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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 22 मई, 2019 04:53 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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17 वीं लोकसभा के अंतिम चरण के तहत जहां पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ हो, राज्य में जबरदस्त सियासी ड्रामा चल रहा है. पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह  खुलकर एक दूसरे के आमने सामने हैं. माना जा रहा है कि पंजाब में किसी भी वक़्त सत्ता संघर्ष अपना विकराल रूप धारण कर सकता है. कैप्टन अमरिंदर ने पुनः नवजोत सिंह सिद्धू पर बड़ा हमला बोला है. कैप्टन ने कहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और मुझे रिप्लेस करना चाहते हैं.

ज्ञात हो कि अमृतसर लोकसभा सीट को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू खासे नाराज थे. सिद्धू चाहते थे कि इस सीट से उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को टिकट मिले, मगर ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद सिद्धू मुखर होकर कैप्टन के खिलाफ सामने आए हैं और लगातार बयान देकर कैप्टन पर बड़े हमले कर रहे हैं.

कैप्टन अमरिंदर, नवजोत सिंह सिद्धू, पंजाब, कांग्रेस, राहुल गांधी माना जा रहा है कि पंजाब में किसी भी क्षण कैप्टन अमरिंदर सिंह की सत्ता जा सकती है

सिद्धू के हमलों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि. 'मेरे और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कोई जुबानी जंग नहीं चल रही है, उनकी अपनी ख्वाहिशें हैं. हर व्यक्ति की अपनी ख्वाहिशें होती हैं.

Punjab CM Capt. Amarinder Singh: There is no war of words with Navjot Singh Sidhu, if he is ambitious, it's fine, people have ambitions. I have known him since childhood, I have no difference of opinion with him. He probably wants to become CM and replace me, that is his business pic.twitter.com/a5fMCGrBDc

— ANI (@ANI) May 19, 2019

इसके अलावा पंजाब के सीएम ने सिद्धू को लेकर ये भी कहा कि मैं उन्हें बचपन से जानता हूं मेरे और उनके बीच कोई जंग नहीं चल रही है, लेकिन वह खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और मुझे बदलना चाहते हैं. पंजाब में अमृतसर लोकसभा सीट को लेकर तनाव कैसा था? इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि पंजाब में पोलिंग से पहले ही नवजोत कौर सिद्धू ने मुख्यमंत्री और प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

नवजोत कौर सिद्धू ने राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी पर अमृतसर से लोकसभा टिकट नहीं दिए जाने का आरोप लगाया था और एक नए सियासी घमासान की शुरुआत की थी. वहीं जब टिकट के बंटवारे को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू से सवाल हुआ तो उन्होंने अपनी पत्नी का पक्ष लेते हुए कहा कि, मेरी पत्नी कभी झूठ नहीं बोलती है.

बता दें कि अमृतसर टिकट ना मिलने पर नवजोत कौर की तरफ से चंडीगढ़ टिकट की डिमांड की गई थी, लेकिन दोनों ही मांगें नहीं मानी गई थीं. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा था कि कैप्टन साहब को लगता है कि मिसेज़ सिद्धू चुनाव नहीं जीत पाएंगी.

कैप्टन अमरिंदर, नवजोत सिंह सिद्धू, पंजाब, कांग्रेस, राहुल गांधी सिद्धू कई मौकों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की आलोचना कर चुके हैं

खैर, कैप्टन के खिलाफ नवजोत सिंह की ये कटुता कोई आज की नहीं है. बात समझने के लिए हमें पंजाब की राजनीति और उस राजनीति में कैप्टन की भूमिका समझनी होगी. माना जाता है कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार यदि आई है तो इसका एक बड़ा कारण खुद कैप्टन अमरिंदर थे. जो राज्य में स्टार स्टेटस रखने के कारण हमेशा से ही राहुल गांधी की आंख का कांटा रहे हैं. पंजाब की सियासत के एक अन्य पुरोधा प्रताप सिंह बाजवा, राहुल गांधी के करीबी रहे हैं. राहुल इन्हें खूब पसंद करते थे. कांग्रेस अध्यक्ष यही चाहते थे कि बाजवा न सिर्फ राज्य में कांग्रेस को मजबूत करें बल्कि मुख्यमंत्री भी बनें.

राहुल गांधी की इस बात पर कैप्टन के विचार अलग थे. उन्होंने बगावती तेवर दिखाते हुए पार्टी में इस सन्देश को साफ तौर पर प्रचारित और प्रसारित किया कि यदि उन्हें पंजाब का कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो वो अपनी नई पार्टी बना लेंगे. तब बात चूंकि पंजाब में पार्टी के अस्तित्त्व की थी तो राहुल गांधी को भी जहर का घूंट पीना पड़ा और कैप्टन सत्ता में आए.

