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Updated: 28 अगस्त, 2019 07:09 PM
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राहुल गांधी को अभी अभी कांग्रेस के तीन सीनियर नेताओं ने खास सलाह दी थी - 'मोदी को खलनायक बताना हानिकारक हो सकता है.' ये सलाह जयराम रमेश ने दी थी जिसका अभिषेक मनु सिंघवी और शशि थरूर ने समर्थन किया था. अब जयराम रमेश को कांग्रेस से निकालने की बात हो रही है. शशि थरूर को केरल कांग्रेस प्रमुख ने नोटिस देकर जवाब मांगा है. अभिषेक मनु सिंघवी को लेकर किसी के बोलने की हिम्मत नहीं हुई होगी क्योंकि कहीं भड़क गये तो सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के मुकदमों का क्या होगा.

जब कांग्रेस में सही सलाहियत की ऐसी कद्र हो तो भला कोई जानबूझ कर पैर कुल्हाड़ी पर क्यों मारेगा. ये कुछ कुछ वैसा ही है जैसे पहले सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को जो भी अस्पताल पहुंचाया करता, पुलिस उसी के पीछे लग जाती रही. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से वहां तो हालात सुधर गये, लेकिन कांग्रेस का कोई क्या करे. फिर तो कांग्रेस के सलाहकार भी वैसी ही राय देते रहेंगे जिससे नौकरी चलती रहे.

कांग्रेस में विरोध तो धारा 370 पर उसके स्टैंड को लेकर भी हुआ था, लेकिन नेतृत्व ने ताकत के बूते खामोश करा दिया. कांग्रेस में तो खामोशी गहनों की ही तरह है. जिसने जितनी मात्रा में धारण कर लिया, वो उतने ही फायदे में रहता है.

उड़ी अटैक के बाद से ही राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमले में सारी हदें लांघ जाते हैं. 2016 में राहुल गांधी के 'खून की दलाली' वाला बयान किसी सलाहकार के दिमाग की उपज रही या खुद की नहीं पता, लेकिन चाहे बाद में बालाकोट एयर स्ट्राइक का मुद्दा हो, धारा 370 हटाने जाने का मसला हो या बाद में जम्मू-कश्मीर में उपजे हालात का - कांग्रेस नेतृत्व मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की लगातार कोशिश करता रहा है. कांग्रेस के सीनियर नेताओं की चेतावनी भी इसी बात को लेकर है.

दरअसल, राहुल गांधी की बातें, पाकिस्तान में हाथों हाथ ली जाती हैं - अब तो मामला यूएन तक पहुंच चुका है. राहुल गांधी और उनकी टीम को अब ये बात समझ में आयी है कि ये दांव तो पूरी तरह उलटा पड़ गया. जब तक राहुल गांधी को ये बात समझ में आयी है काफी देर हो चुकी है, लिहाजा कांग्रेस नेता डैमेज कंट्रोल में लगे हैं - लेकिन ये कौन समझाये कि जब कहीं बार बार डैमेज होने लगे तो एक स्थिति ये भी आती है कि मामला आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है.

जब स्थिति 'तनावपूर्ण' से 'नियंत्रण के बाहर' हो चली!

जम्मू-कश्मीर प्रशासन की मनाही के बावजूद राहुल गांधी ने फ्लाइट पकड़ी और श्रीनगर निकल पड़े. रिटर्न टिकट तो पहले से ही ले रखा होगा - क्योंकि मालूम था एयरपोर्ट से बाहर जाने को तो मिलने से रहा. राहुल गांधी ने अपने साथ कुछ ऐसे नेताओं को भी ले रखा था जो पहले भी बैरंग लौटा दिये गये थे. आखिर कांग्रेस नेतृत्व को ये क्यों नहीं समझ आता कि सोनभद्र गेस्ट हाउस और डल झील की सियासी रवायत भले ही एक जैसी लगे लेकिन जमीन आसमान का फर्क है. हर जगह एक ही दांव नहीं चल पाता. प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी आदित्यनाथ को एक बार झुकने को मजबूर कर दिया तो सत्यपाल मलिक भी वैसा ही करेंगे, मुमकिन ही नहीं है.

rahul gandhi for damage control on jkराहुल गांधी अब भी यही समझा रहे हैं कि उनकी बातों को बीजेपी और पाकिस्तान तोड़ मरोड़ कर पेश कर देते हैं!

