New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 मार्च, 2022 08:42 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार हर पांच साल में सरकार बदलने वाले इतिहास को बदल दिया गया. लेकिन, 2012 में भुवन चंद्र खंडूरी और 2017 में हरीश रावत की तरह ही पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए चुनाव हार गए. जबकि, पिछले दो विधानसभा चुनाव में उन्होंने खटीमा विधानसभा सीट से ही जीत हासिल की थी. वैसे, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा की जीत से इतना तो तय हो गया था कि पहाड़ी राज्य में भगवा लहराएगा. लेकिन, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किए गए पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से चुनाव हारने से पार्टी को बड़ा झटका लगा था. पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद उत्तराखंड में 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' का सवाल बहुत तेजी से उठ रहा था. सीएम पद की रेस में कई नाम सामने आए थे. लेकिन, 11 दिनों के इंतजार के बाद आखिरकार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पुष्कर सिंह धामी के नाम पर ही मुहर लगा दी. लेकिन, अभी भी सबसे अहम सवाल यही है कि क्या पुष्कर सिंह धामी 5 साल पूरे कर पाएंगे?

Pushkar Singh Dhami Uttarakhand Next CMधामी को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तरह ही किसी सीट पर विधानसभा उपचुनाव जीतना होगा.

क्या धामी बन पाएंगे ममता बनर्जी की तरह विधायक?

उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश की तरह विधान परिषद नहीं है. तो, पुष्कर सिंह धामी के लिए विधान परिषद का सदस्य बनकर सीएम पद की शपथ लेने का मौका नहीं है. धामी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरह ही फिर से किसी सीट पर विधानसभा उपचुनाव जीतना होगा. जैसे ममता बनर्जी के लिए भवानीपुर के विधायक ने इस्तीफा दिया था. कहा जा रहा है कि पुष्कर सिंह धामी के नाम पर भी इस्तीफा देने के लिए करीब चार विधायक तैयार हैं. हालांकि, इन विधायकों में से किसी एक के इस्तीफा देने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी के सामने उपचुनाव जीतने की चुनौती होगी. हालांकि, ममता बनर्जी के उदाहरण को देखा जाए, तो धामी की जीत मुश्किल नजर नहीं आती है. वैसे, भाजपा ने विधानसभा चुनाव 'उत्तराखंड फिर मांगे, मोदी-धामी की सरकार' के नारे के साथ लड़ा था. लेकिन, खटीमा से चुनाव हारने के बाद पुष्कर सिंह धामी के साथ ही कई विधायकों और सांसदों के नाम सीएम पद की रेस में आ गए थे.

सीएम पद के लिए सांसदों से लेकर विधायकों के नाम की रही चर्चा

उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने के लिए हरिद्वार विधायक और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, चोबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज, श्रीनगर विधायक धन सिंह रावत के नामों की चर्चा रही. इसी के साथ सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और अनिल बलूनी के नाम भी सीएम पद की रेस में शामिल थे. माना जा रहा था कि इन तमाम नेताओं ने खुद को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अंदरखाने लॉबिंग भी शुरू कर दी थी. मदन कौशिक के रूप में भाजपा को पहली बार गैर-पहाड़ी प्रदेश अध्यक्ष मिला था. कहा जा रहा था कि मदन कौशिक गैर-पहाड़ी विधायकों के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं. वहीं, धन सिंह रावत के नाम को लेकर दावा किया जा रहा था कि उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पुराना जुड़ाव सीएम चेहरा बना सकता है. सीएम पद के लिए सतपाल महाराज का नाम भी चर्चा में था. क्योंकि, वह केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सक्रिय नजर आए थे. निशंक की भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ मुलाकात के कई मतलब निकाले गए थे.

वहीं, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का नाम भी मुख्यमंत्री के तौर पर काफी उछला था. दरअसल, अजय भट्ट उत्तराखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके थे. और, माना जा रहा था कि अजय भट्ट की उत्तराखंड भाजपा में पकड़ मजबूत है. वहीं, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के नाम की भी खूब चर्चा रही. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनके करीबी संबंधों की वजह से अनिल बलूनी को सीएम पद का उम्मीदवार माना जा रहा था. हालांकि, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सबको चौंकाते हुए पुष्कर सिंह धामी पर ही दांव खेला है. वैसे, उत्तराखंड में इस बात की भी चर्चा थी कि सीएम पद के लिए पुष्कर सिंह धामी के ही नाम पर मुहर लगेगी. क्योंकि, भाजपा ने विधानसभा चुनाव 'उत्तराखंड फिर मांगे, मोदी-धामी की सरकार' के नारे के साथ लड़ा था. 

धामी के सामने 5 साल तक सीएम बने रहने की चुनौती

2007 में भाजपा ने उत्तराखंड के सीएम भुवन चंद्र खंडूरी को हटाकर करीब सवा साल के लिए रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया था. वहीं, विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर फिर से भुवन चंद्र खंडूरी को सीएम बना दिया था. लेकिन, खंडूरी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी. 2017 में सत्ता में वापसी करने पर भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था. लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद अचानक ही तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया. लेकिन, तीरथ सिंह रावत भी सीएम पद पर टिक नहीं सके. तीरथ के बाद भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया. और, उनके ही चेहरे पर चुनाव लड़ा. हालांकि, धामी के चुनाव हारने के बावजूद भाजपा ने उनके नाम पर मुहर लगाई है. लेकिन, उत्तराखंड में भाजपा के चुनाव से पहले सीएम बदलने के चलन को देखते हुए पुष्कर सिंह धामी के सामने 5 साल तक सीएम बने रहने की भी चुनौती है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय