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Updated: 11 सितम्बर, 2021 02:06 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) की कलह थोड़ी ठंडी पड़ी लग रही है - और बीमारी का रुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी की तरफ हो चला है. धुआं तो पहले नहीं दिखा था, लेकिन एक चुनाव पूर्व सर्वे आने के बाद सीधे आग ही नजर आ रही है. पंजाब में आप सांसद भगवंत मान (Bhagwant Mann) के समर्थक आगबबूला हो गये हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ही कांग्रेस सरकार के खिलाफ जंग छेड़े हुए थे, लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हुई मीटिंग के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ चला रहे अपनी तोप का मुंह केंद्र की मोदी सरकार की तरफ मोड़ दिया है, बहाना किसानों का मुद्दा बना है. प्रियंका गांधी वाड्रा से सिद्धू की ये मुलाकात 1 सितंबर की बतायी जा रही है, जो सिद्धू के फैसले की छूट न मिलने पर ईंट से ईंट खड़का देने वाले बयान के बाद की है.

प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद सिद्धू ने पंजाब विधानसभा सत्र में भी हिस्सा लिया, लेकिन सदन में उनको बोलने का मौका नहीं दिया गया. फिर भी सिद्धू खामोश रहे. सिद्धू जैसा ही बदलाव उनके समर्थकों में भी देखा गया है - अब तो ये मान ही लेना होगा कि पंजाब कांग्रेस में कैप्टन बनाम सिद्धू की जंग पर प्रियंका गांधी ने पानी डाल कर शांत करा दिया है. ऐसा कब तक चलेगा ये गारंटी नहीं है.

लेकिन कांग्रेस की शांति अब तूफान बन कर आम आदमी पार्टी में पहुंच गयी है - क्योंकि सिद्धू की तरह ही आप सांसद भगवंत के मान के समर्थक अपने नेता को पंजाब का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

मामला ज्यादा इसलिए खराब हो गया क्योंकि भगवंत चुप्पी साधे घर पर बैठ गये थे - और तभी मिलने ऐसे पहुंचने लगे कि दिन भर तांता लग रहता था.

कुछ दिन खामोशी अख्तियार करने के बाद भगवंत मान सामने आये तो सीधे मीडिया से मुखातिब हुए, लेकिन न तो कोई नाराजगी जाहिर की, न ही कोई सफाई दी - बल्कि, पूरा मामला अपने समर्थकों की मोहब्बत का बता डाला.

आम आदमी पार्टी में कांग्रेस जैसी मुश्किल इसलिए भी पैदा हो गयी है क्योंकि प्री-पोल सर्वे में पंजाब के लोगों के पसंदीदा मुख्यमंत्रियों की सूची में अरविंद केजरीवाल ने टॉप किया है - कहीं अरविंद केजरीवाल का इरादा भी तो नहीं बदल रहा है?

'आप' का मुख्यमंत्री कौन बनेगा?

माना जा रहा था कि कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू की पूछ बढ़ने के कम से कम दो कारण रहे. एक तो ये कि नवजोत सिंह सिद्धू, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुकाबले ज्यादा पसंद आते हैं - और दूसरा ये कि कांग्रेस नेतृत्व को डर था कि सिद्धू को रोका नहीं गया तो वो छिटक कर आम आदमी पार्टी में जा सकते थे.

अब पंजाब में भगवंत मान और उनके समर्थकों की नाराजगी भी यही बता रही है कि आम आदमी पार्टी में सिद्धू के विकल्प की तलाश पूरी नहीं हो पायी है - और ऐसी चर्चा भी है कि अरविंद केजरीवाल को पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए एक अदद उम्मीदवार की अब भी दरकार है.

अगर वास्तव में ऐसा ही है तो यही समझा जाना चाहिये कि आम आदमी पार्टी में किसी 'कैप्टन' के बगैर ही भगवंत मान अपने समर्थकों के साथ सीधे सिद्धू की राह चल पड़े हैं. शब्दों से सिद्धू की तरह तो नहीं लेकिन जिस हिसाब से मिलने वालों की तस्वीरे सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, भगवंत मान भी ईंट से ईंट बजा देने वाले मूड में ही लगते हैं.

bhagwant mann, arvind kejriwalआखिर अरविंद केजरीवाल पंजाब में आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार में वो कौन सी खासियत खोज रहे हैं जो भगवंत मान में नहीं है या मान की कमजोरियां ही भारी पड़ रही हैं?

पंजाब से खबरें ऐसी आ रही हैं कि भगवंत मान आम आदमी पार्टी की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हो रहे हैं. भगवंत मान के नजदीकी सूत्र के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि लोक सभा की एक कमेटी के सदस्य होने के नाते वो बाकी सदस्यों के साथ टूर पर थे - और उसी में व्यस्त थे.

लेकिन चुनावी माहौल के हिसाब से एक लंबे गैप के बाद मीडिया के सामने आये भगवंत मान ने अपनी तरफ से न तो ऐसी कोई बात बतायी और न ही कोई संकेत ही दिये. बल्कि ये बोल कर रहस्य और भी गहरा कर दिया कि मुख्यमंत्री कौन हो, इस बारे में वो पार्टी आलाकमान को बता चुके हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को लेकर भगवंत मान का कहना रहा, 'पंजाब में सीएम का चेहरा मैं नहीं मांग रहा... ये तो लोग ही मांग कर रहे हैं - और ये तो लोगों का हक है.'

