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Updated: 14 दिसम्बर, 2021 02:44 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर दिया है. वाराणसी पहुंचने के बाद सबसे पहले काशी के कोतवाल यानी काल भैरव के मंदिर में पूजा-अर्चना कर नरेंद्र मोदी ललिता घाट गए. यहां गंगा स्नान कर बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए जल लिया. हर-हर महादेव के नारों के बीच ललिता घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे. विधि विधान के साथ पूजा के बाद पीएम मोदी ने लोकार्पण कार्यक्रम में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात लोगों को सौंप दी.

'भव्य काशी, दिव्य काशी' के तहत 32 महीने में पूरे हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'विश्वनाथ धाम का पूरा परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है. ये भारत की सनातन संस्कृति का प्रतीक है. ये भारत की आध्यात्मिक आत्मा है. ये भारत की प्राचीनता का, परंपराओं का प्रतीक है. भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का प्रतीक है. यहां आपको अपने अतीत के गौरव का अनुभव होगा.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो नरेंद्र मोदी ने काशी में बता दिया कि भाजपा के लिए मुद्दे क्या हैं?

Narendra Modi Slams Rahul Gandhiदेश के 150 से अधिक धर्माचार्य, संत-महंत व प्रबुद्धजन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात के गवाह बने.

औरंगजेब आता है, तो शिवाजी उठ खड़े होते हैं

पीएम नरेंद्र मोदी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करने से ठीक एक दिन पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयपुर रैली में हिंदू और हिंदुत्व के नाम पर भाजपा को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे. भाजपा को हिंदुत्वादी और कांग्रेस को हिंदुओं की पार्टी साबित करने की होड़ में राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व की पिच तैयार कर रहे थे. राहुल गांधी ने जयपुर में हिंदुओं का राज लाने और हिंदुत्ववादियों को सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया. महात्मा गांधी को हिंदू और नाथूराम गोडसे को हिंदुत्ववादी बताते हुए जिस तरह से राहुल गांधी ने कांग्रेस को हिंदुओं के हित वाली पार्टी साबित करने का प्रयास किया था. कहा जाए, तो नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से ही सही, लेकिन, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण कार्यक्रम में राहुल गांधी के इस पूरे सिद्धांत की धुंए की तरह हवा कर दिया.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कितनी सल्तनतें उठीं और मिट्टी में मिल गईं, लेकिन बनारस वहीं का वहीं है. औरंगजेब के अत्याचार का साक्षी काशी है, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की. अगर यहां औरंगजेब आता है, तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं. अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है, तो महाराजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी ताकत का अहसास कर देते हैं, अंग्रेजों के दौर में वारेन हेस्टिंग का काशी के लोगों के शौर्य के सामने क्या हश्र हुआ था, सब जानते हैं. आज समय का चक्र देखिए, आतंक के पर्याय इतिहास के काले पन्नों में सिमटकर रह गए हैं.

धर्म और संस्कृति हमेशा से ही भाजपा के एजेंडे में शामिल रहे हैं. राहुल गांधी भले ही लोगों को हिंदू और हिंदुत्व का फर्क समझाने की कोशिश कर रहे हों. लेकिन, नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि हिंदू और हिंदुत्व को अलग करना किसी भी राजनीतिक दल के बस की बात नहीं है. धर्म पर आंच मुगलों के दौर में आई हो या अंग्रेजों के समय में शिवाजी से लेकर महाराजा सुहेलदेव का उदाहरण देकर पीएम मोदी ने संदेश दिया है कि धर्म की रक्षा के लिए इतिहास भी शौर्य गाथाओं से भरा पड़ा हुआ है. और, भाजपा सिर्फ इतिहास के पन्नों में दबे सुनहरे अतीत को सामने ला रही है. वहीं, कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों ने बहुसंख्यक हिंदू आबादी की संस्कृति से जुड़े मुद्दों पर मुस्लिम वोटों के लिए चुप्पी साधे रखी. 

सनातन परंपरा को आगे बढ़ाती भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी 'भव्य काशी, दिव्य काशी' के तहत लगातार अपनी सनातन परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. 352 सालों के बाद वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम ने अपने खोए हुए गौरव को फिर से हासिल किया है. इस दौरान देश के 150 से अधिक धर्माचार्य, संत-महंत व प्रबुद्धजन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात के गवाह बने. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन से शुरू हुआ भाजपा का सनातन परंपरा और संस्कृति को सहेजने का प्रयास अब चार धामों को जोड़ने वाली सड़क परियोजना, केदारनाथ धाम के पुर्नविकास से होते हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक आ चुका है. केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत देशभर के तीर्थस्थलों का धार्मिक पर्यटन के लिहाज से तेजी से विकास किया जा रहा है. नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि 'काशी के कोतवाल की इजाजत के बिना यहां कुछ नहीं हो सकता है. कोई बड़ा होगा, तो वो अपने घर का होगा. यहां पर बाबा विश्‍वनाथ की इजाजत के बिना पत्‍ता भी नहीं हिलता है. आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को ढूंढ रहा है.'

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी यूपी के दौरे पर एक कार्यक्रम में रामभक्तों और कृष्णभक्तों पर पुष्पवर्षा की बात की थी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर अगली कारसेवा होगी, तो कृष्णभक्तों पर पुष्पवर्षा होगी. कुछ ही दिनों पहले उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में एक ट्वीट कर लिखा था कि अयोध्या-काशी जारी है...मथुरा की तैयारी है. ये तमाम बयान लोगों को विवादित नजर आते हों. लेकिन, भाजपा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के मुद्दों, मंदिरों और विरासत को सहेजने में किसी भी विपक्षी राजनीतिक दल से कहीं आगे है. भाजपा ने 'एकै साधे, सब सधै' की सूक्ति पर चलते हुए बहुसंख्यक हिंदू समाज के भावनात्मक मुद्दों को आगे बढ़ाया है. वहीं, कांग्रेस, सपा, बसपा समेत तमाम राजनीतिक दल मुस्लिम वोटबैंक के छिटकने के डर से इनकी चर्चा भी करने में संकोच करती रही हैं. अब बदले हुए राजनीतिक पटल पर ये सियासी दल सॉफ्ट हिंदुत्व की पिच पर उतरते हैं, तो उनकी सत्तालोलुपता ही नजर आती है.

विकासपरक एजेंडे पर चल रही भाजपा

पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा के विकासपरक एजेंडे को लोगों के सामने रखा. जिसमें केवल मंदिर निर्माण ही पार्टी के रिपोर्ट कार्ड में शामिल उपलब्धि नहीं है. पीएम ने कहा कि 'आज का भारत सिर्फ अयोध्या में भगवान राम का मंदिर ही नहीं बना रहा, बल्कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज बना रहा है. सिर्फ काशी में भव्य कॉरिडोर ही नहीं बना रहा, बल्कि गरीबों के पक्के मकान भी बना रहा है. पूरे भक्ति भाव से काम किया गया है. माता अन्नपूर्णा की कृपा से कोरोना काल में मुफ्त राशन का इंतजाम हुआ.' नरेंद्र मोदी ने उन तमाम लोगों को जवाब दिया है कि भाजपा के लिए धर्म और संस्कृति के साथ जनता के हित की योजनाएं और विकास कार्य भी बराबर जरूरी हैं. और, हिंदुत्व के एजेंडे का मतलब जनहित और विकास की योजनाओं के नाम पर अपनी संस्कृति और धर्म को भुला देना नही है. विपक्षी दलों को नरेंद्र मोदी का सीधा संदेश है कि विकास और धर्म को एकसाथ लेकर चलते हुए भी राजनीति की जा सकती है

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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