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Updated: 03 मई, 2018 10:10 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कर्नाटक में अभी तक त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जतायी जा रही है. सर्वे बता रहे हैं कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही बहुमत के आंकड़े से दूर रह सकते हैं. ऐसे में तीसरी पार्टी की अहमियत बढ़ गयी है और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस को किंग मेकर के तौर पर देखा जाने लगा है. हालांकि, देवगौड़ा के बेटे और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का दावा है कि वो किंगमेकर नहीं बल्कि खुद किंग बनने जा रहे हैं.

एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवगौड़ा की तारीफ कर दी तो बदले में देवगौड़ा ने मोदी को स्मार्ट बता डाला - अब राहुल गांधी देवगौड़ा से पूछ रहे हैं कि वो कर्नाटक के लोगों को बतायें कि किसकी तरफ हैं?

अपमान और सम्मान

गठबंधन की बात से जेडीएस और बीजेपी दोनों ही इंकार कर रहे हैं, लेकिन उनकी हरकतों से पूरे कर्नाटक में सस्पेंस बना हुआ है. शुरुआत इसकी उस वक्त हुई जब प्रधानमंत्री मोदी ने देवगौड़ा की तारीफ कर दी. पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान की दुहाई देते हुए मोदी ने लगे हाथ कांग्रेस को भी निशाने पर ले लिया.

rahul gandhi, siddaramaiahदेवगौड़ा और मोदी की तारीफों से सस्पेंस

तारीफों के बदले में देवगौड़ा ने भी मोदी के तारीफों के पुल बांध डाले. देवगौड़ा ने कहा कि बतौर सांसद लोक सभा में अगर वो बेहतर काम कर रहे हैं तो इसकी वजह प्रधानमंत्री मोदी ही हैं. मोदी स्मार्ट बताते हुए देवगौड़ा ने यहां तक कह डाला कि वो कर्नाटक की राजनीति में हो रहे बदलाव को अच्छी तरह समझते भी हैं. हालांकि, आखिर में देवगौड़ा ने इसे शिष्टाचार का हिस्सा भी बता डाला.

दरअसल, राहुल गांधी ने देवगौड़ा की पार्टी को बीजेपी की बी टीम बता डाला था. राहुल की इस बात पर देवगौड़ा का कहना रहा कि ये तो वक्त ही तय करेगा कि कौन किसकी बी टीम है. इंडिया टुडे के ओपिनियन पोल में कांग्रेस को 90 से 101 सीट जबकि बीजेपी को 78 से 86 सीट मिलने की संभावना है. इसी सर्वे में जेडीएस के खाते में 34 से 43 सीटें आने की संभावना जतायी गयी है.

इसी वाकये का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा था, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने 15-20 दिन पहले राजनीतिक रैली में जो कहा, वह मैंने सुना... जिस तरह से उन्होंने देवगौड़ा जी के बारे में बात की... क्या यही आपके संस्कार हैं? यह तो अहंकार है!’

देवगौड़ा की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री को ‘माटी का लाल, किसान का बेटा’ भी बताया. फिर ये भी बताया कि वो खुद देवगौड़ा का कितना सम्मान करते हैं. मोदी के मुताबिक जब भी देवगौड़ा दिल्ली में उनसे मिलने जाते हैं वो इस बात का ध्यान रखते हैं कि घर का ही नहीं बल्कि कार का दरवाजा भी खुद खोलें.

मोदी की बातों को लेकर देवगौड़ा का कहना है, 'सिद्धारमैया कैसे कर्नाटक के लोगों का अपमान करते हैं यह बताने के लिए प्रधानमंत्री ने मेरा जिक्र किया था.' एक तरफ देवगौड़ा और मोदी एक दूसरे के बारे में इतनी अच्छी अच्छी बातें करते हैं और दूसरी तरफ देवगौड़ा यहां तक कह चुके हैं कि अगर उनके बेटे कुमार स्वामी बीजेपी से हाथ मिलाते हैं तो वो उनसे रिश्ता खत्म कर लेंगे.

आप किस तरफ हो?

मोदी की तारीफ के साथ ही देवगौड़ा ने एक रहस्योद्घाटन भी किया है, 'ये सही है कि 2014 में मैंने कहा था कि बीजेपी को अगर पूर्ण बहुमत मिलता है तो मैं अपनी लोकसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दूंगा. मैंने सदस्यता छोड़ने का भी फैसला कर लिया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा... उन्होंने मुझसे गुजारिश की कि मैं अपना फैसला बदलूं क्योंकि देश को सीनियर राजनेताओं के अनुभव की जरूरत है.' गठबंधन को लेकर बीजेपी और जेडीएस भले ही इंकार करें, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की इस बारे में अपनी व्याख्या है, ‘प्रधानमंत्री ने देवगौड़ा की सराहना की है. इसका मतलब है कि चुनाव से पहले बीजेपी और जेडीएस के बीच अंदरूनी समझौता है.’

सिद्धारमैया तो कुमारस्वामी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात का भी दावा करते हैं और उनका कहना है कि सही वक्त पर वो इसका सबूत भी पेश कर देंगे. सिद्धारमैया का सीधा सीधा आरोप है कि बीजेपी और जेडीएस के बीच रणनीतिक सहमति है.

सारी बातें एक तरफ और राहुल गांधी का सवाल एक तरफ. राहुल गांधी चाहते हैं कि देवगौड़ा खुद ही बता दें कि वो किसकी तरफ हैं?

एक इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी बातों पर सफाई देते हुए पूछते हैं, 'मैंने व्यक्तिगत रूप से उन पर कोई हमला नहीं किया है, मैंने एक साधारण बयान दिया था. कर्नाटक में असली लड़ाई बीजेपी विचारधारा और कांग्रेस विचारधारा के बीच है... देवगौड़ा को इस बारे में स्पष्ट होना होगा... उन्हें कर्नाटक के लोगों को बताना होगा कि वह इस तरफ हैं या उस तरफ?'

औपचारिक रूप से जेडीएस ने मायावती की पार्टी बीएसपी के साथ गठबंधन किया है और इसकी सार्वजनिक घोषणा भी बहुत पहले ही हो चुकी थी. बीजेपी और जेडीएस भले ही लगातार इंकार कर रहे हों, लेकिन दोनों की नजदीकियों की चर्चा थम नहीं रही है. मामला दिलचस्प इसलिए भी हो जा रहा है कि क्योंकि दोनों पक्ष इसे हवा भी दे रहे हैं और छुपाने की कोशिश भी साथ ही साथ कर रहे हैं.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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