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Updated: 02 मई, 2019 08:03 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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किसी भी कांग्रेसी को 'चौकीदार चोर है' के नारे बहुत अच्छे लगते होंगे. प्रियंका गांधी को भी लग रहे थे. जब कुछ बच्चे चिल्ला-चिल्लाकर ये नारे लगा रहे थे. हालांकि फिर एक ऐसा नारा लगा जिसे नहीं लगना चाहिए था. बच्चों ने दूसरा नारा लगाना शुरू किया 'नीम का पत्ता कड़वा है, मोदी..... है'. और अब तक के नारों का आनंद लेकर मुस्कुरा रहीं प्रियंका इस वाले नारे को सुनकर हैरान रह गईं.

ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. भाजपा समर्थकों ने इस वीडियो को आधा दिखाकर कांग्रेस की बखियां उधेड़ीं, तो कांग्रेस ने पूरा वीडियो दिखाकर उसे सिलने का काम किया. राजनीति में तो ये सब होता ही है, खासकर चुनावों के दौरान इस तरह के प्रचार होना स्वाभाविक सी बात है.

स्मृति ईरानी ने इसपर ऐतराज जताया. तो फिर कांग्रेस से इस वाकिए का पूरा वीडियो दिखाया.

कांग्रेस ने सफाई दी कि जब प्रियंका गांधी ने बच्चो को प्रधानमंत्री को गाली देते सुना तो उन्होंने बच्चों को ऐसा कहने से मना किया और कहा कि अच्छे बच्चे बनो.

प्रधानमंत्री के लिए बच्चों के मुंह से गालियां सुनकर प्रियंका गांधी का हैरान होना तो समझ में आता है, उसके बाद ये भी समझ आता है कि उन्होंने बच्चों से कहा कि 'ये वाला अच्छा नहीं लगेगा. अच्छे बच्चे बनो'. लेकिन बच्चों के मुंह से 'चौकीदार चोर है' सुनकर खुश होना हमें हैरान करता है.

प्रियंका गांधी एक समझदार महिला हैं. हाल ही में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की है और इतनी देर से क्यों की ये भी सब जानते हैं. वो अपने बच्चों को समय दे रही थीं. यानी वो एक समझदार मां भी हैं. उनसे देश यही उम्मीद करता है कि उन्होंने जितना अपने बच्चों के लिए सोचा वो देश के बच्चों के प्रति भी उतनी ही जिम्मेदारी से सोचेंगी. लेकिन प्रियंका ने इस वीडियो के जरिए ये दिखा दिया कि उन्हें चुनावों में बच्चों की मौजूदगी से कोई परेशानी नहीं है.

priyanka gandhiबच्चों के राजनीतिक नारे लगाने पर क्यों हैरान नहीं हुईं प्रियंका

ये 10-11 साल की उम्र के वो बच्चे हैं जिन्हें न चौकीदार का मतलब पता है और न राफेल का, उन्हें ये भी नहीं पता कि चौकीदार को चोर क्यों कहा जा रहा है. वो तो बस प्रियंका को खुश करने के लिए वो बोल रहे हैं जो उन्हें सिखाया गया. और प्रियंका गांधी को ये जरा भी नहीं खटका कि इतने छोटे बच्चों को आखिर ऐसे नारे क्यों लगाने चाहिए. गाली खटकी, ऐतराज जताया उसके लिए तालियां. लेकिन आपने ये कहा कि ये वाला अच्छा नहीं लगेगा यानी 'चौकीदार चोर है' वाला बढ़िया था... सुनकर मजा आ रहा था?

कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी का भी एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो कॉलेज के छात्रों के साथ थे. और बातचीत के दौरान उन्होंने डिस्लेक्सिक लोगों पर चुटकी ली थी. प्रधाानमंत्री ने एक छात्रा से पूछा था कि 'क्या ये प्रोग्राम 40-50 साल के बच्चे के लिए भी फायदेमंद होगा?' छात्रा ने 'हां' में जवाब दिया. तो मोदी बोले- 'फिर तो ऐसे बच्चों की मां बहुत खुश होगी.' मोदी जी भी तब बच्चों के साथ थे लेकिन तब भी राजनीतिक टिप्पणी करने से नहीं चूके. वो चाहे कोई भी हो मगर ऐसे पदों पर बैठे लोगों से इतनी संवेदनशीलता की उम्मीद तो की ही जा सकती है.

बात मोदी या प्रियंका की नहीं है. हमारे देश की राजनीति की जड़ें काफी गहरे तक जाती हैं. यहां नन्हें नन्हे बच्चों के मुंह से 'हर हर मोदी' बुलवाने में लोग अपनी शान समझते हैं. उनहें राजनीति की एबीसी भले ही पता हो न हो लेकिन नारे याद जरूर करवा दिए जाते हैं. इतनी कम उम्र में बच्चों को गंदी राजनीति सिखाना किसी भी सूरत में देश के लिए अच्छी नहीं है. वहां बच्चों को नहीं होना चाहिए था. बच्चों की जरूरत अगर राजनीति में हो तो बात उनकी समस्याओं पर की जाए, उनके भविष्य पर की जाए. इस तरह नारे लगवाकर प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक अच्छा उदाहरण पेश नहीं किया है.

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पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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