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Updated: 29 जनवरी, 2023 09:33 PM
अशोक भाटिया
अशोक भाटिया
 
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राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस बरसों पुरानी परंपरा को तोड़कर सूबे की सत्ता में वापसी का जतन कर रही है, तो भाजपा  चुनाव जीतकर सत्ता में आने की रणनीति बना रही है. चुनावी साल की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान दौरा हो रहा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को भगवान देव नारायण की 1111वीं जयंती पर राजस्‍थान के भीलवाड़ा जिले के मालासेरी पहुंचेंगे. हालांकि इस यात्रा संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई है, लेकिन राज्‍य में विधानसभा चुनाव के 10 माह पहले हो रही इस यात्रा के सियासी तौर पर मायने भी निकाले जा रहे हैं. मालासेरी भगवान देव नारायण का जन्‍मस्‍थान माना जाता है जो इस क्षेत्र में रहने वालों विशेष रूप से गुर्जरों के लिए पूज्‍यनीय है, जो कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही के लिए समर्थन का बड़ा स्‍त्रोत रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही पार्टियां इनका समर्थन हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं. 

बताया जाता है कि भगवान श्री देवनारायण में करोड़ों लोगों की गहरी आस्था है. भगवान श्री देवनारायण को गुर्जर अपना आराध्य मानते हैं. इस बार मौका बेहद खास है, क्योंकि पहली बार कोई प्रधानमंत्री, विष्णु के अवतार भगवान देवनारायण के धाम में आ रहा है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में तैयारियां भी भव्य की गई हैं.गुर्जर समाज के लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी देवनारायण कॉरिडोर की घोषणा कर गुर्जर समाज का आशीर्वाद ले सकते हैं. इसके पीछे भी बड़ी वज़ह है. मालासेरी डूंगरी देशभर में गुर्जर समुदाय की आस्था का बड़ा केंद्र है. केंद्र सरकार की एक रिसर्च टीम भीलवाड़ा में इन दिनों मौजूद है. रिसर्च टीम भगवान देवनारायण से जुड़ी कथाओं साहित्य को जुटा रही है. सरकार भगवान देवनारायण की जीवनी को फड़ कला के जरिए प्रदर्शित करने की तैयारी में है.

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पिछले चार महीनों में यह प्रधान मंत्री मोदी की राजस्थान की तीसरी यात्रा होगी और इस यात्रा को राज्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. नवंबर 2022 में, आदिवासी नेता गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए मोदी ने बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम का दौरा किया. अक्टूबर में जनसभा के लिए सिरोही जिले का दौरा किया था.देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और उनका जन्म 10वीं शताब्दी में मलसेरी में हुआ था. यह प्रधानमंत्री की 'धार्मिक' यात्रा है, वहीं भाजपा की नजर इस कार्यक्रम में मोदी की मौजूदगी से राजनीतिक लाभ लेने पर है.

उम्मीद है कि प्रधानमंत्री काशी, अयोध्या और उज्जैन की तर्ज पर आसींद अनुमंडल में देवनारायण कॉरिडोर बनाने की घोषणा कर सकते हैं. केंद्र से अनुसंधान और सर्वेक्षण दल पहले ही इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और देवनारायण से जुड़े ऐतिहासिक साक्ष्यों, साहित्य और धार्मिक दस्तावेजों का अध्ययन कर रहे हैं. राजस्थान के अलावा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में गुर्जरों की काफी मौजूदगी है. प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से राजस्थान के मालासेरी डूंगरी को देश में नई पहचान मिलेगी. क्षेत्र का सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक उत्थान होगा. मोदी गुर्जर समाज को सामाजिक तौर भी महत्वपूर्ण संदेश दे रहे हैं. 

पिछले चुनाव में भाजपा ने गुर्जर समुदाय के 9 लोगों को टिकट दिया था लेकिन समुदाय के वोट इस उम्‍मीद में कांग्रेस की ओर शिफ्ट होने से यह सभी चुनाव हार गए थे कि सचिन पायलट राजस्‍थान के पहले गुर्जर मुख्‍यमंत्री बनेंगे. हालांकि इस उम्‍मीद पर बाद में पानी फिर गया और प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा एक धार्मिक कार्यक्रम के जरिये गुर्जरों के बैंक तक पहुंच बनाने का भाजपा का सियासी दांव प्रतीत होता है. भाजपा की राजस्‍थान इकाई के अध्‍यक्ष सतीश पूनिया ने एनडीटीवी से कहा, "प्रधानमंत्री ने काशी के विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकाल मंदिर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्‍थलों बहाली के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं. उम्मीद है कि देव नारायण मंदिर के लिए भी कुछ किया जाएगाण. हमें हर चीज को 'सियासी चश्मे' से नहीं देखना चाहिए."

गुर्जरों की राज्‍य में में लगभग 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की आबादी हैं और पूर्वी राजस्थान में 40 से 50 विधानसभा सीटों पर उनका अच्‍छा खासा असर है.  गुर्जरों ने अतीत में आरक्षण के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू किया था और हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के राज्‍य में प्रवेश को रोकने की धमकी दी थी. देव नारायण मंदिर में एनडीटीवी से बात करते हुए विजय बैंसला ने कहा, "पिछली बार जो हुआ वह दोबारा नहीं होगा. पिछली बार गुर्जर हार गए थे और अब उन्होंने अपना सबक सीख लिया है. निश्चित रूप से हमें गुर्जर विधायक चाहिए. गुर्जर लगभग 40 सीटों पर प्रभाव डालते हैं देखते हैं कि क्‍या प्रभाव क्या होता है." गौरतलब है कि पिता कर्नल किरोड़ी सिंह की मृत्यु के बाद विजय बैंसला ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन की कमान संभाली है. उन्‍होंने कहा, सचिन पायलट एक व्यक्तिगत कारक हैं और इसे हर चुनाव में नहीं दोहराया जा सकता.

गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक राजस्थान में आठ सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं. जिनमें से तीन पर भाजपा, चार पर कांग्रेस व एक पर रालोपा का कब्जा था. मगर उपचुनाव में भाजपा मात्र एक सीट पर ही फिर से चुनाव जीत पायी. जबकि कांग्रेस छह व रालोपा एक सीट जीत गयी. अब तक हुये उपचुनावों में भाजपा को दो सीटें गंवानी पड़ी हैं. राजस्थान में भाजपा द्वारा इन दिनों जन आक्रोश रथ यात्रा निकाली जा रही है. जिसमें प्रदेश के सभी गांव में भाजपा नेता एक रथ लेकर जा रहे हैं और ग्राम वासियों से संवाद कर प्रदेश में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार की कमियों को लोगों को बता रहे हैं.

जन आक्रोश रथ यात्रा के दौरान भी भाजपा नेताओं को बहुत से गांव में लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि तीन साल बीत जाने के बाद भी सांसदों ने लोगों से मिलना तक गवारा नहीं समझा. जबकि लोगों ने प्रदेश के हर सांसद को कई-कई लाख वोटों से चुनाव जिताया था. मगर चुनाव जीतने के बाद सांसद वोट देने वालों को ही भूल गए. ऐसी ही स्थिति का सामना विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों को करना पड़ रहा है.

इसके पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की पिछले दिनों जयपुर में हुई जनसभा में भीड़ एकत्रित नहीं होने की घटना से भी केंद्रीय नेतृत्व सकते में है. चर्चा है कि नड्डा की सभा में भीड़ जुटाने में जयपुर शहर के विधायकों- कलीचरण सर्राफ, नरपत सिंह राजवी व अशोक लाहोटी ने कोई रुचि नहीं ली. जिस कारण नड्डा की जयपुर सभा फेल हो गई थी. हालांकि राजस्थान कांग्रेस में गहलोत बनाम पायलट में जमकर गुटबाजी चल रही है. मगर जहां कांग्रेस में सिर्फ दो गुट है. वहीं भाजपा में तो हर बड़े नेता का अपना अलग गुट है. ऐसे में अगले विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने का सपना देख रहे भाजपा के नेता कैसे चुनाव जीतेंगे इसका जवाब किसी के पास नहीं है. फिलहाल तो प्रदेश भाजपा में सब कुछ राम भरोसे ही चल रहा है.

वैसे अभी राजस्थान की राजनीति में भाजपा के लिए एक उत्साहजनक बात हुई है. राजस्थान की सियासत में महारानी कहे जानी वाली वसुंधरा राजे फिर से सक्रिय दिखाई दे रही हैं. अब जिस तरह की तस्वीरें सामने आ रही है उससे सियासी जानकार कयास यही लगा रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी में फिर से हावी हैं.क्योंकि जिस नेता को देख खुद प्रधानमंत्री मोदी भी अभिवादन करते हों, भला उस नेता को कोई कैसे नजरंदाज कर सकता है? वाकया पिछले साल जुलाई महीने का है. जब हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी. मंच पर बड़े-बड़े नेता मौजूद थे और राजस्थान के दिग्गजों की भी भरमार थी. लेकिन इस सबसे इतर महारानी की तस्वीर कुछ अलग ही मैसेज दे रही थी. जिसमें खुद प्रधानमंत्री मोदी महारानी के पास आते हैं, मंच पर ही अभिवादन के बाद मोदी उनसे बातचीत करते हैं.

मोदी ने इस दौरान उनकी बहू निकारिका का हाल भी पूछा था और वहां मौजूद सारे नेता टकटकी लगाए देखते रहे. पोस्टर से गायब रहने वाली वसुंधरा की तस्वीर अब तो प्रदेश के भाजपा कार्यालय के बाहर भी दिखने लगी है. सभी नेता मंच पर महारानी के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं. पार्टी में गुटबाजी वाली बात को किनारे कर सब लोग महारानी को पूरा मान दे रहे हैं. इसके अलावा पिछले कुछ समय से वसुंधरा भी अब अपने ट्विटर पर सक्रिय हो चुकी हैं. अपने कार्यकाल की जनकल्याणकारी योजनाओं की याद दिला रही हैं.इन दिनों की ऐसी ही एक और तस्वीर सामने आ रही है जिसमें खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी महारानी से मिलते हुए काफी खुश दिखें. वसुंधरा राजे कई बार दिल्ली का दौरा भी कर चुकी हैं. हालांकि इस दौरान पार्टी आलाकमान से उनकी क्या बात हुई, ये तो खुलकर सामने नहीं आया है. अब हर किसी की निगाहें भाजपा में वसुंधरा की भूमिका को लेकर है.अब देखना यह है कि  प्रधान मंत्री मोदी की यह राजस्थान  विधान सभा की तस्वीर कितनी बदल सकती है?

 

लेखक

अशोक भाटिया अशोक भाटिया

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक एवं टिप्पणीकार पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड – 2023 से सम्मानित, वसई पूर्व - 401208 ( मुंबई ) फोन/ wats app 9221232130 E mail – vasairoad.yatrisangh@gmail।com

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