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Updated: 14 दिसम्बर, 2018 07:21 PM
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2018 का सबसे चर्चित शब्द 'राफेल' दिसंबर आते-आते सुप्रीम कोर्ट ने रफा-दफा कर दिया है. राहुल गांधी ने राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधा था.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल विमान सौदे में मोदी सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर संतोष जताते हुए, उसकी जांच कराने की मांग ठुकरा दी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी के उन तमाम दावों की हवा निकल गई है, जिन्हें वे विधानसभा चुनाव में जनता के बीच लेकर गए थे. राजस्थान में हुई एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को चोर तक कह डाला था. इससे पहले राहुल गांधी जस्टिस लोया केस और सहारा डायरी को भी मोदी और अमित शाह के खिलाफ इस्तेामाल करने की कोशिश कर चुके हैं.

राफेल डील, राहुल गांधी, अनिल अंबानी, फ्रांस, एनडीए, यूपीए, नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्टराफेल मामले में राहुल गांधी की उम्मीदों पर सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया!

इस लड़ाकू विमान सौदे पर आए फैसले के कुछ अन्य पहलुओं पर नजर डालते हैं:

1. जिस अवस्था में यह डील थी, उसमें कुछ हो भी नहीं सकता है. जहां कोई पैसे के लेन-देन का सबूत नहीं था. सिर्फ आरोप थे, वो भी हवा-हवाई: राहुल गांधी भले कहते रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने अनिल अंबानी की मौजूदगी में इस सौदे को हरी झंडी दिखाई थी. वे इस मामले में 30 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की बात कह रहे थे. हालांकि, उन्होंने कभी ये नहीं बताया कि किसने पैसे लिए और किसको दिए.

2. विमान की कीमत की बात थी, तो सरकार ने सीलबंद लिफाफे सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ऐतराज नहीं जताया तो समझ लीजिए कि वह आपत्तिजनक नहीं थी: मोदी सरकार के प्रखर आलोचक यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि मोदी सरकार ने राफेल विमानों की ज्यादा कीमत अदा की है, जिसकी जांच होनी चाहिए. सरकार ने गोपनीयता का हवाला देकर सीलबंद लिफाफे में विमान सौदे की कीमत की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने वायु सेना और अन्य विशेषज्ञों से मशविरा करके सौदे की कीमतों को सही माना.

3. एयरफोर्स का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी विपक्ष के आरोपों की हवा निकाल गया: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वायु सेना के अधिकारियों को बुलवाया और उनसे भारतीय वायु सेना की विमान जरूरतों के बारे में पूछा. मोदी सरकार दलील देती रही है कि उसने वायु सेना में विमानों की कमी को देखते हुए इमरजेंसी में फ्रांसीसी कंपनी राफेल से 36 विमान तत्काल उड़ान भरने की स्थिति में खरीदने का सौदा किया है. कोर्ट इस सौदे की जरूरत और इमरजेंसी को लेकर संतुष्ट नजर आई.

4. अब तो CJI के पद पर दीपक मिश्रा भी नहीं हैं, जिन पर उंगली उठाकर विपक्ष बच निकले: जस्टिस लोया की मृत्यु के मामले की सुनवाई को लेकर इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच अनबन हो गई थी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कामकाज पर चार सीनियर जजों ने सवाल उठाया था. यहां तक कि सरकार के साथ सांठ-गांठ करके केस तय का इशारा तक कर डाला था. कांग्रेस इसे लेकर दो कदम आगे बढ़ गई और राज्य सभा में चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लेकर गए थे. लेकिन राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दूध का दूध, और पानी का पानी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने किया है, जो पहले जस्टिस मिश्रा के विरोध में मुखर थे. कांग्रेस कम से कम उन पर तो कोई आरोप नहीं लगा सकती.

5. सुप्रीम कोर्ट में केस पिट जाने के बावजूद कांग्रेस हारी नहीं है. उसने लोगों के दिमाग में 'ईमानदार' मोदी के लिए शंका डालकर विधानसभा चुनाव में कुछ तो कमाया ही है: राफेल डील को लेकर राहुल गांधी अब भले कुछ न बोल पाएं, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने इसे मुद्दा तो बना ही दिया था. वे अपने आरोपों को ताकत देने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपतियों के बयानों का हवाला देते रहे हैं, लेकिन उनके तथ्य कभी सच की कसौटी पर खरे नहीं उतरे. हालांकि, राजनीति का सच यही है कि बोफोर्स और 2जी जैसे मामले कोर्ट में भले ही धाराशायी हो गए हों, लेकिन उन्होंने सरकारों को तो हिलाकर रख ही दिया था.

अब राफेल केस में आगे क्या?

1. अनिल अंबानी के मानहानि दावों को ताकत मिलेगी: जस्टिस लोया केस की तरह कांग्रेस को एक और नाकामी हाथ लगी है. उस मामले में निशाने पर अमित शाह थे, रफाल केस में मोदी. इसके अलावा एक और शख्स है, जिसकी खूब खिंचाई हुई है, और वो है अनिल अंबानी. उन्हें दिवालिया, भ्रष्ट और न जाने क्या-क्या कहा गया.

अहमदाबाद कोर्ट में अंबानी ने गांधी परिवार की मिल्कियत वाले नेशनल हैराल्ड सहित कई मीडिया हाउस के खिलाफ 20 से ज्यादा मानहानि के मुकदमे दायर किए हुए हैं. करोड़ों रुपए के ये दावे सुप्रीम कोर्ट के पहले तक अंबानी की छटपटाहट लग रहे थे, लेकिन अब जबकि अंतिम फैसला आ गया है तो अंबानी के दावों में दम नजर आने लगा है.

2. राहुल गांधी के हमलों का बचाव करती रही बीजेपी अब हमलावर होगी: राहुल गांधी पिछले एक साल से राफेल का नाम लेकर मोदी सरकार पर हमला कर रहे थे. लेकिन बीजेपी अगले छह महीने उसका हिसाब बराबर करेगी. पार्टी अध्याक्ष अमित शाह ने तो इसकी शुरुआत कर दी है. वे राहुल गांधी को झूठा करार देने के लिए हर मंच का इस्तेमाल करेंगे. उन्हें देश की सुरक्षा से समझौता करने वाला घोषित करेंगे. अब बचाव की बारी कांग्रेस और राहुल गांधी की है.

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