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Updated: 14 फरवरी, 2019 09:36 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सेना के जवानों पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ है. हमला पुलवामा जिले में अवंतीपोरा के गोरीपोरा में हुआ है जहां 39 CRPF जवानों के शहीद होने की खबर है.. साथ ही 50 से ज्यादा जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं. हमला IED से किया गया है और जवानों को ले जा रही बस को निशाना बनाया गया है. वहीं खबर ये भी है कि आतंकियों ने CRPF जवानों के काफिले पर गोलियों से भी हमला किया.

इस हमले के पीछे जैश ए मोहम्‍मद की साजिश का पर्दाफाश हो गया है. पता लगाया गया है कि किस तरह उन्‍होंने काकपोरा के रहने वाले आदिल अहमद डार को ब्रेनवॉश करके इस फिदाइन हमले के लिए तैयार किया. एक स्कॉर्पियो की कुर्सी हटाकर 200 किलो विस्फोटक उसमें फिट किया गया. संभावना है कि आतंकियों के पास सीआरपीएफ काफिले के यहां से गुजरने की जानकारी पहले से थी. करीब 2500 जवानों को जम्मू से श्रीनगर के लिए लेकर निकला सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा से गुजरा फिदाइन आतंकी ने अपनी एसयूवी को काफिले के बीच चल रही बस के पास उड़ा दिया.

सेना, आतंकी हमला, मौत, जम्मू और कश्मीर, जैश ए मुहम्मद     जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बड़ा हादसा हुआ है जिसमें 30 से अधिक जवानों की मौत हुई है

रक्षा अधिकारियों के अनुसार घायलों में 8 जवानों की हालत नाजुक है जिन्हें इलाज के लिए श्रीनगर स्थित सेना के अस्पताल ले जाया गया है. सीआरपीएफ जवानों को निशाना बनाकर किए गए आईईडी विस्फोट की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसे आत्मघाती हमला बताया है.

इस आतंकी वारदात पर जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया है कि जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी. धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए. धमाके की आवाज 3 किमी के दायरे तक सुनी गई. पुलिस ने आतंकी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के तौर पर की है. माना जा रहा है कि आदिल 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था.

हमले की शिकार बस में सवार थे CRPF जवान

CRPF जवानों से भरी जिस बस पर आतंकी हमला किया गया, उसमें 42 लोग लोग सवार थे. एक ड्राइवर के अलावा एक कमांडर, 3 अंगरक्षक और इसके अलावा अलग-अलग बटालियन के 37 जवान शामिल थे. लगभग इन सभी के शहीद होने की आशंका है. आशंका यह भी है कि आतंकियों ने इस काफिले पर हमला करने की तैयारी काफी पहले से की हुई थी. और जिस बस पर हमला किया गया, वह काफिले के बीच में चल रही थी. आतंकियों के कायराना हमले ने जिन जवानों की जान ली है, उनके परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया है.

CRPF bus martyrs list.आतंकी हमले के चपेट में आई सीआरपीफ बस में सवार लोगों की पूरी सूची.

क्या है Jaish E Muhammad

सीआरपीएफ काफिले पर हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मुहम्मद पाकिस्तानी आतंकी संगठन है. जिसका मुख्य उद्देश्य भारत से कश्मीर को अलग करना है. बात अगर इस संगठन की स्थापना की हो तो 2000 में इसकी स्थापना मसूद अज़हर ने की थी. मसूद अजहर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त से ताल्लुख रखता है. ये कोई पहला मौका नहीं है जब जैश ने अपने आतंकी मंसूबों से भारत को दहलाया है. चाहे 2001 में भारतीय संसद पर हुआ हमला हो या फिर भारतीय विमान आईसी 114 का अपहरण, पूर्व में भी ऐसे तमाम मौके आए हैं जब अलग अलग हमलों या वारदातों में इस संगठन का नाम आया है और उसने अपनी जिम्मेदारी ली है.

माना जाता है कि इस संगठन को पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती प्राप्त है. आपको बताते चलें कि जब जैश की कार्यप्रणाली को लेकर पाकिस्तान सरकार की आलोचना हुई तो उसने 2002 में इस आतंकी संगठन को पाकिस्तान की सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया. इसके बाद जैश-ए-मुहम्मद ने अपना नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम​' कर दिया. जैश-ए-मुहम्मद भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है.

घटना को लेकर क्या कह रहे हैं घाटी के नेता

चूंकि इस हादसे से सारा देश सहम गया है और आक्रोश में है. इसलिए हमारे लिए भी ये जरूरी था कि हम उन लोगों का रुख देखें जिनका राजनीतिक भविष्य घाटी की सियासत पर टिका हुआ है घटना की जानकारी मिलने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने ट्वीट कर घटना पर गहरा दुख जताया है.

वहीं अक्सर ही आतंकियों के प्रति नर्म रुख रखने के कारण लोगों की आलोचना का शिकार बनने वाली जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी घटना पर गहरा दुःख जाता है और लिखा है कि, कोई भी शब्द इस भीषण आतंकी हमले की निंदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

घटना दिल दहला देने वाली है जिसने जम्मू कश्मीर के पूर्व आईएएस और वर्तमान में जम्मू कश्मीर की राजनीति में अपना भविष्य तलाश रहे शाह फैसल को भी प्रभावित किया है. इस आतंकी हमले पर अपना दुःख प्रकट करते हुए फैसल ने कहा है कि अब वो समय आ गया है जब घाटी में खून बहना बंद होना चाहिए.

वहीं मामले को लेकर जब हमने हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक और तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन सैयद अली शाह गीलानी की ट्विटर प्रोफाइल का रुख किया, तो ये लोग इस अहम मसले पर बिल्कुल खामोश दिखे. मीरवाइज उमर फारुक गुरुवार को उसी काकपाेरा में थे, जहां के आतंकी आदिल अहमद गिलानी ने सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमला किया.

ध्यान रहे कि ये दोनों ही नेता और इनके दल अपनी अलगाववाद की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. पूर्व से लेकर वर्तमान तक ऐसे कई मौके आए हैं जब इन्होंने आतंकवाद या आतंकी घटनाओं का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में समर्थन किया है.इतनी बड़ी वारदात पर जिस तरह घाटी के ये दो बड़े नेता चुप हैं कहा जा सकता है कि शायद दबे छुपे लहजे में एक बार फिर से इन्होंने आतंकवाद को समर्थन दिया है.

बहरहाल, एक ऐसे वक़्त में जब चुनाव नजदीक हो और तमाम मौकों पर सरकार उरी में हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर अपनी पीठ थपथपा रही हो. जैश-ए-मुहम्मद का इस बड़ी वारदात को अंजाम देना ये बता देता है कि पाकिस्तान और जैश दोनों ही लातों के भूत हैं जिनपर किसी तरह की कोई बात असर नहीं करने वाली. अंत में इतना ही कि मामले पर जिस तरह कश्मीर के नेताओं का रुख है उसको देखकर ये अपने आप ही साफ हो जाता है कि उनकी राजनीति की नींव में लाशें भरी हैं और कहीं न कहीं उन्हें भी इस बात का एहसास है कि जिस दिन घाटी से आतंकवाद का सफाया हो गया इनका भी राजनीतिक भविष्य शून्य में चला जाएगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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