जैसा रवैया कैप्टन के प्रति सिद्धू का है और जिस हिसाब से उनके बगावती सुर बुलंद हैं. माना यही जा रहा है कि सिद्धू को कैप्टन की सत्ता को बिखेरने के लिए ऊपर से छूट मिली है जिसका भरपूर फायदा उठाते हुए वो कैप्टन की नाक में दम किये हुए हैं. पंजाब कांग्रेस में भले ही आज नवजोत सिंह सिद्धू अपने को एक बड़ा खिलाड़ी साबित करने के लिए तमाम मोर्चों पर जूझ रहे हों मगर कैप्टन का इतिहास इतना हल्का नहीं है जितना वो सोच रहे हैं.

कैप्टन अमरिंदर सिंह का शुमार कांग्रेस के पुराने विश्वासपात्रों में है. साथ ही वो राजीव गांधी के समय में भी वो सिख सौदे के एक बड़े कद्दावर नेता रहे हैं. कैप्टन अमरिंदर के बारे में मशहूर है कि ये वो नेता है जिनके अन्दर सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत है और जिन्हें अपने सम्मान से समझौता करना नहीं आता. ध्यान रहे कि यही वो  प्रमुख कारण हैं जिसकी वजह से राहुल गांधी उनसे खार खाए बैठे हैं.

सवाल होगा कि आखिर क्यों कैप्टन ने सिद्धू की बात नहीं मानी और उनकी पत्नी को टिकट नहीं दिया? तो इस सवाल का जवाब बस इतना है कि सिद्धू की पत्नी को टिकट न देना पंजाब में कैप्टन अमरिंदर की उस रणनीति का नतीजा रहा है जिसमें उनका उद्देश्य अकाली-बीजेपी गठबंधन को करारी शिकस्त देना था. अब इसे अनुभव कहें या कुछ और. कैप्टन अमरिंदर सिंह को एग्जिट पोल के बहुत पहले इस बात का अंदाजा लग गया था कि 2019 के इस चुनाव में भी देशभर में कांग्रेस कुछ बड़ा करने में नाकाम रहेगी.

क्योंकि सीटों के लिहाज से पंजाब की स्थति अच्छे रहेगी माना जा रहा है कि इस बात का पूरा क्रेडिट कैप्टन अमरिंदर लेंगे और शायद इस वजह से एक बार फिर कैप्टन के सामने राहुल गांधी कमजोर पड़ जाएं और दोनों के बीच तल्खी अपने पूरे शबाब पर आ जाए. इस जानकारी के बाद एक वर्ग ये भी तर्क दे सकता है जैसा अपने आलोचकों के प्रति राहुल गांधी का रुख है, लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने के बाद पार्टी की तरफ से कैप्टन को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है.

तो यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि पंजाब की राजनीति में जो जड़ें कैप्टन अमरिंदर ने जमाई हैं वो इतनी कमजोर नहीं हैं कि पार्टी का कोई फरमान उन्हें प्रभावित कर पाए. तमाम विरोधाभासों के बावजूद खुद राहुल गांधी भी जानते हैं कि कैप्टन को पंजाब से  हटाने का मतलब है पंजाब कांग्रेस का सफाया.

उल्टा हो ये सकता है कि साफ लहजे में कैप्टन ही सिद्धू का फाइनल बहिष्कार कर राहुल गांधी से कह दें कि अब उन्हें इनकी कोई जरूरत नहीं है और यदि वो (सिद्धू) उन्हें इतना ही पसंद हैं तो वो उन्हें पंजाब कांग्रेस से ले जाएं और उनके साथ मिलकर केंद्र की राजनीति करें.

बहरहाल, जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू का रुख है, वो ये भी साफ कर देता है कि सिद्धू, राहुल गांधी के ऐसे मोहरे हैं जिसका उद्देश्य सूबे में राहुल के वर्चस्व को बरक़रार रखना है. खुद सिद्धू का ये मान लेना कि अमरिंदर नहीं, राहुल उनके कैप्टन हैं ये बता दे रहा है कि सिद्धू अपने लक्ष्य को लेकर बहुत क्लियर हैं और शायद वो भी अपने को राज्य के आने वाले मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं.

खैर, कैप्टन अमरिंदर को पंजाब की सियासत का मजबूत खिलाड़ी माना जाता है. लेकिन जिस हिसाब से वो इन दिनों चौतरफा हमलों का सामना कर रहे हैं, इसका असर उनकी कुर्सी पर नजर आ रहा है. पंजाब में कैप्टन अपनी कुर्सी बचा पाएंगे या फिर सिद्धू अपने प्लान में कामयाब होंगे इन सारे सवालों के जवाब हमें बहुत जल्द पता चल जाएंगे.

मगर जिस लिहाज से पंजाब में पार्टी के भीतर मतभेद चल रहा है. वो खुद-ब-खुद इस बात की तरफ इशारा कर देता है कि भले ही राहुल, कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के सामने अपने को किंग समझ रहे हों. लेकिन एक मुखिया के तौर पर कहीं न कहीं वो अपने प्यादे और सेनापति दोनों को संभालने और सत्ता बनाए रखने में बुरी तरह नाकाम हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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