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Updated: 02 जनवरी, 2019 07:54 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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राफेल डील पर संसद में जिस तरह का तू-तू, मैं-मैं हुआ, वैसा तो हाल के विधानसभा चुनावों में भी देखने को नहीं मिला था. चुनावों में तो किसी एक रैली में सवाल उठता रहा तो दूसरी रैली में पलटवार हो जाता. ये जरूर होता कि ताली दोनों ही जगह खूब बजती.

राहुल गांधी ने जब संसद में राफेल डील का मुद्दा उठाया तो मामला आमने-सामने का हो गया. राहुल का जवाब देने के लिए सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली आगे आये. दोनों पक्षों में तीखी बहस चली और इस दौरान कांग्रेस के सांसद कागज के जहाज उड़ाते रहे, जिस पर स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कड़ी आपत्ति जताई.

पूरी बहस और हंगामे के बीच सबसे दिलचस्प बात रही मनोहर पर्रिकर को लेकर कांग्रेस द्वारा जारी ऑडियो टेप के सही होने को लेकर राहुल गांधी का पीछे हट जाना. आखिर राहुल गांधी ने ऐसा क्यों किया?

राफेल डील को लेकर आया ऑडियो टेप

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ऑडियो जारी किया था. रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि गोवा कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने राफेल फाइलों से जुड़ी एक बड़ी बात कह दी थी. इसी सिलसिले में कांग्रेस नेता ने गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे की बातचीत का एक ऑडियो जारी किया.

कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि आखिर मनोहर पर्रिकर के पास राफेल से जुड़ी कौन-सी फाइलों का राज छिपा हुआ है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इस ऑडियो से साबित होता है क राफेल में हर स्तर पर गड़बड़ी है और इसके लिए चौकीदार ही जिम्मेदार है.

कांग्रेस के ऑडियो में क्या है

इस ऑडियो में कांग्रेस के दावे के अनुसार एक तरफ तो गोवा के मंत्री विश्वजीत हैं - लेकिन दूसरी छोर पर कौन है, कांग्रेस ने ये नहीं बताया है. वैसे ऑडियो में बातचीत से लगता है कि किसी पत्रकार से बातचीत हो रही है - क्योंकि 'स्टोरी' की बात हो रही है.

Mr. X: गुड ईवनिंग सर.

विश्वजीत राणे: बॉस, गुड ईवनिंग. आज तीन घंटे तक कैबिनेट मीटिंग हुई थी.

Mr. X: ओके.

विश्वजीत राणे: इसको सीक्रेट ही रखिएगा.

Mr. X: हां, हां.

विश्वजीत राणे: आज बहुत किचकिच हुई, बहुत फाइटिंग...

[ऑडियो में लंबी बातचीत है. कांग्रेस के हिसाब से जो मुद्दे की बात है, वो मुख्यमंत्री पर्रिकर की कही हुई बात है.]

surjewala, rahul gandhiऑडियो क्लिप जारी की लेकिन पुष्टि से पीछे क्यों हटे?

Mr. X: ओके.

विश्वजीत राणे: आज की बैठक में मुख्यमंत्री ने एक दिलचस्प बयान दिया. उन्होंने कहा कि राफेल से जुड़ी सारी जानकारी मेरे बेडरूम में हैं.

Mr. X: आप ये क्या कह रहे हैं?

विश्वजीत राणे: हां, मैं आपको बता रहा हूं.

पर्रिकर और विश्वजीत ने ऑडियो को फर्जी बताया

गोवा के मंत्री विश्वजीत राणे ने तो इसे फर्जी टेप बताया ही - मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कैबिनेट में ऐसी किसी बातचीत से इंकार किया. विश्वजीत राणे का कहना है कि इसके जरिये मुझे टारगेट किया जा रहा है क्योंकि मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया हूं. मैंने मुख्यमंत्री को लिखकर इस मामले में जांच की मांग की है.

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी ट्वीट कर सफाई दी. कहा - कांग्रेस द्वारा जारी किया गया ऑडियो उनके झूठ का पर्दाफाश करता है. कैबिनेट मीटिंग में ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई.

यहां तक तो कोई बात नहीं. हैरानी की बात तो ये है कि यही टेप लेकर राहुल गांधी संसद में पहुंच गये - और चाहते थे कि इसे सदन में सुना जाये.

