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Updated: 23 दिसम्बर, 2015 09:40 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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पटना का नाम बदलकर पाटलीपुत्र करने का प्रस्ताव है. वैसे बीते कुछ साल में बंबई को मुंबई, मद्रास को चेन्नई और कलकत्ता को कोलकाता आसानी से किया जा चुका है. लेकिन, यह पाटलीपुत्र वाला प्रस्तानव तब बवाल बन जाता है, जब बिहार सरकार की सहयोगी आरजेडी पटना का नाम अजीमाबाद करने की बात कह दे.

पहले इतिहास... आज का पटना बतौर मगध की राजधानी बनकर लगभग 1000 साल तक पाटलीपुत्र रहा है. इसके बाद 1704 में मुगल शासक औरंगजेब ने अपने खास प्रपौत्र मोहम्मद अजीम के नाम पर इसे अजीमाबाद घोषित कर दिया गया था. अंग्रेजी हुकूमत के समय यह पटना नाम से प्रचलित हुआ और 1911 में इसे राज्य की राजधानी घोषित कर दिया गया.

पटना को पटलीपुत्र बनाओ अभियान... रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एसके सिन्हा ने एक बार फिर पटना को पाटलीपुत्र बनाने की मुहिम की शुरुआत की है. सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर मांग की है कि मुंबई, कोलकाता और चेन्नई की तर्ज पर पटना को पाटलीपुत्र घोषित कर दिया. हालांकि सबसे पहले सिन्हा ने 1980 के दशक में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में नाम बदलने की अपील की थी. सिन्हा का दावा है कि राजीव गांधी उनके तर्क से सहमत थे और राज्य सरकार ने उनके प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी थी लेकिन केन्द्र सरकार अपनी राजनीतिक मजबूरियों के चलते यह फैसला नहीं कर सकी. लालकृष्ण आडवाणी भी एस के सिन्हा की मांग का पूरी तरह सपोर्ट करते रहे हैं. आडवाणी का कहना है कि इससे मौजूदा बिहार को हजारों साल पहले के गौरव से जोड़ने का मौका मिलेगा.

इसके बाद 2010 में सिन्हा ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से भी अपील की थी लेकिन नितीश कुमार ने इसे यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि नाम बदलने से ज्यादा जरूरी प्रदेश में काम कर तरक्की के रास्ते पर लाना है. वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी नाम बदलने का विरोध करते हुए कहा था कि यदि पटना का नाम बदलना ही है तो बेहतर होगा इसे एक बार फिर से अजीमाबाद कर दिया जाए.

बीजेपी के समर्थन वाले इस प्रस्ता व पर लालू यादव ने जिस तरह से दाव चला है, उससे यह मामला सांप्रदायिक रूप ले सकता है. हालांकि, यह बीजेपी और आरजेडी दोनों के फायदे के लिए है, लेकिन इससे जेडीयू खासकर नीतीश की मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

इस प्रस्ताव की ओर ध्या़न देना ही उनके लिए सांप्रदायिक मुद्दे को हवा देने जैसा होगा.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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