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Updated: 18 फरवरी, 2019 05:12 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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पुलवामा आतंकी हमले के बाद अब भारतीय सेना ने अपना बदला लेना शुरू कर दिया है. बदले की पहली कड़ी में ही जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर और पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी को मार गिराया गया है. पुलवामा जिले के पिंगलाना गांव में ये मुठभेड़ चल रही थी और आधी रात से ही गोलीबारी शुरू हो गई थी. इस एनकाउंटर में सेना के एक अफसर और 3 जवान भी शहीद हो गए हैं और एक आम नागरिक की मौत हुई है.

चौंकाने वाली बात ये है कि इस एनकाउंटर के समय आम नागरिक हमले के स्थान पर आने की कोशिश करने लगे. जिन चार सिपाहियों ने आज अपनी जान गंवाई है उनमें मेजर डीएस डोंडियाल, हेड कॉन्स्टेबल सेवा राम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरी सिंह शामिल हैं. जिस आम नागरिक की मौत हुई है उसका नाम मुश्ताक अहमद है.

मास्टर माइंड को बचाने उतरे कश्मीरी

हमारी फौज एक तरफ तो कश्मीर में छुपे पाकिस्तानी आतंकवादियों का एनकाउंटर करने जब सीआरपीएफ की दो टुकड़ियां और सेना की 55 राष्ट्रीय राइफल्स की टुकड़ी हमला करने को तैयार थी तो कश्मीरी वहां इकट्ठा हो गए और पत्थरबाजी शुरू कर दी. हमारा देश अपनी ही आवाम के कारण पीछे हट रहा है, और दुश्मन देश इसी कारण बाहें फैला कर कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी बना रहा है.

14 फरवरी से लेकर अभी तक करीब 46 सैनिक शहीद हो चुके हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद कश्मीरी सैनिकों की मौत का जश्न मना रहे हैं और सेना के ऑपरेशन को रोक रहे हैं.

क्यों आतंकियों को जिंदा पकड़ना मुश्किल हो जाता है?

  1. पुलवामा एनकाउंटर में ही हमारे 4 जवान और एक आम नागरिक की मौत हो गई है.
  2. ये वो इलाका है जिसमें पिछले 1 साल में बहुत से नए आतंकी बने हैं और इस इलाके में लोग आतंकियों के समर्थक भी हैं.
  3. किसी भी समय पत्थरबाजी शुरू हो जाती है.
  4. स्थानीय लोग आतंकियों को भगाने में मदद करते हैं. ऐसे में दोनों तरफ की गोलीबारियां और धमाकों के बीच आतंकियों को जिंदा पकड़ना मुश्किल होता है.
  5.  कई आतंकी इसलिए भाग निकलते हैं क्योंकि उन्हें स्थानीय लोगों की सुरक्षा मिल जाती है. ऐसे में आतंकियों का एनकाउंटर करना और उन्हें पकड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है.

क्यों किया गया था पुलवामा हमला?

पिछले साल त्राल में एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने स्नाइपर और मौलाना मसूद अजहर के भतीजे को मार गिराया था. इसी के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने अपने टॉप कमांडर और आईईडी एक्सपर्ट अब्दुल रशीद गाजी उर्फ कामरान को कश्मीर भेजा. गाजी कथित तौर पर घुसपैठ कर दक्षिणी कश्मीर पहुंचने में सफल रहा था. और इसे बाद ही अपना मिश्न शुरू किया और कश्मीरी युवाओं को जैश में शामिल करना शुरू कर दिया.

कौन था पुलवामा मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी?

जैश कमांडर, IED एक्सपर्ट, अफ्गानी कमांडर या कामरान न जाने कितने नामों से ये आतंकी जाना जाता था. अब्दुल रशीद गाजी वही आतंकी है जिसने आदिल अहमद डार को पुलवामा हमले के लिए ट्रेनिंग दी थी. ये आतंकी IED एक्सपर्ट है और कॉम्बैट ट्रेनिंग अफ्गानिस्तान से लेकर आया है.

पिंगलाना में चल रही मुठभेड़ में दो पाकिस्तानी आतंकी और एक स्थानीय आतंकी को एक बिल्डिंग में सेना ने घेर लिया था. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक गाज़ी मारा गया है और एक अन्य आतंकी के मारे जाने की खबर है. गाजी हथियारों और विस्फोटकों के काम में एक्सपर्ट है और 2018 दिसंबर से ही कई बार इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इसे पकड़ने की कोशिश की थी.

पुलवामा हमले का मास्टर माइंड दक्षिणी कश्मीर में ढूंढता था अपने शिकारपुलवामा हमले का मास्टर माइंड दक्षिणी कश्मीर में ढूंढता था अपने शिकारइसे मौलाना मसूद अजहर ने ही जैश-ए-मोहम्मद का हिस्सा बनाया था. गाजी ने अपना ब्लीड इंडिया मिशन 2018 से ही शुरू कर दिया था. जम्मू-कश्मीर इलाके में वो नौजवानों को रिक्रूट करता था और उन्हें कश्मीर और पाकिस्तान में ट्रेनिंग देता था.

