New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 मार्च, 2023 06:16 PM
  • Total Shares

'कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है ?' वाले एक पुराने बयान के लिए आज ही उन्होंने सजायाफ्ता का दर्जा भी हासिल कर लिया है. वजह थी 'मोदी' सिर्फ नीरव, ललित और नरेंद्र ही नहीं हैं, अन्यान्य भी कई हैं हिंदुस्तान में. शुक्र है किसी फेमिनिस्ट ने अदालत का रुख नहीं किया, जबकि केस फॉर बनता था उनके कहे पर कि उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के दरम्यान महिलाओं ने बताया कि उनके साथ बलात्कार हो रहा है, रिश्तेदार कर रहे हैं. परंतु 'हम नहीं सुधरेंगे' राजनेताओं का जन्मसिद्ध अधिकार है. कल तक जब तक फैसला नहीं आया था न्यायालय का पूरा सम्मान था. आज जैसे ही सजा सुना दी, डेमोक्रेसी खत्म हो गई और क्या खड़गे और क्या ही छोटे बड़े अन्य नेता, यहां तक कि धुर विरोधी केजरीवाल जी ने भी न्यायालय को 'मैनेज किया' बता दिया.

Rahul Gandhi, Congress, Bharat Jodo Yatra, Women, Rape, Sexual Harassement, Girlsतमाम महिलाएं थीं जिन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात की

चूंकि हमें बात करनी है उनकी रेप को लेकर की गई टिप्पणी पर, लीक पर आते हैं. उनके रेप वाली टिप्पणी पर पुलिस द्वारा संज्ञान लिया जाना पॉलिटिकल क्लास को रास नहीं आया और तर्क कम कुतर्क ज्यादा के सहारे केस अगेंस्ट पुलिस बनते देर नहीं लगी कि बेचारे रागा को ही परेशान किया जा रहा है.

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के हवाले से पता चलता है कि रेप की घटनाएं रोज घटती हैं, हर राज्य में घटती हैं. ये भी कटु सच्चाई है कि यौन उत्पीड़न के अधिकांश मामलों की एफआईआर भी नहीं होती क्योंकि सर्वाइवर या सर्वाइवर का परिवार लांछन लगने के डर, शर्म, धमकी मिलने और उलटे कसूरवार ठहराये जाने की आशंका से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने से गुरेज़ करता है.

कई बार आर्थिक असुरक्षा की भावना भी आड़े आती है, अपराधी का प्रभावशाली होना भी वजह होती है महिला द्वारा चुप्पी साध लेने की. हालांकि #MeToo से थोड़ा फर्क पड़ा है और थोड़ी ही सही, महिलायें मुखर होने लगी हैं. सही है इंसाफ के रास्ते में रुकावटें हैं, दूसरे कई तरीकों से लड़कियों को शर्मिन्दा किया जाता है.

कइयों के बारे में लोगों को कानों कान पता भी नहीं चलता. उनकी खबरें बनना तो बहुत दूर की बात है. ऐसे में जब राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान यह बताने का फैसला किया कि कई औरतों ने उन्हें बताया कि उनके साथ रेप हुआ. लेकिन वे लोग पुलिस के पास नहीं गईं.

तो पूछा जाना बनता ही है कि उनपर भरोसा कर जिन भी महिलाओं ने अपने दुख शेयर किये, उनके भरोसे का राजनीतिकरण क्यों किया उन्होंने ? आपने तो किसी की प्राइवेसी को व्यापकता प्रदान कर दी, क्यों ? आदर्श स्थिति तो वह होती कि वे बिना 'कुछ पीड़िताओं' का हवाला दिए रेप के मामलों के रिपोर्ट ना किये जाने की वजहों की बात करते, पुलिस रिफॉर्म्स की बात करते.

फिर पुलिस की खराब छवि तो दशकों से हैं, तब और ज्यादा खराब थी जब कांग्रेस सत्ता में थी. आपने तो वही किया जिसे 'पेट में बात नहीं पचती' कहते हैं. किसी ने आपसे प्राइवेट में कुछ कहा और आपने वही बात पब्लिक डोमेन में डाल दी उस 'किसी' का नाम लिए बिना. और ऐसा किया सिर्फ और सिर्फ 'तेरी' 'मेरी' पुलिस का विमर्श खड़ा कर पुलिस की छवि खराब करने के लिए.

फिर यदि 'कुछ पीड़ित महिलाओं' का आपसे मिलना एक हकीकत है तो इस बात की क्या गारंटी है कि उनकी पहचान उजागर नहीं होगी, चूंकि आपने क्लू तो दे ही दिए हैं कयासों के लिए जो उन महिलाओं पर लगाए जाएंगे जो आपसे यात्रा के दौरान मिलीं. निश्चित ही 'उन' सर्वाइवर ने नहीं चाहा था कि आप ऐसी स्थिति पैदा कर दें !

चूंकि आपकी यात्रा राजनैतिक नहीं थी, जैसा आप बार बार कह रहे थे, 'वे' महिलाएं आपको युगपुरुष मान भरोसा कर बैठीं कि आप अपेक्षित सामाजिक और प्रशासनिक सुधारों के लिए प्रयासरत रहेंगे ; कम से कम शुरुआत अपने मौजूदा प्रदेशों से तुरंत ही कर देंगे.

दरअसल राजनेताओं का महिलाओं के लिए बात करना ही हिपोक्रेसी है. आधी जनसंख्या महिलाओं की,है लेकिन प्रतिनिधित्व कोई नहीं देता. उन्हें हर बात में, हर क्षेत्र में बराबरी दीजिये और तब देखिये रेप की मानसिकता कैसे छू मंतर होती है ?

लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय