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Updated: 10 मार्च, 2022 07:38 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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यूपी चुनाव 2022 की बात हो और बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का जिक्र न आए, तो ये बेमानी होगा. अवध क्षेत्र की भदरी रियासत के उत्तराधिकारी रघुराज प्रताप सिंह के नाम की प्रतापगढ़ के कुंडा में तूती बोलती है. और, यूपी चुनाव नतीजे में कुंडा विधानसभा सीट पर बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने 30 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर ली है. 1993 से लगातार 6 बार निर्दलीय विधायक के तौर पर कुंडा सीट से जीत दर्ज करते चले आ रहे रघुराज प्रताप सिंह के लिए तमाम अड़चनों के बावजूद शायद इस सीट पर जीत दर्ज करना मुश्किल नहीं था. खैर, राजा भैया की जीत की खबर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार और किसी जमाने में राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव की धड़कनें बढ़ना लाजिमी हैं. क्योंकि, कुंडा में बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह के नाम के साथ जुड़ी किवंदतियां और किस्से अच्छे-अच्छे लोगों में भी सिहरन पैदा करने वाले रहे हैं. और, गुलशन यादव का लंबा समय उन किस्सों और किवंदतियों के बीच ही गुजरा है.

Raja Bhaiya Kundaरघुराज प्रताप सिंह 1993 से लगातार 6 बार निर्दलीय विधायक के तौर पर कुंडा सीट से जीत दर्ज करते चले आ रहे हैं.

कुंडा में 'कुंडी' की अपील पर अखिलेश को हैसियत याद दिलाने की हुंकार

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव कुंडा विधानसभा सीट के पार्टी प्रत्याशी गुलशन यादव के चुनाव प्रचार के लिए आए थे. इस दौरान अखिलेश यादव ने मंच से बिना रघुराज प्रताप सिंह का नाम लिए इशारों-इशारों में निशाना साधते हुए कहा था कि 'इस बार यहां की जनता कुंडा में कुंडी लगाने का काम करेगी.' दरअसल, यूपी चुनाव 2022 में पहली बार अखिलेश यादव ने राजा भैया के सामने गुलशन यादव को समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है. इससे पहले समाजवादी पार्टी और रघुराज प्रताप सिंह के बीच रिश्ते काफी अच्छे रहे थे. 

लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जब अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती से गठबंधन कर लिया था. तो, इससे नाराज होकर राजा भैया ने राज्यसभा के चुनाव में बसपा के प्रत्याशी को वोट न देकर भाजपा प्रत्याशी को वोट दे दिया था. क्योंकि, बसपा सुप्रीमो मायावती के शासन में रघुराज प्रताप सिंह पर पोटा के तहत कार्रवाई की गई थी. यहीं, से अखिलेश यादव और राजा भैया के रिश्तों में खटास आ गई थी. और, अखिलेश ने 2022 में हिसाब कर देने तक की बात कर दी थी.

वहीं, अखिलेश यादव के कुंडी लगाने वाले बयान पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने तीखा पलटवार करते हुए कहा था कि 'अखिलेश यादव मुगालते में ना रहे. किसी की हैसियत नहीं है कि वह कुंडा में कुंडी लगा सके. धरती पर ऐसा कोई माई का लाल पैदा ही नहीं हुआ है.' राजा भैया ने सीधे अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए कहा था कि 'जो लोग सपना देख रहे हैं कि 10 मार्च को सरकार बन रही है, वह मुगालते में हैं. न सरकार बन रही है और न बनने देंगे.' कुंडा में बाहुबली नेता की छवि के अनुरूप ही राजा भैया को लेकर कहा जाता है कि कुंडा में बिना रघुराज प्रताप सिंह की इजाजत के एक पत्ता भी नहीं हिलता है. 

बेंती तालाब के किस्सों के बीच गुलशन की चुनौती

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की बेंती कोठी के पीछे बने करीब 600 एकड़ के तालाब से कई किस्से और कहानियां जुड़ी हैं. कुंडा के लोगों से पूछने पर कोई इस तालाब में राजा भैया द्वारा घड़ियालों को पालने की बात करता मिल जाएगा. तो, कोई राजा भैया के दुश्मनों को उसी तालाब में फेंके जाने की कहानी भी सुनाता टकरा जाएगा. बेंती के तालाब की खुदाई में एक नरकंकाल मिला था. जो कुंडा के नरसिंहगढ़ गांव के संतोष मिश्र का था. इसका भी एक किस्सा वहां के लोगों की जबान पर है कि उसका स्कूटर राजा भैया की गाड़ी से टकरा गया था. जिसके बाद कथित तौर पर उसे कुछ लोग उठा ले गए. बाद में उसका कंकाल मिला.

खैर, कुंडा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गुलशन यादव इस बात से भली-भांति परिचित रहे होंगे कि इन किस्से और कहानियों में कितनी सच्चाई है? वैसे, रघुराज प्रताप सिंह को घेरने के लिए अखिलेश यादव ने उनके ही गढ़ में सेंधमारी करते हुए राजा भैया के करीबी गुलशन यादव को समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया. और, गुलशन यादव ने भी अखिलेश यादव की ही तर्ज पर राजा भैया के खिलाफ बयानों में खूब आग उगली है. सबसे बड़ी बात ये रही कि सूबे की सियासत के जानकारों की नजर में भाजपा बनाम समाजवादी पार्टी की सीधी लड़ाई में गुलशन यादव को भी अखिलेश यादव के ही मुख्यमंत्री बनने का भरोसा था. लेकिन, रुझानों को देखते हुए फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. वैसे, वक्त ही बताएगा कि आगे क्या होगा?  

वैसे, यूपी चुनाव नतीजे के रुझान से एक दिलचस्प बात ये भी निकलती दिख रही है कि राजा भैया का जनसत्ता दल लोकतांत्रिक दो सीटें जीतकर उनकी धुर विरोधी रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती से भी आगे नजर आ रहा है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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