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Updated: 20 जुलाई, 2018 06:41 PM
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संसद में भूकंप तो नहीं आया लेकिन राहुल गांधी के भाषण ने सबके चेहरे पर हंसी ला दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भले ही राहुल गांधी के निशाने पर रहे, लेकिन भाषण के दौरान ज्यादातर वक्त मुस्कुराते रहे.

शुक्र है संसद को अब सिर्फ शोर शराबे और हंगामे के लिए नहीं जाना जाएगा - क्योंकि सदन की ताजा कार्यवाही अब किसी आम चुनावी रैली जैसा ही शक्ल अख्तियार करती जा रही है. कर्नाटक चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह सदन को चुनावी मैदान बनाया अविश्वास प्रस्ताव के बहाने राहुल गांधी ने उसी परंपरा को तेजी से आगे बढ़ाने की कोशिश की.

टीडीपी की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी की ओर से राकेश सिंह के जवाब के बाद राहुल गांधी की बारी आयी. मौका मिलते ही राहुल गांधी मोदी पर मिसाइलें दाग डालीं - जिसमें पूरा जोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और उनके सूटबूट वाले कथित साथियों को भ्रष्ट साबित करने की कोशिश रही.

ऐसा लगा जैसे 2014 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस को बेहतर साबित करने के लिए राहुल गांधी बीजेपी सरकार को भ्रष्टाचार में लिप्त बता रहे हैं. जहां तक राहुल गांधी के भाषण का सवाल है वो पूरी तरह उन्हीं पुरानी बातों की नयी और मनोरंजक पैकेजिंग रहा जो अब तक गुजरात और कर्नाटक चुनावों में सुनने को मिला है.

राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर झूठ बोलने, वादाखिलाफी और भ्रष्टाचार का इल्जाम तो लगाया ही - खुद को हिंदू और कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी कहे जाने की बात भी देश के सामने रहने की कोशिश की.

बातें वही, पैकेजिंग नयी

अविश्वास प्रस्ताव लेकर टीडीपी जरूर आयी लेकिन राहुल गांधी ने मैदान लूटने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. यहां तक कि टीडीपी द्वारा आंध्र प्रदेश की मौजूदा हालत के लिए कांग्रेस को भी बीजेपी के बराबर बताने की बात को भी नजरअंदाज किया.

राहुल गांधी ने टीडीपी सांसद के 15 लाख वाली बात को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर जुमला स्ट्राइक करने का इल्जाम लगाया है. टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला की बात को एनडोर्स करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वास्तव में प्रधानमंत्री के शब्द का मतलब होना चाहिये.

अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी आस्तीन चढ़ाते तो नहीं देखे गये लेकिन दोनों हाथ उसी अंदाज में भांजते रहे. राहुल ने नोटबंदी, किसान, जीएसटी, विदेश नीति और मॉब लिंचिंग पर बातें तो ज्यादातर पुरानी ही की, लेकिन पैकेजिंग बेहतरीन रही.

जिस अंदाज में राहुल गांधी ने मोदी सरकार की रोजगार नीति पर टिप्पणी की हर किसी की हंसी फूट पड़ी - 'रोजगार के नाम पर कहते हैं पकौड़ा बेचो, दुकान लगाओ.'

मोदी सरकार भ्रष्टाचार का अड्डा

जब राहुल गांधी ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे के बिजनेस का जिक्र किया तो स्पीकर ने किसी का नाम न लेने की सलाह दी. हालांकि, राहुल गांधी ने सलाहियत की परवाह नहीं की. बीच बीच में सत्ता पक्ष की ओर से सदस्यों की बातें भी सुनायी दे रही थी जो कभी वाड्रा तो कभी अपनी दादी को याद करने की बात कर रहे थे.

rahul gandhi, narendra modiये मुन्नाभाई वाली जादू की झप्पी है या...

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर सबसे बड़ा इल्जाम भी लगाया - "वो चौकीदार नहीं भागीदार हैं." असल में, प्रधानमंत्री मोदी कालेधन और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर खुद को चौकीदार बताते रहे हैं.

अब चुनावी सभाओं में राफेल डील में रिश्वत का आरोप लगाते रहे राहुल ने संसद में भी अपनी बात दोहरायी. राफेल डील के मसले पर राहुल ने प्रधानमंत्री के दबाव में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया. राहुल के भाषण खत्म होने के बाद रक्षा मंत्री ने सफाई देते हुए मनमोहन सरकार के दौरान हुए समझौते के दस्तावेज पेश करते हुए सफाई दी.