फिर एक बात जो भगवंत मान ने बतायी, सुन कर तो यही लगा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी के प्रति वो क्या जताना चाह रहे हैं, 'वर्कर खून से लिख कर खत मेरे पास ला रहे हैं जिसमें वो मेरे लिए अपना प्यार दिखाते हैं.'

भगवंत मान होने का AAP में मतलब!

भगवंत मान मिलने आने वाले लोगों की तस्वीरें शेयर करते हुए भी लोगों के अपने प्रति प्यार कि जिक्र जरूर करते हैं - और हफ्ते भर से ऐसी तस्वीरों की तादाद भी बढ़ी हुई है क्योंकि मिलने वालों की संख्या में लगातार इजाफा ही हो रहा है.

पंजाब में आम आदमी पार्टी के भीतर ही एक धड़े की राय बन रही है, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कि 2014 में संगरूर से लोक सभा पहुंचने के बाद से ही सबसे सक्रिय रहने वाले भगवंत मान को दरकिनार किये जाने की कोशिश हो रही है - और ऐसे में जो कुछ हो रहा है वो भगवंत मान का शक्ति प्रदर्शन ही लगता है.

पंजाब में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा से मिल कर ज्ञापन देकर अपनी बात अरविंद केजरीवाल तक पहुंचाने की मांग कर रहे हैं. चंडीगढ़ में चीमा के आवास पर ही आप का दफ्तर भी है जहां भगवंत मान के समर्थक सड़क मार्च करते हुए पहुंचते हैं और अपनी डिमांड पेश कर रहे हैं.

कार्यकर्ताओं की दलील है कि जब पार्टी में ही भगवंत मान जैसा मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत उम्मीदवार है तो दूसरे राजनीतिक दलों में कोई नेता क्यों खोजा जा रहा है.

ये कार्यकर्ता मान रहे हैं कि 2017 में आप ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करके बड़ी गलती की थी और अब फिर से वही गलती दोहरायी जा रही है.

ऐसे कार्यकर्ताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल देश के प्रधानमंत्री पद के लिए अच्छे उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन पंजाब के लोग 2022 के चुनाव में भगवंत मान को भी मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में आप के एक सीनियर विधायक ने भी बातचीत में ऐसी ही राय जतायी है. हालांकि, विधायक का ये भी कहना था कि खुद भगवंत मान भी पार्टी में बहुतों को नाराज कर बैठे हैं, लेकिन बड़ी बात ये भी है कि भगवंत मान को नाराज करने से भी बात नहीं बनने वाली है.

ये चर्चाएं यूं ही चल भी नहीं रहीं है - भगवंत मान आम आदमी पार्टी के उन चार उम्मीदवारों में से एक हैं जो 2014 में टोपी तो अरविंद केजरीवाल वाली ही पहने हुए थे लेकिन लोक सभा अपने बूते ही पहुंचे थे. और वैसा करिश्मा तो दिल्ली में शीला दीक्षित को विधानसभा चुनाव में हराने के बावजूद अरविंद केजरीवाल भी वाराणसी से चुनाव लड़ कर नहीं दिखा पाये थे. तब केजरीवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकस्त मिली थी.

पांच साल बाद भी 2019 के लोक सभा चुनाव में जब आम आदमी पार्टी अपने सबसे बड़े गढ़ दिल्ली में तीसरी पोजीशन पर संघर्ष कर रही थी, तब भी संगरूर सीट से भगवंत मान ने ही खाता खोला - लेकिन देश के किसी भी हिस्से से उनके साथ बराबरी में खड़े होने लायक एक भी आप का नेता नहीं रहा.

वैसे 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में भगवंत मान को लेकर विवाद भी काफी हुआ. नशे में उनके कई वीडियो वायरल हुए जिस पर सफाई भी देनी पड़ी और पर माफी भी मांगनी पड़ी थी.

ताजी तकरार एबीपी न्यूज और सीवोटर का सर्वे आने के बाद शुरू हुई है - शायद इसलिए भी क्योंकि सर्वे में लोगों ने नवजोत सिंह सिद्धू के मुकाबले भगवंत मान को पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए ज्यादा पसंद किया है, भले अंतर मामूली ही है. भगवंत मान को 16.1 फीसदी लोगों ने पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया है, जबकि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू 15.3 फीसदी लोगों की पसंद बने हैं.

हैरानी की बात ये है कि सबसे ज्यादा लोगों ने अरविंद केजरीवाल को ही पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद किया है - 21.6 फीसदी, जो मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और अकाली नेता सुखबीर बादल से भी ज्यादा है.

पांच साल पहले भी आप की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए कई नामों की चर्चा रही और उनमें एक नाम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी शामिल कर दिया गया था, उनके परिवार के गुजरे जमाने में पंजाब से संबंधों को लेकर. अरविंद केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं, लेकिन दिल्ली में एनजीओ के लिए काम करते करते ही आंदोलन शुरू किये और फिर अन्ना आंदोलन के जरिये राजनीति में आ गये और दिल्ली पर ही फोकस किया. पिछली बार तो पंजाब पहुंचते ही अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 'खूंटा गाड़ कर यहीं बैठूंगा' - वैसे आगे क्या इरादा है?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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