श्रीनगर से लौटकर राहुल गांधी ने जो बयान दिया था वो राजनीतिक के साथ साथ राजनयिक तौर पर भी इतना खतरनाक हो सकता है, कांग्रेस में लगता है किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. पाकिस्तान का क्या उसे तो भारत के खिलाफ हर वक्त मौके की तलाश रहती है - मौका मिला और UN पहुंच गये. खास बात तो ये है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र को जो चिट्ठी भेजी है उसमें मुख्य आधार राहुल गांधी के ट्वीट को ही बनाया है.

राहुल गांधी ने एक ट्वीट कर कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों की स्वतंत्रता और नागरिक आजादी पर अंकुश लगाए हुए 20 दिन हो गए हैं. विपक्ष और मीडिया को तब जम्मू-कश्मीर के लोगों पर किए जा रहे कठोर बल प्रयोग और प्रशासनिक क्रूरता का अहसास हुआ, जब उन्होंने शनिवार को श्रीनगर का दौरा करने की कोशिश की.'

राहुल गांधी को ये ट्वीट करने में जो भी वक्त लगा हो, पाकिस्तान में लोगों को लपकते देर न लगी. डॉन अखबार ने तो इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया ही, पाकिस्तानी नेताओं ने इसे खूब बढ़ा चढ़ा कर पेश किया. पाकिस्तानी मानव अधिकार मंत्री शीरीन मजारी ने तो ट्वीट का नाम लेते हुए यहां तक कह डाला कि राहुल गांधी ने कश्मीर में लोगों की मौत का भी जिक्र किया है.

शीरीन मजारी ने संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में कहा, 'भारत के मुख्यधारा के राजनेताओं जैसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्वीकार किया था कि जम्मू-कश्मीर में लोग मर रहे हैं. वहां बहुत गलत हो रहा है.'

फिर तो कांग्रेस में हड़कंप मच गया. कांग्रेस नेताओं से लेकर खुद राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर सफाई देने की कोशिश की. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरेजवाला ने कहा कि पाकिस्तान ने राहुल गांधी के नाम का गलत इस्तेमाल किया, ताकि वह अपने झूठ को सही ठहरा सके.

अपनी सफाई में राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा - 'मैं कई मुद्दों पर सरकार से असहमत हूं, लेकिन मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है. इस मामले में पाकिस्तान और अन्य किसी भी देश के हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है. जम्मू-कश्मीर में हिंसा हो रही है. इस हिंसा का पाकिस्तान समर्थन कर रहा है. पाकिस्तान पूरी दुनिया में आंतकवाद का पोषक है.'

कांग्रेस का मिशन कश्मीर है क्या?

धारा 370 पर सबसे ज्यादा अगर किसी कांग्रेस नेता ने बोला है तो वो हैं गुलाम नबी आजाद. गुलाम नबी आजाद की मुश्किल ये भी है कि वो जम्मू-कश्मीर से ही आते हैं और बदलाव के बाद से उनकी की भी राजनीतिक जमीन खिसक गयी है. वैसे गुलाम नबी आजाद ने जो कुछ भी कहा वो तो कांग्रेस नेतृत्व के ही मन की बात लगती है - क्योंकि बाद में भी सारी बातें एक जैसी ही रहीं. सिर्फ बयानबाजी की कौन कहे आरपीएन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन पटेल और हुड्डा परिवार ने भी राहुल गांधी की बातों पर कड़ा ऐतराज जता चुका है.

1. प्रियंका गांधी वाड्रा : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल गांधी के श्रीनगर एयरपोर्ट दौरे का एक वीडियो ट्वीट करते हुए सवाल किया - ‘कब तक यह चलता रहेगा? ये लाखों लोगों में एक हैं, जिन्हें चुप करा दिया गया और राष्ट्रवाद के नाम पर कुचल दिया गया.’