कौन ज्यादा डर रहा है?

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच जेलगाड़ी और बेलगाड़ी पर बहस होती रही. नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आरोपी होने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी अक्सर उन्हें जेल पर छूट हुए लोग बताया करते हैं. अब तो एयरसेल-मैक्सिस डील में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के खिलाफ भी सीबीआई की चार्जशीट की खबर आ चुकी है. राहुल गांधी ने एक तरीके से प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को एक तरीके से आगाह करने की भी कोशिश की.

मोदी और शाह का नाम लेते हुए राहुल गांधी बोले - अब जो बात में कहने जा रहा हूं वो अहम तो है ही आपको सुन कर मजा भी आएगा. राहुल गांधी से पहले बीजेपी की ओर से राकेश सिंह ने कांग्रेस के 48 साल के शासन को स्कैम वाला और मोदी सरकार के 48 महीने को स्कीम वाला बताया था - और बीजेपी वाली लाइन दोहरायी की कांग्रेस सत्ता गंवाने के बाद बौखला जाती है.

राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता से बाहर-भीतर होने से कांग्रेस को कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मोदी-शाह किसी भी सूरत में सत्ता गंवाना नहीं चाहते. राहुल गांधी ने इसकी खास वजह भी बतायी - "वे डरते हैं... क्योंकि वे जानते हैं उसके बाद क्या होगा."

मुस्लिम नहीं, मैं शिवभक्त हिंदू हूं

कांग्रेस को लेकर उठे मुस्लिम पार्टी विवाद पर प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सवाल पूछे जाने को लेकर भी राहुल गांधी ने अपना पक्ष रखा.

राहुल गांधी ने व्यंग्यात्मक लहजे में मोदी, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आभार जताया. राहुल गांधी ने बताया कि उन्हीं के चलते उन्होंने प्यार का धर्म निभाना, शिवजी और हिंदू होने का मतलब सीखा.

देखा जाये तो अपने एक ही भाषण में राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी कहे जाने पर सफाई और खुद को शिवभक्त हिंदू साबित करने की कोशिश की.

कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी बताये जाने को लेकर घिरे राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा था - मैं ही कांग्रेस हूं. राहुल गांधी ने इसे भी मजेदार तरीके से संसद में पेश किया.

'हां, मैं पप्पू हूं'

'मैं ही कांग्रेस हूं' वाली लाइन को आगे बढ़ाते हुए राहुल गांधी ने सत्ताधारी बीजेपी पर जोरदार कटाक्ष किया - "आपके लिए मैं पप्पू हूं." राहुल गांधी ने बताया कि प्यार बांटना ही कांग्रेस का मतलब है और ये काम आगे भी वो करते रहेंगे. राहुल बोले, 'मैं कांग्रेस हूं... सब कांग्रेस हैं... और एक दिन मैं सबको कांग्रेस में बदल दूंगा.'

ऐसा कहते हुए राहुल गांधी का इशारा सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर था. राहुल गांधी ने ये भी बताया कि किस तरह विपक्षी सदस्यों के साथ साथ सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मन ही मन विश किया. राहुल गांधी ने कहा कि अकाली दल की नेता उनकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थीं. राहुल गांधी ने अपनी बातों को उनकी फीलिंग से जोड़ने की कोशिश की और कहा कि आने वाले दिनों में सब मिल कर मोदी को हराएंगे. हालांकि, बाद में अकाली नेता हरसिमरत कौर बेहद गुस्से में दिखीं और राहुल गांधी की बातों को मुन्नाभाई की लप्पी-झप्पी बताया.

सबसे ज्यादा हैरान करने वाला रहा प्रधानमंत्री मोदी के प्रति को लेकर राहुल गांधी का स्टैंड. जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी बातों पर मुस्कुराते देखा तो कहा कि वो उनकी आंखों में देख कर बात नहीं कर सकते. भाषण खत्म करने के बाद राहुल गांधी सीधे मोदी के पास पहुंचे और खूब जोर से गले मिले. राहुल की ये हरकत देख कर मोदी भी एक पल के लिए अचंभे में पड़ गये. आगे जो भी हो संसद में राहुल गांधी के परफॉर्मेंस में मीडिया को मसाला तो भरपूर मिला है - आम अवाम इसे कैसे लेती है, देखना बाकी है.

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