फर्जी ऑडियो संसद में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इंटरव्यू में भी कहा था कि कांग्रेस राफेल पर सबूत दिखाये. वैसे संसद में जब राफेल पर बहस हो रही थी तो प्रधानमंत्री मोदी वहां नहीं थे.

राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी पर भी सवाल उठाया. तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने तो प्रधानमंत्री मोदी की तुलना रामायण के किरदार मेघनाद से की और कहा कि वो अरुण जेटली के पीछे छुपे हुए हैं.

narendra modiसंसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गैरमौजूदगी पर सवाल

राहुल गांधी राफेल पर कई सवाल पूछे और इसे जेपीसी के पास भेजने की मांग की. राहुल गांधी द्वारा बार बार अनिल अंबानी का नाम लिये जाने पर स्पीकर ने ऐतराज किया तो वो 'AA' नाम लेकर संबोधित करने लगे. फिर राहुल गांधी और अरुण जेटली में तीखी बहस हुई. राहुल के AA नाम लेने पर अरुण जेटली ने 'Q' नाम लिया. Q से जेटली का आशय बोफोर्स वाले क्वात्रोच्चि से रहा.

ये सब चल ही रहा था कि राहुल गांधी ने जेब से फोन निकाला और सदन में ऑडियो टेप सुनाये जाने की परमिशन मांगने लगे. ये सुरकर अरुण जेटली भड़क गये. अरुण जेटली ने कहा कि इस ऑडियो टेप के सही होने की राहुल गांधी पुष्टि नहीं कर रहे हैं. राहुल गांधी के पिछले भाषण का हवाला देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस नेता ने जो दावा किया था उसे फ्रांस सरकार ने ही रिजेक्ट कर दिया था, इसका मतलब राहुल गांधी झूठे व्यक्ति हैं जो लगातार गलत आरोप लगा रहे हैं.

ऑडियो टेप चलाने के लिए स्पीकर सुमित्रा महाजन ने शर्त रख दी. स्पीकर ने कहा, 'अगर आप इस ऑडियो टेप की पुष्टि करते हैं और इसकी जिम्मेदारी लिखित में देते हैं तो ही चला सकते हैं.'

ये सुनते ही राहुल गांधी पीछे हट गये. फिर राहुल गांधी ने पूछा कि क्या ऑडियो चलाने की बजाय ट्रांस्क्रिप्ट पढ़ सकते हैं. सुमित्रा महाजन ने राहुल गांधी को इस बात की भी मंजूरी नहीं दी.

चुनावों की बात और है. चुनावों में तो 15-15 लाख की जुमलेबाजी यूं भी हो जाती है, राहुल गांधी भी चुनावी रैलियों में ये सब लगातार करते रहे. राहुल गांधी का उन्हें काउंटर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी सहित तमाम बीजेपी नेता भी करते रहे.

चुनावों की बात अपनी जगह है, लेकिन संसद की अपनी गरिमा होती है. सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि राहुल गांधी संसद में ऐसा कोई ऑडियो क्यों सुनाना चाहते थे जिसके बारे में वो खुद आश्वस्त नहीं थे. अगर राहुल गांधी ने ऑडियो क्लिप के सही होने की पुष्टि कर दी होती और लिख कर दे दिया होता तो शायद ही ऐसा कोई सवाल खड़ा होता.

राफेल डील पर राहुल गांधी के दावों की हकीकत जो भी हो. जेपीसी या किसी भी तरह की जांच की मांग करना सही है, राहुल गांधी का ऑडियो क्लिप की पुष्टि करने से पीछे हट जाना ही सबसे बड़ा सवाल खड़े करता है. आखिर राहुल गांधी ऐसा ऑडियो क्लिप संसद में ले ही क्यों गये थे? राफेल डील पर सवाल खड़े करने के लिए राहुल गांधी ने पिछली बार संसद में बहस के दौरान फ्रांस के राष्‍ट्रपति मैकरोन के साथ एक चर्चा का उल्‍लेख किया था, जिसे फ्रांस की सरकार बयान देकर झूठा करार दिया था. ऐसे में क्या वाकई राफेल के नाम पर अब राहुल गांधी 2019 तक यूं ही हंगामा खड़ा किये रहना चाहते हैं?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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