2. अधीर रंजन चौधरी : अधीर रंजन चौधरी ने तो संसद में सेल्फ गोल ही कर डाला, जिस पर अमित शाह भी पूछ बैठे - क्या ये कांग्रेस का स्टैंड है? लोक सभा में धारा 370 पर बहस चल रही थी. अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया केंद्र सरकार ने रातों-रात नियम कायदों को ताक पर रखकर जम्मू कश्मीर के टुकड़े कर दिए और उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. ये सुनते ही अमित शाह भड़क गये और पूछ बैठे कि बतायें कि कौन सा नियम तोड़ा है? अधीर रंजन चौधरी ने आव न देखा ताव बस बोल पड़े - 'आपने अभी कहा कि कश्मीर अंदरूनी मामला है, लेकिन यहां अभी भी संयुक्त राष्ट्र 1948 से मॉनिटरिंग करता आ रहा है.'

3. गुलाम नबी आजाद : गुलाम नबी आजाद ने संसद में जो कुछ कहा लोगों ने लाइव सुना ही, CWC की बातें भी मीडिया रिपोर्ट से मालूम हो ही गयीं. एक बार लौटा देने के बाद जब राहुल गांधी के साथ गुलाम नबी आजाद श्रीनगर जाने से पहले कहा था - 'हालात सामान्य हैं तो हमें रोक क्यों रहे हैं? मुझे मेरे घर क्यों नहीं जाने दे रहे? उमर अब्दुल्ला, फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को घूमने क्यों नहीं दे रहे हैं. मंत्री सासंदों को नहीं जा रहे हैं, विपक्ष के नेताओं को नहीं जाने देते, इसका मतलब कुछ छिपा रहे हैं. क्या छिपा रहे हैं ये देश को बताना चाहिए.'

4. पी. चिदंबरम : INX मीडिया केस में गिरफ्तार होने से पहले पी. चिदंबरम के भी जम्मू-कश्मीर पर काफी कड़े तेवर देखने को मिले थे. दूसरों को सांप्रदायिकता और भगवा आतंकवाद का पाठ पढ़ाने वाले पी. चिदंबरम का बयान रहा, 'अगर जम्मू-कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता तो बीजेपी कभी ऐसा न करती. वहां धारा 370 को लेकर ये फैसला सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है.'

ये तो बीजेपी के आरोपों को ही सही ठहराने लगे कांग्रेस नेता

जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान को लेकर राहुल गांधी को अपनी बातों का मतलब काफी देर से समझ में आया है. ये भी उनके सफाई वाले ट्वीट और बयान के बाद समझना थोड़ा आसान हो पाया है.

ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी राजनीतिक तौर पर जो कुछ भी कहते हैं, सबसे पहले वो बीजेपी को समझ में आती है. बीजेपी के समझ आने से आशय ये है कि वो हमेशा ही उसमें से फायदे की बात निकाल लेती है. कांग्रेस नेतृत्व के सलाहकारों से ज्यादा बीजेपी के रणनीतिकार राहुल गांधी की बातें आसानी से समझ लेते हैं. फिर बीजेपी राहुल गांधी के बयानों के बारे में लोगों को समझा देती है - और लोग भी समझ जाते हैं.

दो बातें हो सकती हैं. या तो बीजेपी नेता राहुल गांधी के बयानों को अपने हिसाब से समझाने में कामयाब हो जाते हैं या फिर राहुल गांधी बोलते ही ऐसा हैं जो वो खुद समझ कर बोलते हैं लोगों को उसका उलटा अर्थ समझ में आता है.

मुश्किल तो ये है कि सिर्फ बीजेपी ही नहीं, पाकिस्तानी नेता और बुद्धिजीवी भी राहुल गांधी की बातों का हवाला देते रहते हैं. टीवी पर बहसों में उसका अक्सर इस्तेमाल होता है. आम चुनाव के वक्त राहुल गांधी ने विपक्ष के 21 राजनीतिक दलों की ओर से एक संयुक्त बयान पढ़ा था. ये बयान पाकिस्तान में टीवी बहसों का सबसे पसंदीदा टॉपिक बन गया. बीजेपी राहुल गांधी के इस बयान को लोगों को पाक समर्थक कह कर समझाया और लोगों ने मान लिया - आखिर बीजेपी को पहले के मुकाबले ज्यादा बहुमत से जिताने को और क्या समझा जाये. आम चुनाव के दौरान राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं की लोकप्रियता की बातें बीजेपी नेताओं की हर रैली में सुनने को मिला करती रही - जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान की तरफ से संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में राहुल गांधी के ट्वीट का हवाला दिया जाना तो यही जता रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व किसी भी तरीके से सबक सीखने को राजी नहीं है. भले ही पार्टी के सीनियर नेता ही जोखिम उठाकर कुछ समझाने की कोशिश क्यों न करें.

