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Updated: 13 मई, 2020 02:49 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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लोकल ग्लोबल बने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का ये लक्ष्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सबसे कुशलता से ज़मीन पर उतार सकते हैं. आर्थिक सुधारों के लक्ष्य रूपी रथ को आगे बढ़ाने में योगी आदित्यनाथ मोदी के मजबूत सार्थी बनने की तैयारियां पहले से ही शुरु कर चुके हैं. कोरोना काल में आर्थिक सुधारों की रणनीति बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो योजना सामने रखी है उसपर मुख्यमंत्री योगी पहले ही अमल शुरु कर चुके हैं. अपने संसाधनों को मजबूत करने और आत्मनिर्भर (Self Reliant) बनने के साथ आर्थिक सुधारों के लिए प्रधानमंत्री ने जो राह दिखाई है उसपर उत्तर प्रदेश सरपट दौड़ सकता है. इस प्रदेश के तमाम लोकल हुनर ग्लोबल (Global) साबित हो भी चुके थे. लेकिन यूपी (UP) की पिछली सरकारों की उदासीनता ने इस सूबे की जिन्दा औद्योगिक खूबियों को मृत्युशैया पर ला दिया. मुख्यमंत्री योगी ऐसे तमाम हुनरों को पुनः नई जिन्दगी देकर प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य को गति देने में लग गये हैं. दुनिया में मशहूर लखनऊ की चिकनकारी हो आरी-जरदोजी या बनारस की बनारसी साड़ी. मुरादाबाद की नक्काशी, भदोही के कालीन या अलीगढ़ के ताले. ऐसे तमाम हुनरों के विकास से यूपी की औद्योगिक दमक एक बार फिर दुनिया के मानचित्र में अपनी बड़ी पहचान बना सकती है. योगी सरकार वैश्विक महामारी से आर्थिक मंदी के इस दौर में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में यूपी की हुनरमंदी को ताकत बनाकर इन कठिन परिस्थितियों से लड़ने की तैयारियां में जुटी है. इसी क्रम में पलायन रोकने के लिए योगी सरकार MSME सेक्टर में नब्बे लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रख चुकी है.

PM Modi, Coronavirus, Yogi Adityanath, Uttar Pradeshकेंद्र में पीएम मोदी और यूपी में योगी आदित्यनाथ दोनों ही अपनी तरफ इ हर वो कोशिश कर रहे हैं जिससे कोरोना वायरस को हराया जा सके

सब जानते हैं कि यूपी अपने हुनर और तमाम संसाधनो का धनी रहा है. इस सूबे की श्रमिक शक्ति से लेकर तमाम हुनर और आत्मनिर्भरता आर्थिक सुधारों के लिए रामबाण साबित हो सकती है. दुनियाभर के निवेशकों को आकर्षित करने वाली योगी सरकार करीब चार इनवेस्टमेंट समिट के सफल आयोजन पिछले तीन वर्षों में कर चुकी है.

अब जब कोविड 19 के भयावह हालात सामने आये तो उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा. मजदूरों का पलायन बड़ा संकट बना. इस संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सराहनी कोशिशों से अब तक किसी हद तक कुशलता भी हासिल की. करीब दस लाख प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के प्रबंध किया और बाकी को उनके घरों तक पहुंचाने के इंतजाम युद्ध स्तर तक हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री योगी अपने योग्य नौकरशाहों वाली टीम इलेवन के साथ मजदूरों के सरवाइव का खाका तैयार कर रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने लेबर रिफार्म कानून की जरुरत महसूस की. उत्तर प्रदेश के गांव और कस्बों में ही गरीब, मजदूर, श्रमिक, कामगार मेहनतकशों को रोजगार देने की योजना बनाई.

बजरंगबली के बड़े मंगल के दिन रात आठ बजे मौत, महामारी और मुफलिसी की धुंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को आशा की किरण दिखाई. मंदी, बेरोजगारी, ग़रीबी और भुखमरी के ख़ौफ में घबराने के बजाय हम अपने संसाधन मजबूत करें.  अपनी ताकत को पहचाने।श्रम, टैक्नालॉजी, वैज्ञानिक क्षमताओं, हस्त शिल्प, सृजनात्मकता का सदुपयोग करके आत्मनिर्भर बनें. ऐसे में चीन से नाराज़ दुनिया हमें निवेश का विकल्प मानेगी. अमेरिका और जापान जैसे तमाम देश भारत में निवेश कर खुद को और भारत को आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे ले जा सकते हैं.

कुछ इस तरह कोरोना काल की मंदी से निपटने का एक बेहतरीन रोड मैप तैयार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक संकट में भारत को संकट मोचन के रूप में तैयार करने का इशारा किया है.  बीस लाख करोड़ के आर्थिक पैकज की घोषणा इस रणनीति का श्री गणेश है.प्रधानमंत्री ने देश के नाम संदेश में चौथे लॉकडाउन के नये रंग रूप की अप्रत्यक्ष घोषणा के साथ आर्थिक सुधारों के लिए आर्थिक पैकेज की प्रत्यक्ष घोषणा की.

कोविड 19 के संकट के समय में गरीब मजदूर-श्रमिक जो सबसे अधिक परेशान है, ऐसे ही वर्ग की बहाली और इनकी ताकत को ही प्रधानमंत्री ने आर्थिक सुधारों का आधार बनाया है. उन्होने सबसे महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि लोकल के लिए वोकल बनिये और फिर ग्लोबल बन जाइये. और इन दिशा में यूपी देश का ऐसा सूबा है जहां लोकल उद्योग को ग्लोबल बनाने की सबसे अधिक संभावना है.

इसलिए यदि योगी और मोदी जैसे संन्यासियों की जोड़ी का तप रंग लाया तो भारत चीन का विकल्प बनके एक तिहाई दुनिया की जरूरतों के उत्पाद बना सकता है. संकट के इस कोरोना काल में यदि भारत अपने इस लक्ष्य को पूरा कर आर्थिक सुधार का इतिहास रच ले तो इस बात में कोई शक नहीं कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी.

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नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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