही, देवेंद्र फडणवीस ने भी डिप्टी सीएम की शपथ ली, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार अभी तक रुका हुआ है. पहले तो सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 11 जुलाई का इंतजार हो रहा था - लेकिन अब इसे 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक टाल दिये जाने की बात सुनी जा रही है.

पहले खबर आयी थी कि एकनाथ शिंदे की तरफ से राज ठाकरे को दो मंत्री पद का ऑफर दिया गया है. इसके साथ ही चर्चा चल पड़ी की एक तो मनसे विधायक और दूसरे राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को मंत्री बनाया जा सकता है. बाद में जब ये मालूम हुआ कि बीजेपी की तरफ से एक ही मंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है तो भी यही समझा जा रहा था कि अमित ठाकरे ही सरकार में शामिल होने जा रहे हैं.

देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात से पहले ही अमित ठाकरे के मंत्री बनने के कयासों को लेकर राज ठाकरे ने बोल दिया था कि खबर झूठी और शरारती है. राज ठाकरे का ये भी कहना रहा कि कोई जानबूझकर ये खबर फैला रहा है और माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है.

देवेंद्र फडणवीस से मिलने के बाद भी राज ठाकरे ने बेटे अमित ठाकरे को कैबिनेट मंत्री बनाये जाने की चर्चाओं को फेक न्यूज करार दिया है - फिर तो साफ है कि अगर राज ठाकरे बीजेपी के साथ शिंदे सरकार में शामिल होना मंजूर करते हैं तो डोंबिवली से मनसे विधायक राजू पाटिल को ही मंत्री बनाया जाएगा.

उद्धव ठाकरे पर क्या असर होगा?

उद्धव ठाकरे तो पहले से ही जानते थे कि राज ठाकरे बीजेपी के पाले में जाकर ही उन पर हमला बोल रहे हैं, लेकिन अब जो होने जा रहा है वो उनके लिए ज्यादा खतरनाक है. ये आने वाले चुनावों के हिसाब से लोगों के लिए कॉम्बो ऑफर बनाया जा रहा है - ताकि समझाया जा सके कि बाल ठाकरे वाली शिवसेना एक साथ है और वो बीजेपी के साथ है.

राज ठाकरे पहले से ही बाल ठाकरे वाली कट्टर हिंदुत्व की राजनीति के प्रतिनिधि के रूप में देखे जाते रहे हैं - और एकनाथ शिंदे ने भी खुद को बिलकुल वैसे ही प्रोजेक्ट किया है. राज ठाकरे का ऐसे माहौल में बीजेपी के साथ मिल जाना उद्धव ठाकरे के लिए राजनीतिक तौर पर बेहद नुकसानदेह है.

अब तो निगम चुनावों से लेकर आने वाले हर चुनाव में बीजेपी लोगों को यही समझाने की कोशिश करेगी कि बाल ठाकरे की हिंदुत्व की राजनीति को मानने वाले सारे ही शिवसैनिक उसके साथ हैं - न कि वे जो उद्धव ठाकरे के खेमे वाले हैं.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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