जनवरी में बचकर निकला था गाजी

जैश कमांडर और IED एक्सपर्ट गाजी जिसे मसूद अजहर का खास माना जाता था वो पिछले कुछ महीनों से एजेंसियों के राडार पर था, लेकिन गाजी हमेशा निकल जाता था. हमले से कुछ दिन पहले जनवरी में भी पुलवामा डिस्ट्रिक्ट के रत्नीपोरा गांव में हुए एक एनकाउंटर में गाजी को पकड़ने की कोशिश की गई थी, लेकिन वो बच निकला था. चौंकाने वाली बात ये भी है कि ये एनकाउंटर सुसाइड बॉम्बर आदिल के गांव से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर था. यानी गाजी पहले से ही सुसाइड बॉम्बर के इलाके में शिरकत करता था.

भारतीय एजेंसियां गाजी को पकड़ने की कोशिश जनवरी से ही कर रही थीं और हमले से कुछ दिन पहले ही गाजी अब्दुल रशीद सेना के चंगुल में आने से बचा था. ऐसा माना जा रहा था कि अभी भी गाजी कई सारे कश्मीरी नौजवानों को जैश में शामिल करने के इरादे से रुका हुआ था और अब इस मुठभेड़ में मारा गया.

IndiaToday की रिपोर्ट के मुताबिक अटैक के पहले किसी तरह का एडवांस मैसेजिंग सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर रहे थे ताकि CRPF अटैक की प्लानिंग की जा सके और किसी भी तरह से उन्हें ट्रैक नहीं किया जा सके. इस डार्क वेब मैसेजिंग सिस्टम को YSMS का इस्तेमाल किया जा रहा था. ये एप अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी मॉडल का इस्तेमाल करता है जिससे बिना ट्रैक किए एनक्रिप्टेड मैसेज भेजे जा सकते हैं. ऐसी खबर है कि 2018 दिसंबर तक आदिल को जैश की तरफ से मैसेज भेजे गए थे और इस पूरे अटैक की प्लानिंग की गई थी.

कश्‍मीर में YSMS बना है सेना का सिरदर्द

ये मैसेजिंग सिस्टम अभी से नहीं बल्कि 2015 से ही सेना को परेशान किए हुए है. इसके कारण स्मार्टफोन बहुत हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो सेट के साथ पेयर कर दिए जाते हैं और एक दूसरे से आतंकी इसी के जरिए बात करते हैं. कश्मीर में काफी समय से ये इस्तेमाल हो रहा है और क्योंकि इसे आसानी से ट्रैक नहीं किया जाता इसलिए इसका स्थाई तोड़ निकालना मुश्किल है.

पूर्व कश्मीरी डीजीपी ने ट्वीट कर दी थी बधाई, लेकिन...

इस ऑपरेशन के पूरा होने पर पूर्व कश्मीरी डीजीपी शेश पॉल वैद्य ने ट्वीट कर सेना को बधाई दी थी, लेकिन उसके थोड़ी ही देर बाद वो ट्वीट डिलीट कर दी.

कुछ इस प्रकार सेना को दी थी गाजी ऑपरेशन की बधाईकुछ इस प्रकार सेना को दी थी गाजी ऑपरेशन की बधाई

इस ऑपरेशन की शुरुआत में ही कई मुश्किलें आईं और अब अधिकारी की ये ट्वीट देखकर कई लोग वैद्य को सराह रहे थे, लेकिन पता नहीं क्यों उन्होंने अपने अकाउंट से ये ट्वीट डिलीट कर दी.

पाकिस्तान अभी भी मांग रहा है सबूत

पाकिस्तान के साथ पहले पठानकोट अटैक और मुंबई अटैक के सबूत पहले भी दिए गए थे और ये बात सामने आई थी कि मसूद अजहर उस समय भी हमलों में शामिल था, लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ और एक के बाद एक हमले होते गए. पर एक बार फिर अब पाकिस्तान सबूत मांग रहा है. पाकिस्तान की तरफ से अपने हाई कमिश्नर को बुला लिया गया है और कहा गया है कि बात चल रही है.

इस पूरे खुलासे के बाद भी पाकिस्तान को सबूत चाहिए. पाकिस्तान चाहता है कि भारत अभी भी सबूत दे और एक्शन न ले. दोनों देशों के रिश्ते बद से बद्तर होने लगे हैं और ये समय सभी भारतीयों के एकजुट होने का है, लेकिन सोशल मीडिया पर हिंदुस्तानी आपस में ही लड़ने में लगे हुए हैं और एक दूसरे के साथ ही नहीं हैं.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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