राहुल गांधी की सफाई पर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह कहते हैं, 'ये उसी तरह से है जैसे डिस्‍पेंसरी से बैंड-एड चुरा लिया जाये और उसे गोली लगने के घाव पर चिपका दिया जाये - राहुल गांधी और कांग्रेस ने भारत को बहुत जख्म दिए हैं.'

गिरिराज सिंह के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी राहुल गांधी की सफाई पर टिप्पणी की. बीजेपी की ब्रीफिंग में प्रकाश जावड़ेकर ने समझाने की कोशिश की कि राहुल गांधी का दिल नहीं बदला है, बल्कि दवाब में अपना स्टैंड बदला है. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'राहुल गांधी का बयान दिवालियापन दर्शाता है. कश्मीर की जो वास्तविकता नहीं है, राहुल वो बोले हैं. वो पाकिस्तान के हाथों में खेल रहे हैं. पाकिस्तान ने राहुल के बयान को आधार बनाकर संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा है.'

प्रकाश जावड़ेकर के जबाव में कांग्रेस की ओर से काउंटर प्रेस कांफ्रेंस हुई, जिसमें रणदीप सुरजेवाला ने जवाबी हमले किये. सुरजेवाला के निशाने पर पाकिस्तान और जावड़ेकर निशाने पर बराबर लगे. 

सुरजेवाला ने प्रकाश जावड़ेकर को 'मिसइंफॉर्मेशन मिनिस्टर' करार देते हुए कहा कि वो अपना राजनीतिक संतुलन खो चुके हैं. साथ ही, सुरजेवाला ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वो न तो मानव अधिकारों की बात करे न ही हिंसा और आतंकवाद की. सुरजेवाला ने पाकिस्तान को भारत पर उंगली उठाने से पहले PoK, बलोचिस्तान, गिलगिट जैसे इलाकों में पश्तूनों और अहमदिया लोगों के मानव अधिकारों पर ध्यान देने की सलाह दी. सुरजेवाला ने पाकिस्तान को आगाह किया कि पूरी दुनिया को पता है कि अलकायदा, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान का भी बेस वही मुल्क रहा है - और पाकिस्तान ही ऐसे दहशतगर्दों को लगातार पाल पोस रहा है. 

देखा जाये तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही नेताओं का एक दूसरे पर हमला और जवाबी हमला अपना पक्ष सही ठहराने की कोशिश है. हालांकि, कांग्रेस अपने ही बिछाये जाल में फंस गयी है और राहुल गांधी से लेकर सुरजेवाला तक उसमें में बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं.

राहुल गांधी हों, सोनिया गांधी हों या फिर प्रियंका गांधी वाड्रा - ये सभी नेता सिर्फ धारा 370 पर ही नहीं, पूरे कश्मीर मसले पर कांग्रेस का जितना भी डैमेज हो सकता था कर चुके हैं. डैमेज कंट्रोल तब होता है जब पहली बार कोई बात हो रही हो. जब बार बार डैमेज का वही तरीका हो - फिर तो वो हमेशा के लिए आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है. अब तो राहुल गांधी को भी ये बात समझ में आ ही रही होगी, लेकिन काफी देर हो चुकी है.

rahul gandhi with sam pitrodaआखिर कब तक 'हुआ तो हुआ' से काम चलेगा?'

असल बात तो ये है कि पाकिस्तान को राहुल गांधी के बयान से कोई फायदा मिले न मिले - कांग्रेस के नुकसान की भरपाई तो बहुत मुश्किल लगती है. ऐसे क्यों लगता है कि कांग्रेस 'हुआ तो हुआ' को ही अंतिम सत्य मान लिया है?

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