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Updated: 12 अगस्त, 2021 12:44 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) और नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान का कैप्टन और सिद्धू के बीच सुलह का दावा फिलहाल धरातल पर नजर नहीं आ रहा है. नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर से सीएम अमरिंदर सिंह के खिलाफ बिना नाम लिए मोर्चा खोल दिया है. इसी कड़ी में कैप्टन ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को अमरिंदर सिंह के साथ मिलकर काम करने की नसीहत दी है. खैर, कैप्टन की इस बैठक से ज्यादा चर्चा उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली संभावित मुलाकात को लेकर हो रहा है. इससे एक दिन पहले ही कैप्टन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. पंजाब में जारी सियासी उठापटक को देखते हुए अटकलों का दौर शुरू हो गया है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पंजाब में भाजपा को नया 'कैप्टन' मिलने वाला है?

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपना बॉस बताने वाले सिद्धू एक बार फिर से मुखर होकर सरकार की आलोचना में जुट गए हैं.राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपना बॉस बताने वाले सिद्धू एक बार फिर से मुखर होकर सरकार की आलोचना में जुट गए हैं.

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी की बात क्यों नही मान रहे सिद्धू?

पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन और सिद्धू के बीच जंग खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है. राज्य में पार्टी प्रभारी होने के नाते उन्होंने कांग्रेस आलाकमान तक हर उस संभावना की जानकारी दी होगी, जो कांग्रेस के लिए फायदे या नुकसान का सौदा हो सकती है. कुछ महीनों पहले तक नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर सिंह के हिसाब से चलने की सलाह दे रहे हरीश रावत अब कहते हुए नजर आ रहे हैं कि राज्य सरकार और संगठन दोनों का एक-दूसरे का सहयोग करते हुए चलना होगा. पंजाब में स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि अब हरीश रावत की सलाह भी सिद्धू की सियासी बल्लेबाजी को रोकने में नाकाम होती दिखने लगी है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपना बॉस बताने वाले सिद्धू एक बार फिर से मुखर होकर सरकार की आलोचना में जुट गए हैं.

बढ़ती जा रही हैं 'कैप्टन' की मुश्किलें

कांग्रेस आलाकमान ने सीएम अमरिंदर सिंह की नवजोत सिंह सिद्धू से नाराजगी को नजरअंदाज कर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. प्रदेश अध्यक्ष का पदभार संभालने वाले कार्यक्रम में ही सिद्धू ने कैप्टन के सामने जबरदस्त 'शॉट' खेला था. मंच से नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उनकी राह में रोड़े अटकाने वालों की वजह से वह और मजबूत हुए हैं. सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को प्रदेश अध्यक्ष के कार्यक्रम का न्योता 50 से ज्यादा विधायकों के समर्थन वाले पत्र के साथ भेजा था. कुल मिलाकर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पंजाब में अब अमरिंदर सिंह की स्थिति पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई है. वहीं, हाल ही में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी सीएम अमरिंदर सिंह के प्रधान सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया है. गौरतलब है कि पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर के रणनीति के दम पर ही कैप्टन के कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.

सिद्धू ने तोड़ा संघर्षविराम

नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से सीएम अमरिंदर सिंह के साथ चले आ रहे संघर्षविराम का अंत सिद्धू के ट्वीट्स से हो गया है. हालिया ट्वीट में सिद्धू ने कहा है कि ड्रग ट्रेड के दोषियों को सजा दिलाना कांग्रेस के 18 पॉइंट के एजेंडा में प्राथमिकता पर है. मजीठिया पर क्या कार्रवाई हुई? इसी मामले में सरकार एनआरआई लोगों के प्रत्यर्पण की मांग करती है. अगर और देर होती है, तो पंजाब विधानसभा में रिपोर्ट्स सार्वजानिक करने का प्रस्ताव लाया जाएगा.

आखिर इतने दिनों से शांत चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू अचानक से एक बार फिर अमरिंदर सिंह के खिलाफ हमलावर क्यों हो गए? अमरिंदर सिंह सरकार पर इस हालिया हमले की वजह क्या है? इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू को चौतरफा विधायकों का समर्थन मिल रहा है. हो सकता है कि कुछ समय पहले तक अमरिंदर सिंह के पाले में खड़े नजर आ रहे विधायक भी सिद्धू के खेमे में चले गए हों. राजनीति में महत्वाकांक्षाएं बहुत तेजी से पनपती हैं. इस बात की भरपूर गुंजाइश है कि विधायकों और प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का साथ पाकर सिद्धू पंजाब में मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देखने लगे हों.

क्या अमरिंदर सिंह के पास कोई रास्ता है?

नवजोत सिंह सिद्धू के पिछले राजनीतिक रिकॉर्ड को देखा जाए, तो इस बात की उम्मीद बहुत ही कम नजर आती है कि उनके व्यवहार में आगे किसी तरह का बदलाव आ सकता है. पंजाब में जारी घमासान के माहौल में अमरिंदर सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भले ही कृषि कानूनों और सैन्य विषयों को लेकर कही जा रही हो. लेकिन, इस मुलाकात पर कयासबाजी होना तय है. हालांकि, अमरिंदर सिंह के भाजपा में शामिल होने की गुंजाइश ना के बराबर है. पंजाब की राजनीति में बड़ा नाम कहे जाने वाले कैप्टन की पीएम मोदी के साथ मुलाकात कांग्रेस आलाकमान को उनकी अहमियत दर्शाने के लिए हो सकती है. भले ही सिद्धू पंजाब में लोकप्रिय चेहरा हों, लेकिन अमरिंदर सिंह के आगे अभी भी वह कमजोर ही हैं. अगर अमरिंदर सिंह कांग्रेस से बगावत कर किसी भी दल में शामिल न होते हुए अपनी अलग पार्टी बना लेते हैं, तो कम से कम कांग्रेस को सत्ता से दूर करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इस स्थिति में कांग्रेस आलाकमान शायद ही ऐसा जोखिम उठाना पसंद करेगा. वैसे, देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अमरिंदर का क्या बयान सामने आता है?

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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